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Ovarian Cancer Awareness Month: ओवरी कैंसर जागरूकता माह 2025, समय पर जांच और इलाज का महत्व

Ovarian Cancer Awareness Month: हर साल सितंबर को ओवरी कैंसर अवेयरनेस मंथ (Ovarian Cancer Awareness Month) के रूप में मनाया जाता है।

Ovarian Cancer Awareness Month : ओवरी कैंसर अवेयरनेस मंथ, महिलाओं के लिए स्वास्थ्य टिप्स

Ovarian Cancer Awareness Month, हर साल सितंबर को ओवरी कैंसर अवेयरनेस मंथ (Ovarian Cancer Awareness Month) के रूप में मनाया जाता है। इसका उद्देश्य महिलाओं को ओवरी कैंसर के जोखिम, लक्षण और समय पर इलाज के महत्व के बारे में जागरूक करना है। ओवरी कैंसर एक ऐसा कैंसर है जो अंडाशय (Ovaries) में विकसित होता है और अक्सर शुरुआती चरणों में इसके लक्षण स्पष्ट नहीं होते। इसी वजह से इसे “साइलेंट किलर” भी कहा जाता है।

ओवरी कैंसर क्या है?

ओवरी कैंसर महिलाओं के प्रजनन तंत्र के अंग अंडाशय (Ovaries) में विकसित होने वाला कैंसर है। अंडाशय महिलाओं में हार्मोन और अंडों का निर्माण करता है। जब अंडाशय की कोशिकाएं अनियंत्रित रूप से बढ़ने लगती हैं, तो यह कैंसर का रूप ले लेता है। ओवरी कैंसर मुख्य रूप से 50 वर्ष से अधिक उम्र की महिलाओं में देखा जाता है, लेकिन यह किसी भी उम्र में हो सकता है।

लक्षण और चेतावनी संकेत

ओवरी कैंसर के शुरुआती लक्षण अक्सर सामान्य स्वास्थ्य समस्याओं से मिलते-जुलते होते हैं। इसलिए महिलाओं को इन संकेतों को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। प्रमुख लक्षण हैं:

  • पेट या नाभि के आसपास लगातार दर्द या सूजन
  • बार-बार यूरिन की इच्छा होना
  • भूख कम लगना या जल्दी पेट भर जाना
  • लगातार थकान महसूस होना
  • वजन घटाना या बढ़ना
  • मासिक धर्म में बदलाव
  • यौन संबंध बनाने में असुविधा

यदि इन लक्षणों में से कोई भी लगातार 2–3 हफ्तों तक बना रहे, तो तुरंत डॉक्टर से परामर्श लेना जरूरी है।

ओवरी कैंसर के कारण

ओवरी कैंसर के कई संभावित कारण हो सकते हैं:

  • उम्र: 50 वर्ष से ऊपर की महिलाओं में अधिक संभावना
  • फैमिली हिस्ट्री: अगर परिवार में किसी को ब्रेस्ट या ओवरी कैंसर रहा हो
  • हार्मोनल बदलाव: हार्मोन थेरेपी या देर से मां बनने जैसी स्थितियां
  • लाइफस्टाइल फैक्टर्स: अस्वस्थ आहार, धूम्रपान और मोटापा

हालांकि, इन कारणों का मतलब यह नहीं कि हर महिला को ओवरी कैंसर होगा, लेकिन जोखिम बढ़ सकता है।

समय पर जांच और डायग्नोसिस

ओवरी कैंसर का समय पर पता लगना सबसे महत्वपूर्ण है। इसके लिए डॉक्टर कई प्रकार की जांच सुझाते हैं:

  • पेल्विक एक्सामिनेशन – अंडाशय और गर्भाशय का फिजिकल चेकअप
  • अल्ट्रासाउंड और सीटी स्कैन – अंडाशय में गांठ या असामान्य वृद्धि देखना
  • ब्लड टेस्ट (CA-125 टेस्ट) – कैंसर मार्कर का पता लगाने के लिए

यदि समय पर पहचान हो जाए, तो ओवरी कैंसर का इलाज ज्यादा प्रभावी और सफल होता है।

ओवरी कैंसर का इलाज

ओवरी कैंसर के इलाज के लिए कई विकल्प मौजूद हैं, जो कैंसर के स्टेज और महिला की सेहत पर निर्भर करते हैं।

  1. सर्जरी (Surgery): कैंसर वाले हिस्से को निकालना
  2. कीमोथेरपी (Chemotherapy): दवाओं के माध्यम से कैंसर कोशिकाओं को नष्ट करना
  3. रेडिएशन थेरेपी (Radiation Therapy): किरणों से कैंसर कोशिकाओं को मारना
  4. टार्गेटेड थेरेपी (Targeted Therapy): शरीर की कैंसर कोशिकाओं पर केंद्रित दवा

इनके अलावा हेल्थकेयर प्रोफेशनल्स मरीजों को न्यूट्रिशन और मानसिक स्वास्थ्य के लिए भी गाइड करते हैं।

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ओवरी कैंसर अवेयरनेस मंथ का महत्व

ओवरी कैंसर अवेयरनेस मंथ का मुख्य उद्देश्य है:

  • महिलाओं को इस बीमारी के लक्षणों के बारे में जागरूक करना
  • समय पर जांच और इलाज के महत्व को समझाना
  • समाज में कैंसर के प्रति मिथक और गलतफहमियों को दूर करना
  • महिला स्वास्थ्य और प्रजनन तंत्र के प्रति जिम्मेदारी बढ़ाना

इस महीने के दौरान कई हेल्थ कैम्प, सेमिनार और सोशल मीडिया कैंपेन आयोजित किए जाते हैं। ब्लू रिबन या नीले रंग के प्रतीक के रूप में इसका प्रचार किया जाता है।

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जीवनशैली और सुरक्षा उपाय

ओवरी कैंसर से बचाव में जीवनशैली की भूमिका अहम है। कुछ जरूरी उपाय:

  • स्वस्थ और संतुलित आहार: फल, सब्जियां, साबुत अनाज और कम फैट वाला भोजन
  • नियमित व्यायाम और योग
  • धूम्रपान और शराब से दूरी
  • मासिक और सालाना स्वास्थ्य जांच
  • परिवार और डॉक्टर से कैंसर इतिहास साझा करना

साथ ही महिलाओं को खुद की बॉडी पर ध्यान देना चाहिए और किसी भी असामान्य लक्षण को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। ओवरी कैंसर एक गंभीर बीमारी है, लेकिन जागरूकता, समय पर जांच और सही इलाज से इसे नियंत्रित किया जा सकता है। ओवरी कैंसर अवेयरनेस मंथ हमें याद दिलाता है कि महिलाओं को अपनी सेहत की देखभाल और नियमित जांच की जरूरत है। इस महीने का संदेश है कि “जानकारी और सावधानी ही सबसे बड़ा बचाव है।” इस मौके पर परिवार, दोस्तों और समाज को मिलकर महिलाओं के स्वास्थ्य को प्राथमिकता देनी चाहिए और उन्हें इस बीमारी के बारे में जागरूक करना चाहिए।

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