Car Tires : कार के लिए नया टायर खरीदने से पहले इन बातों का रखें ध्यान, कभी नहीं पड़ेगा पछताना
अगर कार के टायर अच्छी कंडीशन में होती हैं तो कार ड्राइविंग एक्सपीरियंस जबरदस्त होता है। ऐसे में अगर आप नया टायर खरीदने की सोच रहे है तो कुछ खास बातों का ध्यान रखना चाहिए।
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अगर कार के टायर अच्छी कंडीशन में होती हैं तो कार ड्राइविंग एक्सपीरियंस जबरदस्त होता है। ऐसे में अगर आप नया टायर खरीदने की सोच रहे है तो कुछ खास बातों का ध्यान रखना चाहिए।
कार के लिए टायर का महत्व क्या है –
आज के समय मे कार सिर्फ शौक के रूप में ही नहीं बल्कि सबसे खास जरूरतों में से एक मानी जाती है। यो कहा जाए कि हमारे जीवन का एक अहम हिस्सा कार है तो ये गलत नही होगा। ये तो सभी जानते है कि कार बनाने में बहुत सारे छोटे-छोटे पार्ट्स होते है। इसमें एक बोल्ट से लेकर इंजन तक सबका अपना एक महत्वपूर्ण योगदान होता है। ऐसा ही एक बहुत महत्वपूर्ण पार्ट टायर्स भी होते हैं। अगर कार के टायर अच्छी कंडीशन में हैं तो कार ड्राइविंग एक्सपीरियंस बहुत अच्छा होता है। लेकिन अगर टायर में कुछ दिक्कत होने पर कार चलाना काफी मुश्किल हो जाता है,ऐसे में ये जरूरी हो जाता है कि आपकी कार में एक अच्छा टायर लगा होना बेहद जरूरी हो जाता है।
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टायर की लाइफ –
वैसे तो कार का टायर कितना चलेगा यह कई कारकों पर निर्भर करता है। जैसे कि, मौसम, सड़क की स्थिति एवं ड्राइविंग बिहेवियर आदि। यदि अगर आपको लगता है कि आपकी कार के टायर का खराब हो चुका है और वह अच्छे से काम नहीं कर रहा है तो नया टायर लेने से पहले आप कुछ बातों पर ध्यान देना आवश्यक हो जाता है।
सही साइज का चुनाव –
किसी भी कार का टायर चुनते समय सबसे जरूरी यह होता है कि उसका साइज एकदम सही होना चाहिए। यह कार चालक एव सड़क पर चल रहे अन्य लोगों की सुरक्षा की लिहाज से काफी आवश्यक होता है। आमतौर पर तो टायर का आकार उसके साइड वॉल पर लिखा होता है। इसलिए जब आप जब भी नया टायर खरीदने जाएं तो पहले पुराने टायर पर लिखे साइज को अवश्य चेक कर लेना चाहिए। वैसे तो आपको यह नंबर यूजर मैनुअल पर भी मिल जाता है।
मैन्युफैक्चरिंग डेट चेक करें –
कार के सभी टायर रबड़ के बने होते हैं और समय के साथ यह खराब हो जाते हैं। भारत जैसी गर्म जलवायु में तो यह और जल्दी खराब हो जाते हैं। इसलिए ब्रांड न्यू टायर खरीदने से पहले भी आप उसकी मैन्युफैक्चरिंग डेट जरूर चेक कर लेना चाहिए। सबसे जरूरी बात यह है कि बहुत ज्यादा पुराने टायर खरीदने से बचना चाहिए और टायर पर डीओटी से शुरू होने वाले नंबर को चेक कर लेना जरुरी होता है क्योकि इससे आपको टायर बनने का सप्ताह और साल के बारे में पता चल जाता है।
ग्रिप और क्वालिटी को करें चेक –
वैसे तो रबर के अच्छे होने से टायर की लाइफ बढ़ जाती है। टायर की रबर जितनी अच्छी होगी सड़क पर उसकी ग्रिप उतनी ही अच्छी बनती है और साथ ही कार को कंट्रोल करने में भी आसानी होती है। जहां तक कार के टायर बदलने का सवाल होता है, तो छोटे हैचबैक टायरों की औसत आयु लगभग 40,000 किलोमीटर होती है, लेकिन उनके उपयोग के आधार पर यह 50,000 किलोमीटर तक भी चल सकते हैं। इसलिए इन सभी बातों का ध्यान रखते हुए टायर खरीदना चाहिए।