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Kedarnath Ropeway: अब और आसान होगी केदारनाथ यात्रा, जल्द शुरू होगा रोपवे निर्माण

Kedarnath Ropeway: उत्तराखंड में तीर्थयात्रियों और पर्यटकों के लिए यात्रा को सुगम और सुविधाजनक बनाने के उद्देश्य से राज्य सरकार ने रोपवे परियोजनाओं पर विशेष ध्यान देना शुरू किया है।

Kedarnath Ropeway : पर्यटन को मिलेगा नया आयाम, केदारनाथ धाम तक जल्द दौड़ेगा रोपवे

Kedarnath Ropeway, उत्तराखंड में तीर्थयात्रियों और पर्यटकों के लिए यात्रा को सुगम और सुविधाजनक बनाने के उद्देश्य से राज्य सरकार ने रोपवे परियोजनाओं पर विशेष ध्यान देना शुरू किया है। हाल ही में, केदारनाथ धाम और हेमकुंड साहिब जैसे प्रमुख तीर्थ स्थलों को रोपवे से जोड़ने की परियोजनाओं को मंजूरी दी गई है, जिससे उत्तराखंड नई ऊंचाइयों को छूने की दिशा में अग्रसर है।

केदारनाथ रोपवे परियोजना

केदारनाथ धाम, जो समुद्र तल से 3,583 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है, हर साल लाखों श्रद्धालुओं का स्वागत करता है। वर्तमान में, गौरीकुंड से केदारनाथ तक की 16 किलोमीटर की कठिन चढ़ाई को तय करने में तीर्थयात्रियों को 6 से 7 घंटे लगते हैं। इस यात्रा को सुगम बनाने के लिए 9.7 किलोमीटर लंबे रोपवे का निर्माण प्रस्तावित है, जिससे यह दूरी मात्र 28 से 30 मिनट में पूरी की जा सकेगी।

956 करोड़ रुपये का बजट

इस परियोजना के लिए 956 करोड़ रुपये का बजट निर्धारित किया गया है, और निर्माण कार्य जल्द ही शुरू होने की उम्मीद है। रोपवे के सुचारू संचालन के लिए सोनप्रयाग और केदारनाथ में प्रमुख स्टेशन बनाए जाएंगे, जबकि गौरीकुंड, चीरबासा और लिनचोली में सब-स्टेशन स्थापित होंगे। यह रोपवे प्रति घंटे 3,600 यात्रियों को ले जाने में सक्षम होगा, जिससे यात्रा का अनुभव अधिक सुविधाजनक और सुरक्षित होगा।

हेमकुंड साहिब रोपवे परियोजना

सिखों के प्रमुख तीर्थ स्थल हेमकुंड साहिब को भी रोपवे से जोड़ने की योजना को मंजूरी मिली है। यह रोपवे घांघरिया से हेमकुंड साहिब तक बनाया जाएगा, जिससे तीर्थयात्रियों को 4 से 5 घंटे की पैदल यात्रा से मुक्ति मिलेगी और वे रोपवे के माध्यम से आसानी से गुरुद्वारे तक पहुंच सकेंगे।

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पर्यावरणीय और आर्थिक प्रभाव

इन रोपवे परियोजनाओं के निर्माण से न केवल तीर्थयात्रियों की यात्रा सुगम होगी, बल्कि स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी बढ़ावा मिलेगा। पर्यटन में वृद्धि से स्थानीय लोगों के लिए रोजगार के नए अवसर सृजित होंगे, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार होगा। इसके अलावा, रोपवे के माध्यम से माल और सामान का परिवहन भी संभव होगा, जिससे परिवहन लागत में कमी आएगी और स्थानीय व्यापार को लाभ होगा। पर्यावरणीय दृष्टिकोण से, रोपवे निर्माण से पैदल मार्गों पर होने वाले अतिक्रमण और प्रदूषण में कमी आएगी, जिससे क्षेत्र की पारिस्थितिकी संरक्षित रहेगी। सरकार ने इन परियोजनाओं को मंजूरी देने से पहले पर्यावरणीय प्रभावों का गहन अध्ययन किया है और सभी आवश्यक अनुमतियां प्राप्त की हैं।

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प्रधानमंत्री की पर्वतमाला परियोजना के तहत विकास

इन रोपवे परियोजनाओं को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पर्वतमाला परियोजना के तहत विकसित किया जा रहा है, जिसका उद्देश्य पर्वतीय क्षेत्रों में कनेक्टिविटी और पर्यटन को बढ़ावा देना है। इस पहल के माध्यम से, उत्तराखंड में बुनियादी ढांचे का विकास तेजी से हो रहा है, जिससे राज्य नई ऊंचाइयों को छूने की दिशा में अग्रसर है। इन रोपवे परियोजनाओं के पूरा होने पर, उत्तराखंड में तीर्थयात्रा और पर्यटन का अनुभव और भी आकर्षक और सुविधाजनक होगा, जिससे राज्य की अर्थव्यवस्था और समृद्ध होगी।

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