मनोरंजन

Khan sir: इतिहास पर टिप्पणी या अपमान? Khan Sir की बातों से लोगों में उबाल, माफ़ी की उठी मांग

Khan sir, प्रसिद्ध शिक्षक और यूट्यूबर खान सर एक बार फिर अपने बयान को लेकर विवादों में घिर गए हैं। इस बार मामला जम्मू-कश्मीर के अंतिम डोगरा शासक महाराजा हरि सिंह से जुड़ा है।

Khan sir : Khan Sir के विवादित बयान से नाराज़ जनता, Maharaja Hari Singh पर टिप्पणी के बाद Khan Sir ट्रोल्स के निशाने पर

Khan sir: प्रसिद्ध शिक्षक और यूट्यूबर खान सर एक बार फिर अपने बयान को लेकर विवादों में घिर गए हैं। इस बार मामला जम्मू-कश्मीर के अंतिम डोगरा शासक महाराजा हरि सिंह से जुड़ा है। खान सर की ओर से महाराजा की भूमिका पर की गई टिप्पणी ने लोगों की भावनाओं को आहत किया है और सोशल मीडिया से लेकर राजनीतिक गलियारों तक विरोध के स्वर सुनाई देने लगे हैं।

खान सर ने क्या कहा?

दरअसल, एक इंटरव्यू के दौरान Khan sir ने जम्मू-कश्मीर के भारत में विलय की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि पर चर्चा करते हुए कहा कि “महाराजा हरि सिंह की गलती थी कि वह कश्मीर को एक स्वतंत्र देश या स्विट्जरलैंड जैसा बनाना चाहते थे। उनके घर के रिश्तेदार पाकिस्तान चले गए, तब जाकर उन्होंने आत्मसमर्पण किया। जब देश 15 अगस्त 1947 को आजाद हुआ, तब उन्होंने तुरंत विलय नहीं किया, बल्कि दो महीने बाद, यानी 26 अक्टूबर को भारत के साथ विलय किया। यह एक स्वार्थपूर्ण कदम था।” Khan sir की इस टिप्पणी को कई लोगों ने महाराजा हरि सिंह की छवि धूमिल करने की कोशिश के तौर पर देखा। डोगरा राजवंश से ताल्लुक रखने वाली कुंवारी रितु सिंह ने इस बयान को “बेहद दुर्भाग्यपूर्ण” बताया और कहा कि एक शिक्षक को इतिहास की बारीकियों को समझने और संतुलित भाषा में बात करने की ज़रूरत होती है।

Read More : Katrina Kaif: कैटरीना कैफ जन्मदिन विशेष, संघर्ष से सफलता तक का सफर

उठते सवाल और विरोध की लहर

सोशल मीडिया पर यह मुद्दा तेजी से फैल गया, जहां कई लोगों ने खान सर के ज्ञान और उनके इरादों पर सवाल उठाए। ट्विटर, फेसबुक और यूट्यूब जैसे मंचों पर लोग उन्हें माफी मांगने की सलाह दे रहे हैं। वहीं कुछ समर्थकों का मानना है कि उन्होंने इतिहास के तथ्यों को अपने ढंग से बताया है और इसमें कोई अपमानजनक भावना नहीं थी। हालांकि, महाराजा हरि सिंह को लेकर जम्मू-कश्मीर में लोगों की गहरी भावनात्मक जुड़ाव है। वे न सिर्फ एक शासक थे, बल्कि क्षेत्रीय अस्मिता और पहचान के प्रतीक भी माने जाते हैं। ऐसे में उनके निर्णयों पर किसी भी प्रकार की आलोचना लोगों को असहज कर सकती है, खासकर तब जब वह एक सार्वजनिक मंच से की जाए।

Read More : Wellness Retreats in Himalayas: मन की शांति की तलाश? हिमालय में बिताएं कुछ दिन Wellness Retreats के साथ

Khan Sir की बातों से लोगों में उबाल

इस पूरे विवाद ने एक बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या एक शिक्षक को सार्वजनिक मंच पर इतिहास के संवेदनशील विषयों पर बोलते हुए अतिरिक्त सावधानी नहीं बरतनी चाहिए? खान सर की लोकप्रियता को देखते हुए यह स्वाभाविक है कि उनके शब्दों का प्रभाव लाखों युवाओं तक पहुँचता है। ऐसे में तथ्यात्मक जानकारी देना और भाषा की मर्यादा बनाए रखना बेहद आवश्यक हो जाता है। महाराजा हरि सिंह पर की गई टिप्पणी को लेकर उठे विवाद ने यह साफ कर दिया है कि इतिहास, विशेषकर जब वह किसी क्षेत्र की अस्मिता से जुड़ा हो, तो उस पर सार्वजनिक टिप्पणी करते समय बेहद संतुलन और संवेदनशीलता की आवश्यकता होती है। खान सर का यह बयान न केवल उनके लिए विवाद का कारण बन गया, बल्कि यह भी दर्शाता है कि शिक्षा के क्षेत्र में लोकप्रियता के साथ-साथ जिम्मेदारी भी बढ़ जाती है।

We’re now on WhatsApp. Click to join.

अगर आपके पास भी हैं कुछ नई स्टोरीज या विचार, तो आप हमें इस ई-मेल पर भेज सकते हैं info@oneworldnews.com

Back to top button