Sonam Wangchuk: लद्दाख में 16 दिन से भूख हड़ताल पर सोनम वांगचुक, बोले- आदिवासियों के लिए कब खुलेगी सरकार की नींद
Sonam Wangchuk: लद्दाख के जाने माने क्लाइमेट एक्टिविस्ट सोनम वांगचुक 21 दिन के अनशन पर हैं। इस अनशन को 16 दिन बीत चुके हैं। उनके समर्थन में 1500 के लगभग लोग सोमवार को एक दिवसीय भूख हड़ताल पर थे।
Sonam Wangchuk: सोनम वांगचुक लद्दाख में क्यों कर रहे हैं अनशन? जानें सब कुछ
देशभर में इस समय या तो होली का माहौल है या चुनाव का। लेकिन राजधानी दिल्ली से करीब 1225 किलोमीटर दूर लोकतंत्र का रंग कुछ अलहदा दिख रहा है। मांगें उठ रही हैं, अनशन हो रहे हैं। मांग है पहचान के संरक्षण की और एक संवैधानिक दर्जे की। आज हम विस्तार से बात करते हैं लद्दाख के सोनम वांगचुक की भूख हड़ताल की।
लद्दाख के पर्यावरणविद् सोनम वांगचुक ने 6वीं अनुसूची लागू करने और जलवायु परिवर्तन के गंभीर मुद्दे और क्षेत्र पर इसके गंभीर प्रभावों को उजागर करने के लिए लेह, लद्दाख में 21 दिवसीय जलवायु उपवास शुरू किया है। केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख के लिए छठी अनुसूची के तहत राज्य का दर्जा और संवैधानिक सुरक्षा उपायों की मांग को लेकर आमरण अनशन का 16वां दिन हो चुका है। इतने दिन हो जाने के बाद भी केंद्र की भाजपा सरकार अब तक मूक बनी हुए है।
16 दिन से सिर्फ पानी और नमक का सेवन
16वें दिन की शुरुआत में उन्होंने वीडियो पोस्ट करते हुए कहा, 120 लोग साफ आसमान के नीचे बाहर सो रहे हैं। तापमान – 8°C है। 16 दिनों तक सिर्फ पानी और नमक का सेवन नुकसान पहुंचा रहा है। काफी कमजोरी महसूस हो रही है। लेकिन मैं अभी भी 25 दिन और खींच सकता हूं और शायद खींचूंगा। मुझे यकीन है कि सच्चाई का हमारा मार्ग अंततः जीतेगा। उन्होंने आगे कहा, “अन्ना हजारे के मामले में संसद ने उनके अनशन के 13वें दिन सर्वसम्मति से लोकपाल विधेयक पारित कर दिया।
‘एक दिन हम जरूर कामयाब होंगे’
उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी को 21 दिनों तक बैठना पड़ा। देखते हैं हमारा कितना समय लगता है।” लेकिन एक दिन हम कामयाब जरूर होंगे। बता दें कि 3 फरवरी को लद्दाख की एक तिहाई आबादी ने लेह में प्रदर्शन कर लद्दाख में लोकतंत्र को बहाल करने की मांग की थी। इसके बाद सरकार के साथ 19 फ़रवरी और 4 मार्च को गृहमंत्रालय और लद्दाख के नेताओं के बीच में बात हुई। किन्तु वार्तालाप विफल हुई।
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संरक्षण देने से सरकार ने किया इंकार
सरकार ने संरक्षण देने से इंकार कर दिया था। जबकि सरकार ने चुनाव के दौरान वादा किया था कि वो 6वीं अनुसूची लागू करेगा। लेकिन अब सरकार इससे पीछे हट रही है। उपवास का उद्देश्य सरकार को लद्दाख के अद्वितीय पर्यावरण और इसकी स्वदेशी जनजातीय संस्कृति की रक्षा के लिए उनकी प्रतिबद्धता की याद दिलाता है।
विशिष्ट पहचान को संरक्षित करने की मांग
पर्यावरणीय चिंता की इस पृष्ठभूमि के बीच, वांगचुक का उपवास 6वीं अनुसूची के तहत राज्य का दर्जा और संवैधानिक सुरक्षा उपायों के लिए लद्दाखी लोगों की व्यापक मांगों को भी रेखांकित करता है। जिसका लक्ष्य 2019 में लद्दाख के केंद्र शासित प्रदेश में परिवर्तन के बाद उनकी भूमि, नौकरियों और विशिष्ट पहचान को संरक्षित करना है।
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