90’s के बेस्ट किड्स सीरियल जो दिलाते हैं आपको अपने बचपन की याद
शक्तिमान की लोकप्रियता इतनी ज्यादा थी कि दोबारा से टेलीकास्ट किया गया
आज के समय में टीवी देखना कितना आसान हो गया है। एक वक्त था जब लोगों के घरों में एक टीवी हुआ करती थी और उसके रिमोटर पर कब्जा करने वाले लोगों की संख्या ज्यादा। घर में हर किसी की अलग-अलग फरमाईसे होती थी। लेकिन एक ही टीवी होने के कारण कई बार घर के सदस्यों में बहसबाजी भी हुआ करती थी। आज के दौर में एक ही समय पर एक बच्चें को कॉर्टून देखना है। मम्मी को सीरियल और पापा को क्रिकेट देखना है तो हर कोई अपनी-अपनी सुविधा से देख सकते हैं। लेकिन 90 के दशक के दौर का सुहाना वक्त जो लोगों के जहन में बस गया है। उस वक्त के बच्चों के सीरियल भी बच्चों के साथ-साथ परिवार के अन्य सदस्य भी देखते थे। तो चलिए आज आपको उस वक्त के बच्चों के कुछ सीरियल के बारे में बताते हैं।
शक्तिमान
दूरदर्शन पर यह धारावाहिक साल 1997 से प्रस्तारित होना शुरु हुआ। शुरुआती दौर में यह शनिवार को प्रस्तारित हुआ था। लेकिन बच्चों के बीच इसकी लोकप्रियता को देखते हुए इसका समय बदलकर रविवार कर दिया गया। यह कहानी एक ऐसे शख्स की थी जो लोगों की मदद करने के साथ-साथ जैकाल के हर मनसूबे को नाकाम कर देता था। बच्चों के बीच शक्तिमान यानि की मुकेश खन्ना की लोकप्रियता इतनी ज्यादा थी कि शक्तिमान की कॉस्टूयम पर मार्केट में मिलने लग गया थी। उस वक्त की ज्यादातर बच्चों ने इस ड्रेस को खरीदा था। आज भी इसकी लोकप्रियता इतनी ज्यादा है कि लॉकडाउन के दौरान जब रामायण और महाभारत को दोबारा से दूरदर्शन में प्रसारित किया गया था। तो उसी दौरान शक्तिमान का भी प्रसारण हुआ था।
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शाका लाका बूम-बूम
स्टार प्लस पर प्रसारित होने वाले यह सीरियल उस वक्त के बच्चों के लिए कॉर्टून सीरियल था। जो स्कूल के बच्चों पर आधारित था। जहां संजू नाम का एक लड़का अपनी जादुई पेसिंल से हर परेशानी का हल निकाल लेता है. बच्चों की जो भी परेशानी होती थी। वह संजू को बताते और वह उसका निवारण करके देता था। इसकी लोकप्रियता इतनी ज्यादा थी। स्कूल जाने वाला हर बच्चा संजू की पेसिंल जैसी पेसिंल से ही लिखने लग गया था। आज के दौर में यह सीरियल एक बार फिर प्रसारित होने वाला है.
विलायती बाबू
यह सीरियल शनिवार के दिन दूरदर्शन में प्रसारित हुआ करता था। जिसमें मुख्य भूमिका में शेखर सुमन है। जिन्हें मां का देहांत हो जाता है। और एक बुजुर्ग जो की बाबा है वह उसे उसक मां से फोन पर बात कराने का दावा करता है।
मालगुड़ी डेज
मालगुड़ी डेज यह आर के नारायण की नॉवेल की कहानियों पर आधारित था। यह ज्यादातर गर्मी छुट्टी में प्रसारित होता था। ताकि बच्चे इसे देख पाएं। उस वक्त केवल का प्रसार बहुत ज्यादा हुआ नहीं था और गांव, कस्बों में टीवी पर सिर्फ दूरदर्शन ही देखा जाता था। ऐसे वक्त में यह सीरियल बच्चों के लिए शिक्षा के साथ-साथ एंटरटेनमेंट का एक अच्छा साधन था।
सोनपरी
यह सीरियल साल 2000 में स्टार प्लस पर प्रसारित होने लगा था। यह कहानी फ्रूटी और सोना आंटी की थी। जिसमें सोना आंटी फ्रूटी को हर मुसीबत से बचाने के लिए हाजिर हो जाया करती थी। इस सीरियल को भी बच्चों ने खूब पसंद किया था।
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