Ayushmann Khurrana: जन्मदिन पर खास, जानिए आयुष्मान खुराना के संघर्ष से सफलता तक का सफर
Ayushmann Khurrana, हिंदी सिनेमा में ऐसे बहुत कम कलाकार हुए हैं जिन्होंने एक साथ अभिनेता, गायक, लेखक और एंकर के रूप में अपनी पहचान बनाई हो।
Ayushmann Khurrana : नेशनल अवॉर्ड विनर आयुष्मान खुराना का जन्मदिन बना खास
Ayushmann Khurrana, हिंदी सिनेमा में ऐसे बहुत कम कलाकार हुए हैं जिन्होंने एक साथ अभिनेता, गायक, लेखक और एंकर के रूप में अपनी पहचान बनाई हो। आयुष्मान खुराना (Ayushmann Khurrana) उन्हीं में से एक हैं। अपने शानदार अभिनय, अनोखे किरदारों और दिल छू लेने वाले गीतों के जरिए उन्होंने करोड़ों दर्शकों का दिल जीता है। हर साल उनका जन्मदिन उनके चाहने वालों के लिए खास होता है क्योंकि यह सिर्फ एक अभिनेता का नहीं बल्कि एक ऐसे कलाकार का दिन होता है जिसने हिंदी सिनेमा को नई दिशा दी है।
शुरुआती जीवन और शिक्षा
आयुष्मान खुराना का जन्म 14 सितंबर 1984 को चंडीगढ़, पंजाब में हुआ। उनका पूरा नाम निशांत खुराना था, जिसे बाद में बदलकर आयुष्मान कर दिया गया। उनके पिता पी. खुराना एक ज्योतिषी थे जबकि उनकी मां पूनम खुराना गृहिणी हैं। आयुष्मान बचपन से ही एक्टिंग और म्यूजिक में रुचि रखते थे। उन्होंने चंडीगढ़ के सेंट जॉन्स हाई स्कूल से पढ़ाई की और आगे डीएवी कॉलेज, चंडीगढ़ से इंग्लिश लिटरेचर में ग्रेजुएशन किया। इसके बाद उन्होंने पंजाब यूनिवर्सिटी से मास कम्युनिकेशन में मास्टर्स की डिग्री हासिल की। पढ़ाई के दिनों में ही वह थिएटर और स्ट्रीट प्ले में सक्रिय हो गए थे और उन्होंने एक्टिंग के लिए खुद को तैयार करना शुरू कर दिया था।
करियर की शुरुआत
आयुष्मान खुराना को सबसे पहले पहचान मिली जब उन्होंने रियलिटी शो MTV रोडीज़ सीजन 2 (2004) जीता। इस जीत ने उन्हें एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री में जगह दिलाई। इसके बाद वह कई टीवी शोज़ में एंकर के रूप में नजर आए, जैसे – इंडियाज गॉट टैलेंट और म्यूजिक का महामुकाबला। हालांकि फिल्मों में उनका असली सफर शुरू हुआ शूजीत सरकार की फिल्म “विक्की डोनर” (2012) से। इसमें उन्होंने एक ऐसे लड़के की भूमिका निभाई जो स्पर्म डोनर बनता है। यह किरदार अलग था और भारतीय सिनेमा के लिए बिल्कुल नया कॉन्सेप्ट। इस फिल्म ने उन्हें न सिर्फ स्टारडम दिलाया बल्कि फिल्मफेयर अवॉर्ड फॉर बेस्ट डेब्यू भी दिलाया।
फिल्मों में खास सफर
आयुष्मान खुराना उन चुनिंदा कलाकारों में से हैं जिन्होंने हमेशा ऐसे विषय चुने जिन पर बॉलीवुड आमतौर पर ध्यान नहीं देता। उनकी फिल्में सिर्फ मनोरंजन ही नहीं बल्कि समाज को संदेश भी देती हैं।
- दम लगा के हइशा (2015) – इसमें उन्होंने एक अनिच्छुक पति का किरदार निभाया, जो अपनी पत्नी के साथ रिश्ते को समझने की कोशिश करता है।
- बरेली की बर्फी (2017) – रोमांटिक कॉमेडी में उनका किरदार दर्शकों को खूब भाया।
- शुभ मंगल सावधान (2017) – इसमें उन्होंने पुरुषों से जुड़े स्वास्थ्य विषय पर शानदार अभिनय किया।
- अंधाधुन (2018) – यह फिल्म उनकी करियर की बेस्ट फिल्मों में से एक मानी जाती है। एक अंधे पियानो वादक का रोल निभाकर उन्होंने दर्शकों को चौंका दिया। इस फिल्म के लिए उन्हें नेशनल अवॉर्ड फॉर बेस्ट एक्टर भी मिला।
- बधाई हो (2018) – इसमें उन्होंने एक मध्यमवर्गीय लड़के का किरदार निभाया जिसकी मां उम्रदराज़ होने के बावजूद प्रेग्नेंट हो जाती हैं।
- आर्टिकल 15 (2019) – जातिवाद और सामाजिक असमानता पर आधारित इस फिल्म ने उन्हें गंभीर अभिनेता के रूप में स्थापित किया।
सिंगिंग करियर
आयुष्मान खुराना सिर्फ बेहतरीन एक्टर ही नहीं बल्कि शानदार गायक भी हैं। उनका पहला गाना “पानी दा रंग” (फिल्म विक्की डोनर) सुपरहिट हुआ और आज भी लोगों की प्लेलिस्ट में शामिल है। इसके अलावा उन्होंने कई फिल्मों में गाने गाए हैं जो युवाओं के बीच बेहद लोकप्रिय हुए।
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अवॉर्ड्स और उपलब्धियां
आयुष्मान खुराना को अब तक कई पुरस्कारों से नवाज़ा जा चुका है। अंधाधुन (2018) के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेता। बेस्ट डेब्यू, बेस्ट एक्टर (क्रिटिक्स), और कई अन्य कैटेगरी में। उन्हें फोर्ब्स इंडिया की 100 सबसे प्रभावशाली हस्तियों की सूची में भी शामिल किया गया है।
निजी जीवन
आयुष्मान खुराना ने अपनी बचपन की दोस्त ताहिरा कश्यप से शादी की है। दोनों के दो बच्चे हैं – विराजवीर और वरुष्का। आयुष्मान का मानना है कि उनकी सफलता में उनकी पत्नी का सबसे बड़ा योगदान रहा है, जिन्होंने हमेशा उनका साथ दिया।
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आयुष्मान खुराना का प्रभाव
आज आयुष्मान खुराना सिर्फ एक अभिनेता नहीं बल्कि एक सोच और प्रेरणा बन चुके हैं। उन्होंने यह साबित कर दिया है कि बिना बड़े परिवार या गॉडफादर के भी टैलेंट और मेहनत के दम पर बॉलीवुड में जगह बनाई जा सकती है। उनकी फिल्मों ने समाज को सोचने पर मजबूर किया और लोगों के नजरिए को बदला। आयुष्मान खुराना का जन्मदिन उनके प्रशंसकों और हिंदी सिनेमा दोनों के लिए एक उत्सव है। उन्होंने अपनी मेहनत, संघर्ष और अनोखे चुनावों के जरिए जो मुकाम हासिल किया है, वह काबिल-ए-तारीफ है। आज वे लाखों युवाओं के लिए प्रेरणा हैं। उनके जन्मदिन पर यही कामना की जाती है कि वे आगे भी इसी तरह नई-नई कहानियां चुनकर सिनेमा को समृद्ध करते रहें और दर्शकों का मनोरंजन करते रहें।
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