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Whooping Cough: चीन के अलावा दुनिया के कई हिस्सों में फैल रही काली खांसी, जानें क्या हैं इसके लक्षण
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Whooping Cough: चीन के अलावा दुनिया के कई हिस्सों में फैल रही काली खांसी, जानें क्या हैं इसके लक्षण

Whooping Cough: चीन में काली खांसी (Whooping Cough) तेजी से फैल रहा है। यह एक प्रकार का इंफेक्शन है, जिसके लक्षण आमतौर पर कम दिखते हैं। ये कई बार जानलेवा साबित हो सकता है। ये बीमारी अब धीरे धीरे पूरी दुनिया में पैर पसार रहा है।

Whooping Cough: चीन में काली खांसी से दो महीने में 13 लोगों की मौत, क्या है बचाव का तरीका?

चीन से फैले कोरोना वायरस ने दुनियाभर में कोहराम मचा दिया। इस वायरस के मामले अभी पूरी तरह से थमे नहीं हैं कि ऐसे में चीन से अब एक नई बीमारी फैलने की खबर सामने आ रही है। जी हां, चीन में पिछले कुछ दिनों से काली खांसी (Whooping Cough) तेजी से फैल रहा है। यह एक प्रकार का इंफेक्शन है, जिसके लक्षण आमतौर पर कम दिखते हैं। इसके लक्षणों को नजरअंदाज करना कई बार जानलेवा तक साबित हो सकता है। आपको बता दें कि ये बीमारी अब धीरे धीरे पूरी दुनिया में पैर पसार रहा है। चीन के अलावा फिलीपींस, नीदरलैंड, अमेरिका और ब्रिटेन समेत दुनिया के कई हिस्सों में इस बीमारी के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। आइए विस्तार से जानते हैं इस बीमारी के बारे में।

नेशनल डिजीज कंट्रोल एंड प्रीवेंशन एडमिन्सट्रेशन के मुताबिक, चीन में 2024 के पहले दो महीनों में इस संक्रमण के 32,380 मामलों सामने आ चुके हैं, जिसमें 13 मौतें भी शामिल हैं। इस संक्रमण का यह आंकड़ा बीते साल की तुलना में 20 गुना ज्यादा है। वहीं, फिलीपींस में अभी तक काली खांसी की वजह से 54 मौतें दर्ज की गईं।

13 लोगों की गई जान

नेश्नल डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन एडमिनिस्ट्रेशन के मुताबिक चीन में पिछले दो महीनों में काली खांसी के चलते 13 लोगों की मौत हुई है। वहीं साल 2024 के शुरुआती दो महीनों में 32,380 मामलों की पुष्टि हुई है। केवल चीन ही नहीं बल्कि फिलिपिन्स समेत अन्य भी कई जगहों पर काली खांसी का कोहराम देखा जा रहा है। चीन में यह जानलेवा बीमारी पहले भी फैल चुकी है। साल 2022 में इसके 40 हजार मामले और साल 2019 में 30 हजार मामलों की पुष्टि की गई थी। पिछले साल की तुलना में यह मामले 20 गुना ज्यादा हैं।

क्या है काली खांसी?

काली खांसी सामान्य खांसी से काफी अलग होती है। यह एक प्रकार की जानलेवा खांसी है, जो अपर रेस्पिरेटरी सिस्टम को बुरी तरह से क्षतिग्रस्त कर सकती है। यूएस सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रीवेंशन (सीडीसी) की मानें तो यह खांसी बैक्टीरियम बोर्डेटेला पर्टुसिस के कारण होती है, जो समय बढ़ने के साथ ही अधिक संक्रामक भी हो सकती है। काली खांसी आमतौर पर बच्चों को अपना शिकार ज्यादा बनाती है। इसके लक्षणों को पहचान पाना थोड़ा मुश्किल हो सकता है। ऐसे में नाक बंद होना, हल्का बुखार और हल्की सर्दी लगने जैसे लक्षण दिख सकते हैं।

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काली खांसी के लक्षण क्या हैं?

काली खांसी के शुरुआती लक्षण काफी हद तक सामान्य सर्दी की तरह दिखते हैं, जिसमें नाक बंद होना, हल्का बुखार और हल्की खांसी आम है। इस बीमारी का तब तक पता लगाना मुश्किल है, जब तक इसके गंभीर लक्षण सामने न आ जाएं। सीडीसी के अनुसार, काली खांसी के एक या दो हफ्ते के बाद लक्षण “बहुत तेज और अनियंत्रित खांसी के दौरे” में बदल सकते हैं। साथ ही इस दौरे के अंत में सांस लेने पर तेज “हूप” जैसी आवाज भी आ सकती है। खांसी के यह दौरे 10 हफ्ते तक चल सकते हैं।

किसे ज्यादा खतरा?

बच्चों में काली खांसी के सबसे तीव्र लक्षण होने की संभावना ज्यादा होती है। इसमें बच्चे आमतौर पर खांसते नहीं हैं, लेकिन सांस लेना बंद कर सकते हैं। वहीं, किशोरों और वयस्कों में अक्सर हल्के लक्षण दिखाई देते हैं, लेकिन परेशानी करने वाली खांसी के दौरे उन्हें रात में जगाए रख सकते हैं।

काली खांसी का इलाज क्या है?

एक बार इस बीमारी का पता लग जाने पर खांसी शुरू होने से पहले, डॉक्टर आम तौर पर एंटीबायोटिक दवाओं के साथ संक्रमण का इलाज करते हैं। अगर किसी मरीज को तीन हफ्ते से ज्यादा समय से खांसी हो रही है, तो एंटीबायोटिक दवाओं की जरूरत नहीं है, क्योंकि बैक्टीरिया संभवतः शरीर छोड़ चुका है और खांसी एयरवेज को हुए नुकसान का परिणाम है।

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यह कैसे फैलता है?

यह बेहद संक्रामक बीमारी किसी संक्रमित व्यक्ति के खांसने या छींकने पर निकलने वाली बूंदों के जरिए फैलता है। यह बैक्टीरिया गले में एयरवेज की परत से चिपक जाता है और टॉक्सिन्स प्रोड्यूस करता है, जो सिलिया (छोटे बाल जैसी संरचनाएं, जो एयरवेज से बलगम को साफ करने में मदद करती हैं) को नुकसान पहुंचाते हैं। नतीजतन, एयरवेज में सूजन आ जाती है, जिससे काली खांसी के लक्षण दिखाई देते हैं, जिनमें गंभीर खांसी, घरघराहट की आवाज और सांस लेने में कठिनाई शामिल है।

कैसे करें अपना बचाव?

  • इससे बचने का सबसे प्रभावी तरीका वैक्सीनेशन है। डीटीएपी वैक्सीन, जो डिप्थीरिया, टेटनस और पर्टुसिस से बचाता है, नियमित रूप से 2 महीने की उम्र से शिशुओं और छोटे बच्चों को कई डोज में दिया जाता है।
  • साबुन और पानी से नियमित रूप से हाथ धोएं। खासकर खांसने या छींकने के बाद।
  • बर्तन या पीने के कप जैसी व्यक्तिगत वस्तुओं को दूसरों के साथ साझा करने से बचें।
  • रेस्पिरेटरी ड्रॉपलेट्स को फैलने से रोकने के लिए खांसते या छींकते समय मुंह और नाक को टिशू या कोहनी से ढकें।
  • खांसी और सांस की बीमारी जैसे लक्षण नजर आने पर स्कूल, काम या अन्य पब्लिक जगहों पर जाने से बचें।
  • अगर आप या परिवार के किसी सदस्य में काली खांसी के लक्षण विकसित हों, तो तुरंत मेडीकल हेल्प लें।

अगर आपके पास भी हैं कुछ नई स्टोरीज या विचार, तो आप हमें इस ई-मेल पर भेज सकते हैं info@oneworldnews.com

vrinda

मैं वृंदा श्रीवास्तव One World News में हिंदी कंटेंट राइटर के पद पर कार्य कर रही हूं। इससे पहले दैनिक भास्कर, दैनिक जागरण और नवभारत टाइम्स न्यूज पेपर में काम कर चुकी हूं। मुझसे vrindaoneworldnews@gmail.com पर संपर्क किया जा सकता है।
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