Christmas Day History : क्रिसमस डे का इतिहास, जाने क्यों और कैसे हुई इसकी शुरुआत?
Christmas Day History, क्रिसमस डे हर साल 25 दिसंबर को यीशु मसीह (Jesus Christ) के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। यह ईसाई धर्म का एक महत्वपूर्ण त्योहार है, जिसे दुनियाभर में धार्मिक और सांस्कृतिक रूप से धूमधाम से मनाया जाता है।
Christmas Day History : 25 दिसंबर का महत्व, क्रिसमस डे की ऐतिहासिक झलक
Christmas Day History, क्रिसमस डे हर साल 25 दिसंबर को यीशु मसीह (Jesus Christ) के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। यह ईसाई धर्म का एक महत्वपूर्ण त्योहार है, जिसे दुनियाभर में धार्मिक और सांस्कृतिक रूप से धूमधाम से मनाया जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि क्रिसमस की शुरुआत कैसे हुई और यह क्यों मनाया जाता है? आइए, इस विषय पर विस्तार से चर्चा करते हैं।
यीशु मसीह का जन्म
ईसाई धर्म के अनुसार, यीशु मसीह को ईश्वर का पुत्र माना जाता है। उनका जन्म इस धरती पर मानवता को पापों से मुक्त करने और प्रेम, करुणा, और शांति का संदेश देने के लिए हुआ था। बाइबल में वर्णन है कि यीशु का जन्म 2000 साल पहले बैथलहम नामक स्थान पर हुआ था। उनकी माता मरियम (Mary) और पिता जोसेफ (Joseph) साधारण परिवार से थे। मरियम को एक स्वर्गदूत ने सूचित किया था कि वह एक दिव्य पुत्र को जन्म देंगी, जो मानव जाति का उद्धार करेगा। 25 दिसंबर को यीशु के जन्म की तिथि के रूप में मनाया जाता है, हालांकि इसका सटीक ऐतिहासिक प्रमाण नहीं है।
क्रिसमस का शुरुआती इतिहास
क्रिसमस से पहले, रोमन साम्राज्य में “सैटर्नेलिया” (Saturnalia) नामक पर्व मनाया जाता था। यह शीतकालीन संक्रांति (Winter Solstice) का उत्सव था, जिसमें लोग सूर्य देवता की पूजा करते थे। इसे रोमन देवता सैटर्न (Saturn) के सम्मान में मनाया जाता था और इसमें उपहारों का आदान-प्रदान, दावतें, और खुशी मनाने की परंपरा थी। ईसाई धर्म के प्रचार के साथ, यीशु मसीह के जन्म को महत्वपूर्ण मान्यता दी गई। चौथी सदी में, रोमन सम्राट कॉन्स्टेंटाइन (Constantine) ने ईसाई धर्म को मान्यता दी और 25 दिसंबर को यीशु मसीह के जन्मदिवस के रूप में मनाने की घोषणा की। यह निर्णय मुख्यतः ईसाई धर्म को अन्य प्राचीन परंपराओं से जोड़ने और उसे लोकप्रिय बनाने के लिए लिया गया।
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क्रिसमस के प्रतीक और परंपराएं
क्रिसमस के साथ कई परंपराएं और प्रतीक जुड़े हुए हैं, जो इसे और भी खास बनाते हैं।
1. क्रिसमस ट्री
क्रिसमस ट्री, जिसे सदाबहार वृक्ष से सजाया जाता है, जीवन और आशा का प्रतीक है। इसकी परंपरा जर्मनी से शुरू हुई और बाद में पूरी दुनिया में लोकप्रिय हो गई।
2. सांता क्लॉज
सांता क्लॉज का चरित्र संत निकोलस (Saint Nicholas) से प्रेरित है, जो बच्चों को उपहार देने के लिए प्रसिद्ध थे। आज के सांता क्लॉज को लाल और सफेद पोशाक में चित्रित किया जाता है, जो बच्चों के लिए खुशियां और उपहार लाते हैं।
3. उपहारों का आदान-प्रदान
यह परंपरा तीन बुद्धिमान पुरुषों (Three Wise Men) द्वारा यीशु मसीह के जन्म पर दिए गए उपहारों से प्रेरित है। वे यीशु के पास सोना, लोबान और गंधरस लेकर आए थे।
4. प्रार्थना और कैरल गायन
क्रिसमस के दिन चर्च में विशेष प्रार्थनाएं की जाती हैं। कैरल (धार्मिक गीत) गाने की परंपरा यीशु मसीह की प्रशंसा के लिए शुरू हुई थी।
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क्रिसमस की वैश्विक लोकप्रियता
वर्तमान समय में, क्रिसमस केवल धार्मिक त्योहार तक सीमित नहीं है। यह एक वैश्विक उत्सव बन चुका है, जिसमें हर धर्म और संस्कृति के लोग भाग लेते हैं। यूरोप और अमेरिका में क्रिसमस सबसे बड़ा त्योहार है। लोग अपने घरों को रोशनी और सजावट से सजाते हैं।भारत में गोवा, केरल, और पूर्वोत्तर राज्यों में क्रिसमस बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। यहां चर्चों में विशेष प्रार्थनाएं होती हैं और पारंपरिक व्यंजन तैयार किए जाते हैं।
क्रिसमस का संदेश
क्रिसमस केवल यीशु मसीह के जन्मदिन का उत्सव नहीं है, बल्कि यह प्रेम, दया, और मानवता का संदेश भी देता है। यह त्योहार हमें सिखाता है कि कैसे एक व्यक्ति दुनिया को बदल सकता है, चाहे उसकी शुरुआत कितनी भी साधारण क्यों न हो।