Heeramandi True Story: हीरामंडी की वो तवायफ जो बन गई थी फिल्म स्टार, इस वजह से डायरेक्टर पति ने कर दी थी गोली मारकर हत्या
Heeramandi True Story: पाकिस्तान का फिल्म उद्योग लॉलीवुड लाहौर में है। आपको बता दें कि लाहौर वही शहर है जहां एक समय में हीरामंडी का शासन था। विभाजन के बाद यह पंजाबी और उर्दू में फिल्मों का निर्माण करने वाला एक प्रमुख फिल्म उद्योग बन गया। कई तवायफों को फिल्म निर्माताओं ने अभिनेत्रियों के रूप में पहचान दिलाई।
Heeramandi True Story: नेटफ्लिक्स पर रिलीज हुई संजय लीला भंसाली की हीरामंडी
एक जमाना था, जब पाकिस्तान के ऐतिहासिक शहर लाहौर की हीरामंडी में शाम ढलते ही रूप-रंग और कला के प्रेमियों का तांता लगना शुरू हो जाता था। इनमें राजा, नवाब, जागीरदार हर कोई शामिल होता था। चमचमाते कोठों के झरोखों से निकलने वाली सुर लहरियां और घुंघरू की छमछम पता देती थीं उन तवायफों का, जिनकी एक अदा पर दौलतमंद अपना सबकुछ लुटा देने को तैयार बैठे रहते थे। आपको बता दें कि हीरामंडी पाकिस्तान का एक ‘शाही मोहल्ला’ है, इसका नाम पंजाब प्रांत के राजा हीरा सिंह नाभा के नाम से लिया गया था। इसे पाकिस्तान के रेड लाइट एरिया के तौर पर भी जाना जाता है। एक समय ऐसा था जब ये जगह तमीज और तहजीब के लिए जानी जाती थी। मुगलकाल में तवायफें यहां केवल मुजरा पेश करतीं थीं।। धीरे-धीरे ये जगह’ वेश्यावृत्ति का केंद्र बन गया और ‘हीरामंडी’ के नाम से मशहूर हो गया। Heeramandi True Story
इसी कहानी को लेकर संजय लीला भंसाली की महाकाव्य गाथा ‘हीरामंडी: द डायमंड बाजार’ का आखिरकार 1 मई को नेटफ्लिक्स पर प्रीमियर हो गया है। जिसे दर्शकों का खूब प्यार मिल रहा है। यह सीरीज लाहौर में स्थित सुंदरियों के बाजार, जो एक समय पर लोकप्रिय हीरा मंडी की वेश्याओं की एक काल्पनिक कहानी है। आज हम आपको हीरामंडी की उस तवायफ के बारे में बताने जा रहे हैं जिसने सबसे ज्यादा फीस ली थी।
लाहौर में है पाकिस्तान का फिल्म उद्योग Heeramandi True Story
पाकिस्तान का फिल्म उद्योग लॉलीवुड लाहौर में है। आपको बता दें कि लाहौर वही शहर है जहां एक समय में हीरामंडी का शासन था। विभाजन के बाद यह पंजाबी और उर्दू में फिल्मों का निर्माण करने वाला एक प्रमुख फिल्म उद्योग बन गया। कई तवायफों को फिल्म निर्माताओं ने अभिनेत्रियों के रूप में पहचान दिलाई। दरअसल ये 60 के दशक की बात है जब नरगिस बेगम उर्फ निग्गो ने स्टार बनने के लिए हीरा मंडी छोड़ दी थी। अपनी नृत्य कला के लिए जानी जाने वाली निग्गो लॉलीवुड में शीर्ष आइटम गर्ल बन गईं। उन्होंने 1964 में फिल्म ‘इशरत’ से डेब्यू किया था। आपको जानकर हैरानी होगी कि निग्गों ने 100 से अधिक फिल्मों में काम किया था।
निग्गो ने की थी डायरेक्टर से शादी Heeramandi True Story
1971 में फिल्म कासु की शूटिंग के दौरान निग्गो की मुलाकात फिल्म डायरेक्टर ख्वाजा मजहर से हुई। दोनों में दोस्ती हुई और दोस्ती प्यार में बदल गई। इसके बाद दोनों ने शादी कर ली। लेकिन इस शादी को हीरामंडी में निग्गो के परिवार की मंजूरी नहीं मिली। क्योंकि तवायफों की शादी को नापसंद किया जाता था। निग्गो की मां ने बीमारी का बहाना बनाया और उसे वापस हीरामंडी ले आई। जहां उसने उसका ब्रेनवॉश किया और उसे यहीं रहने के लिए भावनात्मक रूप से ब्लैकमेल किया। इसके बाद वो वहीं रुक गई।
5 जनवरी 1972 को हुई थी तवायफ की हत्या Heeramandi True Story
निग्गो के पति निर्माता ख्वाजा मजहर ने उन्हें वापस लाने के लिए कई कोशिशें कीं, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। 5 जनवरी 1972 को मजहर उन्हें घर लौटने के लिए मनाने हीरामंडी पहुंचे, लेकिन फिर असफल रहे। इसके बाद उन्होंने अपना आपा खो दिया और निग्गो की गोली मारकर हत्या कर दी।
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गोलीबारी में निग्गो के चाचा और दो संगीतकारों की भी हत्या कर दी गई। निग्गो के पति को सार्वजनिक मुकदमे में अदालत ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई और उसकी भी स्वाभाविक मौत हो गई। निग्गो को लाहौर के मियां साहिब कब्रिस्तान में दफनाया गया था।
तवायफों पर बन चुकी हैं कई फिल्में Heeramandi True Story
आपको बता दें कि हीरामंडी से पहले भी संजय लीला भंसाली सेक्स वर्कर्स से जुड़ी फिल्म गंगुबाई काठियावाड़ी बना चुके हैं। इसके अलावा भी बॉलीवुड की कई ऐसी फिल्में हैं, जो वेश्यावृत्ति पर बनी हैं और समय-समय पर समाज की आंखें खोलने की कोशिश करती हैं। हीरामंडी की कुछ महिलाएं ऐसी थीं जो केवल मुजरा करती थीं। इन्हें तवायफ कहा जाता था और ये तवायफ कहलाने पर प्राउड फील करती थीं। इन महिलाओं का दावा था कि वे प्रॉस्टिट्यूशन के काम में नहीं आईं। ये वो हैं, जिनकी पुरखें सदियों से यहां काम कर रही हैं। कई रिपोर्ट्स में इस बात का जिक्र मिलता है कि ये रात के 11 से 1 के बीच ही मुजरा करती थीं।
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