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New History in Nagaland: इस महिला ने नागालैण्ड में रच दिया एक नया इतिहास
पॉलिटिक्स

New History in Nagaland: इस महिला ने नागालैण्ड में रच दिया एक नया इतिहास

New History in Nagaland: क्या यह महिला बनने जा रही है मंत्री, जानिए क्या है सच

Highlights :

  • नागालैण्ड की राजनीति में टूटे पुराने इतिहास
  •  संभव है कि पहली बार निर्वाचित इस महिला को बनाया जा सकता है मंत्री

New History in Nagaland :हाल ही में नागालैण्ड विधानसभा चुनाव का परिणाम आया है। इस परिणाम में कोई अपने पार्टी की जीत को देखकर खुश है तो कुछ लोग कुछ दलों की हार से खुश हैं तो कोई दुखी भी है।

नागालैण्ड में नेशनलिस्ट डैमोक्रेटिक प्रोगेसिव पार्टी – NDPP और बीजेपी को बहुमत मिल चुकी है। इस परिणाम के बाद यह कयास लगाया जा रहा है कि वर्तमान सीएम नेफ्यू रियो का 5वीं बार सीएम बनना तय माना जा रहा है। इन दोनों दलों के गठबंधन ने 60 में से 33 सीटें जीत कर बहुमत हासिल कर लिया है।

नागालैण्ड के राजनीतिक इतिहास को इन महिलाओं ने बदल दिया है

इस चुनाव में एनडीपीपी-बीजेपी गठबंधन को बहुमत मिल चुका है। पर, इस चुनाव में एक नया अध्याय भी जुड़ गया है जिसने वर्षों के इतिहास को तोड़कर एक नये इतिहास की नींव को रख दिया है। नागालैण्ड के चुनाव में ऐतिहासिक रुप से वहां पहली बार किसी महिला उम्मीदवार ने विधान सभा का चुनाव जीता। हालांकि, कुल दो महिलाओं ने चुनाव जीता है तथा चार महिलाओं ने इस चुनाव में उम्मीदवारी कर इसे न सिर्फ महत्वपूर्ण बनाया बल्कि प्रासंगिक भी बना दिया है। आज हम जिस महिला की चर्चा कर रहे हैं वो नागालैण्ड के इतिहास में बहुत ही महत्वपूर्ण स्थान रखती हैं।

इस चर्चित महिला का नाम हेकानी जाखलू है। इस चुनाव में हेकानी जाखलू दीमापूर-3 विधानसभा का चुनाव जीतकर नागालैण्ड की पहली महिला विधायक बन गई हैं। हेकानी सत्तारूढ नेशनलिस्ट डैमोक्रेटिक प्रोग्रैसिव पार्टी – एनडीपीपी पार्टी की उम्मीदवार थीं।

ध्यान रहे कि नागालैण्ड विधानसभा के लिए विगत 27 फरवरी को मतदान हुआ था। इस राज्य के कुल 60 सदस्यीय विधानसभा सीटों पर सफलतापूर्वक चुनाव सम्पन्न हुआ था। नागालैण्ड की 48 वर्षीय जाखलू, जो कि पेशे से एक वकील और सामाजिक कार्यकर्ता भी हैं, इन्हें विधायक के रुप में चुने जाने से नागालैण्ड के राजनीति में एक नया अध्याय जुड़ गया है। नव निर्वाचित विधायक जखालू ने सैन फ्रांसिस्कों विश्वविद्यालय से एलएलएम की पढ़ाई किया है।

जखालू 2005 में, भारत वापस आती हैं फिर वहीं नागालैण्ड में ‘यूथनेट’ नामक एक गैर-सरकारी संगठन शुरु करती हैं। इस एनजीओ का मुख्य उद्देश्य युवाओं के सशक्तिकरण की दिशा में काम करना है। बताते चलें कि 2019 में जाखलू ने नारी शक्ति पुरस्कार भी जीता था।

यह बताना जरुरी होगा कि 1963 में नागालैण्ड की स्थापना के बाद से नागालैण्ड में अब तक हुए कुल विधानसभा चुनावों में यह इतिहास में दर्ज था कि अब तक इस प्रदेश की भूमि से एक भी महिला बतौर विधायक निर्वाचित नहीं हुई थी। गौर करने वाली बात है कि नागालैण्ड की तरफ से कुल चार महिला उम्मीदवारों ने चुनाव में भाग लिया था, जिनमें से जाखलू के साथ एक और महिला सलहौतु ओनुओ क्रुस भी विधायक बनने में सफल रही।

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यह संभव है कि नागालैण्ड की नई सरकार जाखलू को मंत्रिमंडल में शामिल कर सकती है। ऐसा करके वो नागालैण्ड की एक बड़ी आबादी को सकारात्मक संदेश देना चाहेगी। हालांकि, पिछले साल बीजेपी ने राज्यसभा के लिए एस कोनयाक को नामित किया था।

नागालैण्ड चुनाव में दो महिलाओं की जीत ने महिला सशक्तिकरण की तरफ बढ़ाया कदम

भावी 8 मार्च को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस है। उसके पहले ही नागालैण्ड के इतिहास में दो महिलाओं ने महिला सशक्तिकरण का पथ खोल दिया है। नागालैण्ड की नव निर्वाचित सरकार में जाखलू को मंत्री पद दिया जाए तो इसमें कोई आश्चर्य की बात नहीं होगी। सच कहा जाए तो महिला सशक्तिकरण का अर्थ तभी पूरा होता है जब महिलाओं के सामाजिक व आर्थिक स्थिति में सुधार आ सके। आज सामाजिक स्थिति का सीधा तात्पर्य महिलाओं की राजनीति में भागीदारी और उच्च शिक्षा से भी है। महिलाओं की सामाजिक-आर्थिक स्वतंत्रता का द्वार राजनीति में उचित भागीदारी व आत्मनिर्भरता से खुलता है। वैसे भी वह समाज तब तक तरक्की नहीं कर सकता, जब तक उस समाज के प्रत्येक कदम पर महिलाओं को उचित भागीदारी व सम्मान न मिले।

नागालैण्ड जैसे प्राकृतिक रुप से सुंदर और शिक्षित प्रदेश में हेकानी जखालू और सलहौतु क्रुस के विधान सभा के सदस्य के रुप में चुने जाने से वहां के सामाजिक-राजनीतिक दृष्टिकोण में न सिर्फ बदलाव आ सकता है, बल्कि नगा जनजाति संस्कृति को प्रोत्साहन भी मिलेगा, क्योंकि किसी भी संस्कृति के प्रगति में महिलाओं का अभिन्न योगदान होता है। अब देखना दिलचस्प होगा तो हेकानी जखालू जैसी उच्च शिक्षित वकील और सामाजिक कार्यकर्ता के साथ विधायक के रुप में निर्वाचित होने से वहां की महिलाओं के प्रगति-सशक्तिकरण के लिए क्या कदम उठाती हैं।

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