Eco-Friendly Ganesh Idols: गणेश चतुर्थी का हरित रूप, ईको-फ्रेंडली मूर्तियों का बढ़ता चलन
Eco-Friendly Ganesh Idols, गणेश चतुर्थी भारत का एक प्रमुख और लोकप्रिय त्योहार है, जो बड़े ही धूमधाम और भक्ति भाव से मनाया जाता है।
Eco-Friendly Ganesh Idols : हरित त्योहार की ओर कदम, अपनाएं पर्यावरण हितैषी गणेश प्रतिमाएं
Eco-Friendly Ganesh Idols, गणेश चतुर्थी भारत का एक प्रमुख और लोकप्रिय त्योहार है, जो बड़े ही धूमधाम और भक्ति भाव से मनाया जाता है। हर साल लाखों की संख्या में गणेश प्रतिमाएं स्थापित की जाती हैं और उत्सव के बाद विसर्जन किया जाता है। लेकिन पारंपरिक प्लास्टर ऑफ पेरिस (POP) की मूर्तियां और रासायनिक रंग जल और पर्यावरण को गंभीर रूप से प्रदूषित करते हैं। इसी समस्या के समाधान के रूप में ईको-फ्रेंडली गणेश प्रतिमाओं का चलन तेजी से बढ़ रहा है, जो पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
पर्यावरणीय खतरा
POP से बनी प्रतिमाएं पानी में आसानी से नहीं घुलतीं और विसर्जन के बाद नदियों, झीलों और समुद्र में लंबे समय तक बनी रहती हैं। साथ ही, इन पर इस्तेमाल किए गए रासायनिक रंग जलजीवों और पौधों के लिए हानिकारक होते हैं। इससे न केवल जल प्रदूषण बढ़ता है बल्कि मछलियों और अन्य जलीय प्रजातियों की मृत्यु भी हो सकती है।
ईको-फ्रेंडली प्रतिमाओं का महत्व
ईको-फ्रेंडली गणेश प्रतिमाएं मिट्टी, प्राकृतिक रंग, पेपर मेशे और बायोडिग्रेडेबल सामग्री से बनाई जाती हैं। इनका विसर्जन करने पर ये आसानी से पानी में घुल जाती हैं और किसी भी प्रकार का हानिकारक अवशेष नहीं छोड़तीं। कुछ प्रतिमाएं तो ऐसी होती हैं जिनमें बीज लगाए जाते हैं, ताकि विसर्जन के बाद मिट्टी में डालने पर पौधे उग सकें। यह न केवल पर्यावरण की रक्षा करता है बल्कि हरियाली भी बढ़ाता है।
Read More : Mother Teresa Birthday: मदर टेरेसा जन्मदिन, सेवा के लिए समर्पित जीवन की कहानी
सांस्कृतिक और सामाजिक संदेश
ईको-फ्रेंडली मूर्तियां अपनाना एक सामाजिक जिम्मेदारी का हिस्सा है। यह आने वाली पीढ़ियों के लिए स्वच्छ और सुरक्षित पर्यावरण छोड़ने की दिशा में एक सकारात्मक कदम है। इससे लोगों के बीच पर्यावरण के प्रति जागरूकता भी बढ़ती है और समाज में यह संदेश जाता है कि हम अपनी परंपराओं को निभाते हुए भी प्रकृति का संरक्षण कर सकते हैं।
आर्थिक पहलू
ईको-फ्रेंडली मूर्तियों के बढ़ते चलन से स्थानीय कारीगरों और शिल्पकारों को भी रोजगार के नए अवसर मिलते हैं। पारंपरिक तरीके से मिट्टी की मूर्तियां बनाने की कला को भी बढ़ावा मिलता है, जो आधुनिक समय में धीरे-धीरे खत्म हो रही थी। इससे न केवल पर्यावरण बचता है, बल्कि भारतीय हस्तशिल्प की परंपरा भी मजबूत होती है। ईको-फ्रेंडली गणेश प्रतिमाएं अपनाना केवल एक फैशन या ट्रेंड नहीं, बल्कि यह हमारी पृथ्वी और आने वाली पीढ़ियों के लिए एक जिम्मेदारी है। गणेश चतुर्थी के उत्सव में थोड़े से बदलाव के साथ हम न केवल भगवान गणेश का स्वागत भक्ति भाव से कर सकते हैं, बल्कि उनकी कृपा से अपने पर्यावरण को भी संरक्षित रख सकते हैं। इस बार का गणेशोत्सव हरित त्योहार बनाएं और ‘विघ्नहर्ता’ से प्रार्थना करें कि वे हमारे जीवन के साथ-साथ हमारी धरती के विघ्न भी दूर करें।
We’re now on WhatsApp. Click to join.
अगर आपके पास भी हैं कुछ नई स्टोरीज या विचार, तो आप हमें इस ई-मेल पर भेज सकते हैं info@oneworldnews.com







