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Golden blood: दुनिया का सबसे दुर्लभ ब्लड ग्रुप, क्या आपके शरीर में भी बह रहा है ‘गोल्डन ब्लड’?

Golden blood: गोल्डन ब्लड, जिसे वैज्ञानिक रूप से आरएच-नल (Rh-null) कहा जाता है, दुनिया का सबसे दुर्लभ रक्त समूह है।

Golden blood : अगर आपके खून में नहीं है Rh फैक्टर, तो आप हो सकते हैं ‘Golden Blood’ के मालिक!

Golden blood, गोल्डन ब्लड, जिसे वैज्ञानिक रूप से आरएच-नल (Rh-null) कहा जाता है, दुनिया का सबसे दुर्लभ रक्त समूह है। यह इतना असाधारण है कि पूरी दुनिया में केवल 43 से 50 लोगों में ही यह पाया गया है। इसकी विशिष्टता और दुर्लभता के कारण इसे ‘गोल्डन ब्लड’ कहा जाता है।

गोल्डन ब्लड क्या है?

गोल्डन ब्लड एक ऐसा रक्त समूह है जिसमें लाल रक्त कोशिकाओं (RBC) की सतह पर कोई भी Rh एंटीजन नहीं होता है। आमतौर पर, Rh फैक्टर एक प्रोटीन होता है जो RBC की सतह पर पाया जाता है, और इसकी उपस्थिति या अनुपस्थिति के आधार पर रक्त समूह को Rh पॉजिटिव या Rh नेगेटिव के रूप में वर्गीकृत किया जाता है। हालांकि, गोल्डन ब्लड वाले व्यक्तियों में यह Rh फैक्टर पूरी तरह से अनुपस्थित होता है, इसलिए इसे Rh-null कहा जाता है।

जानिए इसकी अनोखी खासियत

गोल्डन ब्लड की खोज पहली बार 1960 में एक ऑस्ट्रेलियाई आदिवासी महिला में हुई थी। तब से लेकर अब तक, दुनिया भर में केवल 43 से 50 लोगों में ही इस रक्त समूह की पहचान की गई है। इसकी अत्यंत दुर्लभता के कारण, गोल्डन ब्लड को चिकित्सा जगत में अत्यधिक महत्वपूर्ण माना जाता है।

गोल्डन ब्लड के फायदे

1. सार्वभौमिक दाता: गोल्डन ब्लड किसी भी Rh रक्त समूह वाले व्यक्ति को दान किया जा सकता है, जिससे यह एक सार्वभौमिक दाता बनता है। इसका अर्थ है कि आपातकालीन स्थितियों में, जहां उपयुक्त रक्त समूह उपलब्ध नहीं होता, गोल्डन ब्लड जीवनरक्षक साबित हो सकता है।

2. चिकित्सा अनुसंधान में महत्व: इस दुर्लभ रक्त समूह का अध्ययन करके वैज्ञानिक रक्त समूहों की संरचना और उनकी विशेषताओं के बारे में अधिक जान सकते हैं, जिससे चिकित्सा विज्ञान में नई खोजों का मार्ग प्रशस्त होता है।

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गोल्डन ब्लड के नुकसान

1. रक्तदान की कठिनाई: दुनिया में गोल्डन ब्लड वाले व्यक्तियों की संख्या अत्यंत कम है, और उनमें से भी केवल कुछ ही नियमित रूप से रक्तदान करते हैं। इससे आवश्यकता पड़ने पर इस रक्त समूह का उपलब्ध होना बेहद चुनौतीपूर्ण हो जाता है।

2. स्वास्थ्य संबंधी जोखिम: गोल्डन ब्लड वाले व्यक्तियों में एनीमिया जैसी समस्याएँ देखी गई हैं। इसके अलावा, यदि उन्हें रक्त की आवश्यकता होती है, तो उपयुक्त दाता का मिलना कठिन होता है, जिससे उनकी स्वास्थ्य सुरक्षा पर खतरा मंडरा सकता है।

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जानें ‘गोल्डन ब्लड’ के बारे में सब कुछ

कई लोग मानते हैं कि गोल्डन ब्लड का रंग सोने जैसा होता है, लेकिन यह एक मिथक है। वास्तव में, इसका रंग सामान्य रक्त की तरह ही लाल होता है। ‘गोल्डन’ नाम इसे इसकी दुर्लभता और मूल्य के कारण दिया गया है, न कि इसके रंग के कारण।

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