Navgrah Pujan: कुंडली में अशुभ फल दे रहे हैं नवग्रह तो पूजा के दौरान रोजाना करें ये उपाय, जीवन में आएगी खुशहाली, पूरी होगी हर मनोकामना
Navgrah Pujan: ज्योतिष के अनुसार किसी भी व्यक्ति के जीवन में ग्रहों का बहुत महत्व होता है। ऐसा माना जाता है कि 9 ग्रह आपको आगे बढ़ाते हैं और इन्हें प्रसन्न करने से जीवन में सफलता मिलती है। ऐसा कहा जाता है कि यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में नौ ग्रह मजबूत होते हैं तो जीवन में सभी समस्याओं का हल मिल सकता है।
Navgrah Pujan: ये हैं 9 ग्रहों के उपाय, रोजाना करें नवग्रह स्त्रोत का पाठ
ज्योतिष के अनुसार किसी भी व्यक्ति के जीवन में ग्रहों का बहुत महत्व होता है। ऐसा माना जाता है कि 9 ग्रह आपको आगे बढ़ाते हैं और इन्हें प्रसन्न करने से जीवन में सफलता मिलती है। ऐसा कहा जाता है कि यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में नौ ग्रह मजबूत होते हैं तो जीवन में सभी समस्याओं का हल मिल सकता है। हमारे जीवन में हर एक ग्रह का अलग महत्व होता है और यदि कुंडली में कोई एक भी ग्रह कमजोर होता है तो आपके जीवन में परेशानियां ख़त्म होने का नाम नहीं लेती हैं। कई बार हम उस कमजोर ग्रह का पता लगा लेते हैं और उसे मजबूत बनाने का उपाय खोजते हैं, लेकिन कई बार ऐसा भी हो सकता है कि इसका सही पता लगा पाना मुश्किल हो जाता है। जिससे समस्याओं का हल नहीं मिल पाता है। आज हम आपको अपने इस लेख में नव ग्रहों के पूजा की विधि बताएंगे। साथ ही ये बताएंगे कि आप कौन से उपाय करें जिससे आपके ग्रहाें की स्थिति मजबूत हो।
ये हैं 9 ग्रहों के उपाय
सूर्य का उपाय
अगर आपकी कुंडली में सूर्यदेव अशुभ फल प्रदान कर रहे हैं तो आपको प्रतिदिन हरिवंश पुराण पढ़ना चाहिए। 43 दिनों तक लगातार सूर्यदेव को मीठा डालकर अर्घ्य देना चाहिए। अगर संभव हो तो बंदरों को गुड़ खिलाएं। इससे आपकी कुंडली में सूर्य की स्थिति मजबूत होगी।
चंद्र का उपाय
यदि आपकी कुंडली में चंद्रमा कमजोर है और आपके जीवन में परेशानी आ रही है तो आपको अपनी माता की प्रतिदिन खूब सेवा करनी चाहिए। प्रतिदिन गंगाजल का सेवन करना चाहिए। चंद्रमा की शुभता पाने के लिए गंगा स्नान, शिव पूजन एवं सोमवार का व्रत रखना जरूरी होता है। इससे आपकी कुंडली में चंद्रमा की स्थिति मजबूत होगी।
मंगल का उपाय
यदि आपकी कुंडली में मंगल अमंगल कर रहा हो तो आपको मीठी रोटी तंदूर में लगाकर के कुत्तों को खाने के लिए देना चाहिए। प्रतिदिन गायत्री का पाठ करें और हनुमान जी की पूजा के दौरान उन्हें सिंदूर चढ़ाएं। इसके साथ ही खाने में सौंफ मिश्री का विशेष रूप से प्रयोग करें। इससे आपकी कुंडली में मंगल शुभ फल देने लगेगा।
बुध का उपाय
यदि आपकी कुंडली में बुध अशुभ फल दे रहा हो तो आप सबसे पहले अपने घर के खराब चल रहे रेडियो, टीवी, घड़ी, और संगीत से जुड़े वाद्य यंत्र को तुरंत ठीक कराएं। इसके साथ ही माता दुर्गा की प्रतिदिन पूजा करें। कन्याओं का पैर छूकर आशीर्वाद लें। किन्नरों को श्रृंगार की वस्तु बुधवार के दिन भेंट करें। साथ में कुछ दक्षिणा भी दें। ये उपाय आपके जीवन से सारी समस्याओं को दूर कर देगा।
बृहस्पति का उपाय
यदि आपकी कुंडली में देवगुरु बृहस्पति अशुभ फल दे रहे हों तो आप प्रतिदिन विष्णुसहस्त्रनाम का पाठ करें। साथ ही पूजा के दौरान अपने माथे पर केसर का तिलक लगाएं। यदि केसर न मिले तो हल्दी का तिलक लगा सकते हैं। इससे आपकी कुंडली में गुरु की स्थिति मजबूत होगी।
शुक्र का उपाय
यदि आपके कुंडली में शुक्र ग्रह अशुभ फल दे रहे हों तो तो आपको कभी भी जले-कटे या फटे हुए कपड़े नहीं पहनने चाहिए। साथ ही प्रतिदिन माता लक्ष्मी और गाय का पूजन करना चाहिए। यदि संभव हो तो शुक्रवार के दिन घी, दही, आलू, कपूर आदि का दान करना चाहिए।
शनि का उपाय
यदि आपकी कुंडली में शनि खराब हो तो आपको सबसे पहले मांस-मंदिरा आदि का सेवन बंद कर देना चाहिए। रोजाना भगवान भैरव का पूजन करें। शनि की कृपा पाने के लिए शनिवार के दिन शनिदेव को सरसों का तेल चढ़ाएं और पीपल की पूजा करें। कहते हैं कि ऐसा करने से शनिदेव की कृपा प्राप्त होती है।
राहु का उपाय
यदि आपकी कुंडली में राहु रोड़े अटकाने का काम कर रहा हो तो आपको चांदी का एक चौकोर टुकड़ा हमेशा अपनी जेब में रखना चाहिए। मूली का दान करें और पक्षियों को सतनजा डालें।
केतु का उपाय
यदि आपके कुंडली में केतु तमाम तरह के कष्टों का कारण बन रहा हो तो आपको प्रतिदिन भगवान गणेश जी की पूजा करनी चाहिए। विशेष रूप से गणपति की मूर्ति पर स्वास्तिक के निशान वाली लाल झंडी चढ़ाएं। संभव हो तो काले-सफेद कुत्ते को खाने की चीजें दें। या फिर काले रंग का कंबल किसी गरीब आदमी को दान में दें।
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नवग्रह स्त्रोत का करें पाठ
- जपाकुसुम संकाशं काश्यपेयं महद्युतिं। तमोरिसर्व पापघ्नं प्रणतोस्मि दिवाकरं।। (रवि)
- दधिशंख तुषाराभं क्षीरोदार्णव संभवं। नमामि शशिनं सोंमं शंभोर्मुकुट भूषणं।। (चंद्र)
- धरणीगर्भ संभूतं विद्युत्कांतीं समप्रभं। कुमारं शक्तिहस्तंच मंगलं प्रणमाम्यहं।। (मंगल)
- प्रियंगुकलिका शामं रूपेणा प्रतिमं बुधं। सौम्यं सौम्य गुणपेतं तं बुधं प्रणमाम्यहं।। (बुध)
- देवानांच ऋषिणांच गुरुंकांचन सन्निभं। बुद्धिभूतं त्रिलोकेशं तं नमामि बृहस्पतिं।। (गुरु)
- हिमकुंद मृणालाभं दैत्यानां परमं गुरूं। सर्वशास्त्र प्रवक्तारं भार्गवं प्रणमाम्यहं।। (शुक्र)
- नीलांजन समाभासं रविपुत्रं यमाग्रजं। छायामार्तंड संभूतं तं नमामि शनैश्वरं।। (शनि)
- अर्धकायं महावीर्यं चंद्रादित्य विमर्दनं। सिंहिका गर्भसंभूतं तं राहूं प्रणमाम्यहं।। (राहू)
- पलाशपुष्प संकाशं तारका ग्रह मस्तकं। रौद्रं रौद्रात्मकं घोरं तं केतुं प्रणमाम्यहं।। (केतु)
शनि स्तोत्र
- नम: कृष्णाय नीलाय शितिकण्ठ निभाय च। नम: कालाग्निरूपाय कृतान्ताय च वै नम:। 1
- नमो निर्मांस देहाय दीर्घश्मश्रुजटाय च। नमो विशालनेत्राय शुष्कोदर भयाकृते। 2
- नम: पुष्कलगात्राय स्थूलरोम्णेऽथ वै नम:। नमो दीर्घाय शुष्काय कालदंष्ट्र नमोऽस्तु ते। 3
- नमस्ते कोटराक्षाय दुर्नरीक्ष्याय वै नम:। नमो घोराय रौद्राय भीषणाय कपालिने। 4
- नमस्ते सर्वभक्षाय बलीमुख नमोऽस्तु ते। सूर्यपुत्र नमस्तेऽस्तु भास्करेऽभयदाय च। 5
- अधोदृष्टे: नमस्तेऽस्तु संवर्तक नमोऽस्तु ते। नमो मन्दगते तुभ्यं निस्त्रिंशाय नमोऽस्तुते। 6
- तपसा दग्ध-देहाय नित्यं योगरताय च। नमो नित्यं क्षुधार्ताय अतृप्ताय च वै नम:। 7
- ज्ञानचक्षुर्नमस्तेऽस्तु कश्यपात्मज-सूनवे। तुष्टो ददासि वै राज्यं रुष्टो हरसि तत्क्षणात्। 8
- देवासुरमनुष्याश्च सिद्ध-विद्याधरोरगा:। त्वया विलोकिता: सर्वे नाशं यान्ति समूलत:। 9
- प्रसाद कुरु मे सौरे ! वारदो भव भास्करे। एवं स्तुतस्तदा सौरिर्ग्रहराजो महाबल:। 10
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