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Indian Cinema: एक रुपए के टिकट में छुपी थी पहली फिल्म की मग्नाई, 7 जुलाई 1896 के दिन जगी थी सिनेमा की यह नयी कहानी

भारत में पहली फिल्म की स्क्रीनिंग 7 जुलाई 1896 में मुंबई के वॉटसन होटल में की गई थी। हिन्दुस्तान में सिनेमा को आए हुए पुरे 127 साल हो गए हैं।

Indian Cinema: 7 जुलाई 1896 को मुंबई के वॉटसन होटल में दिखाई गई थी 6 फिल्में

आज हिंदुस्तान में सिनेमा को आए हुए पुरे 127 साल हो गए हैं। 7 जुलाई 1896 को हिंदुस्तान में सिनेमा की शुरुआत हुई थी।अगर आप फिल्में देखने के लिए हजारों रुपये खर्च कर देतें है। पर उस दौरान सिनेमा देखने के लिए सिर्फ एक रुपये देना पड़ता था, जिसकी कीमत उस समय एक तोले सोने के बराबर था।

भारतीय सिनेमा का अजूबा इतिहास –

7 जुलाई 1896 को मुंबई के वॉटसन होटल में 6 फिल्में दिखाई गई थी। टिकट की कीमत एक रुपए थी।इस घटना को सदी का चमत्कार बताते है। इस घटना को भारतीय सिनेमा का जन्म माना जाता है। फिल्म दिखाने वाले थे ऑगस्ट लूमियर और उनके भाई लुई लूमियर। 14 जुलाई को उन्होंने बॉम्बे के नॉवेल्टी थिएटर में फिल्मों की दूसरी स्क्रीनिंग रखी, जिसमें कुल 24 फिल्में दिखाई गईं।स्क्रीनिंग के पहले दिन तकरीबन 200 लोगों ने वहां सिनेमा का आनंद लिया था। वहां 7 से 13 जुलाई तक फिल्मों को चलाया गया था और दर्शक सिनेमा नाम के उस चमत्कार को देख अभिभूत हो गए थे। उसके बाद इन फिल्मों को मुंबई के नोवेल्टी थिएटर में भी दिखाया गया था।

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भारत की पहली मोशन फिल्म –

अगले साल एक फोटोग्राफर हीरालाल सेन ने कलकत्ता के स्टार थिएटर में एक शो के अलग-अलग फोटो खींचकर एक फिल्म बनाई जिसे ‘फ्लॉवर ऑफ पर्शिया’ नाम दिया गया। 1899 में एच.एस. भाटवडेकर ने मुंबई के एक कुश्ती मुकाबले को शूट कर फिल्म बनाई। इसके बाद अलग-अलग लोग फिल्म कला में हाथ आजमाने लगे। 18 मई 1912 को दादा साहब तोडने ने श्री पांडुलिक नाम से फिल्म रिलीज की।

अभी तक किसी भारतीय ने फुल लेंथ फीचर फिल्म नहीं बनाई थी, लेकिन 1910 से दादा साहेब फाल्के इस काम में लग चुके थे। उन्होंने ‘द लाइफ ऑफ क्राइस्ट’ देखकर फैसला ले लिया था कि वो भी भारतीय पौराणिक कथाओं पर फिल्म बनाएंगे। दादा साहेब लंदन गए और वहां से फिल्म बनाने के लिए जरूरी तकनीक सीखीं और सामान लेकर आए।हीरालाल की उस फिल्म का नाम द फ्लावर ऑफ पर्शिया था जो 1898 में रिलीज हुई थी। यह भारत की पहली मोशन पिक्चर थी।

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