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Golden Ramayana: रामलला के गर्भ गृह में स्वर्ण लिखित रामचरितमानस स्थापित, 1.5 क्विंटल है वजन, जानें किसने की अर्पित
धार्मिक

Golden Ramayana: रामलला के गर्भ गृह में स्वर्ण लिखित रामचरितमानस स्थापित, 1.5 क्विंटल है वजन, जानें किसने की अर्पित

Golden Ramayana: उत्तर प्रदेश के अयोध्या स्थित राम मंदिर में स्वर्ण रचित रामचरितमानस की स्थापना मंगलवार को नवरात्र के पहले दिन कर दी गई है। इस गोल्ड प्लेटेड रामचरितमानस ग्रंथ के पन्ने सुनहरे और अलग-अलग हैं, जो देखने में बेहद खूबसूरत ग्लो करते दिखाई देते हैं।

Golden Ramayana: काैन हैं सुब्रमण्यम लक्ष्मीनारायणन, जिसने बनवाई सोने के अक्षरों से लिखी 1.5 क्विंटल की रामायण

उत्तर प्रदेश के अयोध्या स्थित राम मंदिर में स्वर्ण रचित रामचरितमानस की स्थापना मंगलवार को नवरात्र के पहले दिन कर दी गई है। इस गोल्ड प्लेटेड रामचरितमानस ग्रंथ के पन्ने सुनहरे और अलग-अलग हैं, जो देखने में बेहद खूबसूरत ग्लो करते दिखाई देते हैं। मंदिर के पुजारी संतोष कुमार तिवारी ने बताया कि स्वर्ण रामचरितमानस को गर्भगृह में राम लला के पास स्थापित किया गया है। जिसका दर्शन अब रामलला के दर्शन के साथ श्रद्धालु कर सकेंगे।

मध्य प्रदेश कैडर के पूर्व आईएएस अधिकारी सुब्रमण्यम लक्ष्मीनारायणन और उनकी पत्‍नी सरस्वती ने काफी दिनों से श्रीरामलला को स्वर्णाक्षरों वाले रामायण को अर्पित करने का मन बनाया था। इनके संकल्प ने जल्दी ही इसे साकार रूप भी दिया। ताम्रपत्रों पर सोने के अक्षरों से रामायण लिखवा डाली। इस स्वर्ण रामचरितमानस को बनाने पर लगभग पांच करोड़ रुपये की लागत आई है। कौन हैं ये सुब्रमण्यम लक्ष्मीनारायणन, जिन्होंने अपने जीवन भर की कमाई रामलला के नाम कर दी। आइए जानते हैं…

संकल्प ने लिया साकार रूप

सुब्रमण्यम लक्ष्मीनारायणन और उनकी पत्‍नी सरस्वती ने काफी दिनों से श्रीरामलला को स्वर्णाक्षरों वाली रामायण अर्पित करने का मन बनाया था। इनके संकल्प ने जल्दी ही इसे साकार रूप भी दिया। दोनों ने ताम्रपत्रों पर सोने के अक्षरों से रामायण लिखवा डाला। दंपती ने कई बार श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र न्यास के लोगों से संपर्क साधा। बात नहीं बनते देख इन्होंने श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र न्यास के महामंत्री चंपत राय से संपर्क किया और बात बन गई।

काैन हैं सुब्रमण्यम लक्ष्मीनारायणन

इन्होंने न्यास के महामंत्री चंपत राय से ताम्रपत्र पर लिखी रामायण को नवरात्र के प्रथम दिन गर्भगृह में पहुंचवाने और श्रीरामलला के चरणों में समर्पित करने का आग्रह भी किया, जिसे स्वीकार कर लिया गया। पिक्सस्टोरी डॉटकॉम के अनुसार 1970 बैच के आईएएस अधिकारी सुब्रमण्यम लक्ष्मीनारायणन ने स्वर्ण रामायण बनाने के लिए अपना सारा पैसा राम जन्मभूमि मंदिर ट्रस्ट को दान करने का फैसला किया था।

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एक आईएएस अधिकारी हैं सुब्रमण्यम

दरअसल, वह भगवान को समर्पित नौकरशाहों के परिवार से आते हैं। उनके पिता एल सुब्रमण्यम भी एक आईएएस अधिकारी थे और भारत सरकार के सचिव रहे थे। उनकी मां ने उनका नाम लक्ष्मी नारायण रखा था, जो उन्हें दिल्ली के बिड़ला मंदिर के भगवान लक्ष्मी नारायण का आशीर्वाद मानती थीं। 1964 बैच के आईएएस केएस शर्मा कहते हैं,मध्य प्रदेश में सुब्रमण्यम लक्ष्मीनारायणन के सहकर्मी और मित्र उन्हें एक धर्मनिष्ठ और अत्यधिक धार्मिक व्यक्ति के तौर पर जानते हैं।

शंकराचार्य की सेवा में रहते थे लक्ष्मीनारायणन

वह कांची कामकोटि पीठम के शंकराचार्य चंद्रशेखरेंद्र सरस्वती स्वामीगल और उनके उत्तराधिकारी स्वामी जयेंद्र सरस्वती के शिष्य थे। जब भी शंकराचार्य भोपाल आते थे, लक्ष्मीनारायणन उनकी सेवा में होते थे। वे अक्सर उनके आवास पर जाते थे, जहां मैं भी शंकराचार्य से मिलता था। 1996-1998 में जब केएस शर्मा मप्र के मुख्य सचिव थे, लक्ष्मीनारायणन खनन विभाग के प्रधान सचिव थे। केएस शर्मा ने याद करते हुए कहा, वह एक बहुत ही कुशल और ईमानदार अधिकारी हुआ करते थे।

लगा दी जीवन भर की कमाई

चेन्नई के रहने वाले पूर्व आईएस अधिकारी सुब्रमण्यम लक्ष्मीनारायणन ने अपने जीवन भर की कमाई से एक विशेष स्वर्ण जड़ित रामायण तैयार करवा कर प्रभु राम के चरणों में समर्पित किया है। चैत्र नवरात्रि के पहले दिन ही लक्ष्मीनारायण ने अपनी पत्नी के साथ सोने से निर्मित रामायण राम मंदिर को भेंट की। जहां विधि विधान पूर्वक राम मंदिर परिसर में उस रामायण की पूजा अर्चना भी की गई है। इसका निर्माण चेन्नई के प्रसिद्ध बूममंडी बंगारू ज्वेलर्स ने किया है।

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रामलला की मूर्ति से 15 फीट दूर स्थापित

सोने की रामायण को मंदिर के गर्भगृह में रामलला की मूर्ति से 15 फीट दूर पत्थर के आसन पर रखा गया है। इसके शीर्ष पर चांदी से बना राम का पट्टाभिषेक है। रामायण का वजन 1.5 क्विंटल से ज्यादा है। तांबे से बना इसका प्रत्येक पृष्ठ 14 गुणा 12 इंच का है। हर पृष्ठ पर 24 कैरेट सोने की परत चढ़ी है। इन पर राम चरित मानस के छंद अंकित हैं। रामायण के 500 पृष्ठों पर 10,902 छंद हैं। प्रत्येक पृष्ठ पर 14 गेज के 12 इंच की 3 किलोग्राम तांबे की प्लेट का भी उपयोग किया गया है।

151 किलो तांबे और तीन से चार किलो सोने का इस्तेमाल

इसे बनाने में 151 किलो तांबे और तीन से चार किलो सोने का इस्तेमाल किया गया है। सोने की रामायण को मंदिर के गर्भगृह में रामलला की मूर्ति से 15 फीट दूर पत्थर के आसन पर रखा गया है। इसके शीर्ष पर चांदी से बना राम का पट्टाभिषेक है। मंदिर के पुजारी संतोष कुमार तिवारी ने बताया कि स्वर्ण रामायण को गर्भगृह में राम लला के पास स्थापित किया गया है। राम मंदिर में अब राम भक्त दर्शन पूजन के साथ-साथ सोने की अनोखी रामायण के भी दर्शन कर सकेंगे। श्रीराम लला के विराजमान होने के बाद पूरे देश और दुनिया से लाखों की संख्या में राम भक्त अयोध्या पहुंच रहे हैं और प्रभु राम को कुछ ना कुछ अनोखी चीज समर्पित कर रहे हैं।

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vrinda

मैं वृंदा श्रीवास्तव One World News में हिंदी कंटेंट राइटर के पद पर कार्य कर रही हूं। इससे पहले दैनिक भास्कर, दैनिक जागरण और नवभारत टाइम्स न्यूज पेपर में काम कर चुकी हूं। मुझसे vrindaoneworldnews@gmail.com पर संपर्क किया जा सकता है।
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