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World alzheimer’s day 2022 : पुरूषों के मुकाबले महिलाएं होती हैं अधिक अल्जाइमर की शिकार - कहती है Study
लाइफस्टाइल

World alzheimer’s day 2022 : पुरूषों के मुकाबले महिलाएं होती हैं अधिक अल्जाइमर की शिकार – कहती है Study

World alzheimer’s day 2022 : इस विश्व अल्जाइमर डे जानें अल्ज़ाइमर के शुरुआती लक्षण और करें समय रहते इलाज


Highlights –

.  अल्ज़ाइमर  दिमाग से जुड़ी हुई एक गंभीर बीमारी है।

.   ज्यादातर  यह समस्या बुढापे में अधिक होती है और 60 साल से अधिक लोगों को ज्यादा प्रभावित करती है।

. इस समस्या से लोगों को जागरूक करने के लिए ही हर साल 21 सितम्बर को ‘विश्व अल्ज़ाइमर दिवस’ मनाया जाता है।

World Alzheimer’s Day 2022 :  अल्ज़ाइमर  दिमाग से जुड़ी हुई एक गंभीर बीमारी है। यह धीरे-धीरे दिमाग के विकार का रूप ले लेता है और   व्यक्ति की याददाश्त को धीरे-धीरे खत्म कर देता है। ज्यादातर  यह समस्या बुढापे में अधिक होती है और 60 साल से अधिक लोगों को ज्यादा प्रभावित करती है। इस समस्या से लोगों को जागरूक करने के लिए ही हर साल 21 सितम्बर को ‘विश्व अल्ज़ाइमर दिवस’ मनाया जाता है।

अल्जाइमर सबसे आम तरह का डिमेंशिया है। अल्जाइमर का सबसे आम लक्षण है याददाश्त का कमज़ोर होना और प्रतिदिन  की बातचीत में शब्दों का न याद आना। आपको बता दें कि जैसे-जैसे बीमारी बढ़ती है, वैसे-वैसे यह लक्षण और गंभीर होते चले जाते हैं।

इस आर्टिकल में हम आपको अल्जाइमर से जुड़ी जानकारियां देंगे साथ ही नई स्टडी में महिलाओं और पुरूषों में अल्जाइमर की तुलना की गई है इसके बारे में भी बताएंगे।

क्या पुरूषों की तुलना में महिलाएं होती हैं ज्यादा शिकार

मुंबई के ग्लोबल अस्पताल परेल में न्यूरोलॉजी के वरिष्ठ सलाहकार, डॉ. पंकज अग्रवाल कहना है कि अल्जाइमर बीमारी महिलाओं को ज्यादा प्रभावित करती है। इसके पीछे कई वैज्ञानिक और समाजशास्त्रीय स्पष्टीकरण हैं कि पुरुषों की तुलना में महिलाओं को अल्जाइमर से क्यों जूझना पड़ता है। ऐसा देखा गया है कि चूंकि महिलाएं जिम्मेदारियों और घर – गृहस्ती को संभालने में ज्यादा व्यस्त रहती हैं इसलिए उसका असर महिलाओं पर ज्यादा देखने को मिलता है। हालांकि समय के साथ- साथ चीजें बदल रही हैं ।

महिलाओं में अल्जाइमर  की संभावना ज्यादा होने के कारण क्या हैं ?

मुंबई के मासीना अस्पताल में सलाहकार न्यूरोलॉजिस्ट, डॉ. आशीष गोसर का कहना है कि अल्जाइमर से पीड़ित रोगियों में लगभग 2 – 3  महिलाएं होती हैं।

महिलाओं के अधिक प्रभावित होने का पहला और सबसे महत्वपूर्ण कारण यह है कि महिलाएं पुरुषों की तुलना में अधिक जीती हैं और अल्जाइमर में सबसे बड़ा जोखिम कारक उम्र है। आप जितना अधिक जिएंगे अल्जाइमर रोग विकसित होने की संभावना उतनी ही अधिक हो जाएगी।

दूसरा कारण यह हो सकता है कि पुरुषों की तुलना में महिलाओं में ऑटोइम्यून बीमारी होने की संभावना दोगुनी हो जाती है। ऐसा इसलिए क्योंकि महिलाओं का इम्यून सिस्टम पुरुषों से ज़्यादा मजबूत होता है, ताकि गर्भ में बच्चे को संक्रमण से बचाया जा सके। इसी वजह से उनमें पुरुषों की तुलना अधिक असामान्य अमाइलॉइड प्लाक भी हो सकते हैं।

तीसरा संभावित कारण लगातार हो रहे हार्मोनल परिवर्तन हो सकते हैं, जिनका सामना महिलाएं अपने जीवनकाल में करती हैं। इस वजह से भी महिलाओं में अल्जाइमर की संभावना बढ़ सकती है।

 

अल्जाइमर के कारण

डॉ. पंकज अग्रवाल का कहना है, “उम्र और जेनेटिक्स अल्जाइमर के खतरे को बढ़ाते हैं, जिन्हें बदला भी नहीं जा सकता। हालांकि, इनके अलावा हाई ब्लड प्रेशर और एक्टिविटी की कमी, भी इस बीमारी के जोखिम को बढ़ाने का काम करते हैं। इसलिए रोज़ाना एक्सरसाइज़ ज़रूर करना बेहद जरूरी है। शरीर को एक्टिव रखें, जिससे रक्त का फ्लो और दिमाग तक ऑक्सीजन बेहतर तरीके से पहुंच सके। जो दिमाग की कोशिकाओं को फायदा पहुंचाता है।”

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सही समय पर इस बीमारी को पहचानना बहुत जरूरी है। इसके प्रारंभिक लक्षण से बीमारी को बहुत हद तक सही किया जा सकता है।

इसमें व्यक्ति को अपने रोजमर्रा के काम करने में दिक्कत होने लगती है। सामान रखकर भूल जाने की समस्या हो जाती है।पीड़ित व्यक्ति को ध्यान लगाने में परेशानी होने लगती है।  कई बार व्यक्ति शब्दों को भी भूलने लगता है जिससे कि उसे बातचीत करने में समस्या होने लगती है। व्यक्ति लिखा-पढ़ा भी भूलने लगता है।व्यक्ति नींद  न आने की समस्या से पीड़ित हो जाता है।

दुनियाभर में प्रतिवर्ष 21 सितम्बर को ‘वर्ल्ड अल्जाइमर डे’ मनाया जाता है। इस दिन को मनाने का उद्देश्य लोगों को इस बीमारी के प्रति जागरूक करना है ताकि लोग इस गंभीर बीमारी के प्रति जागरूक हो और समय रहते इस बीमारी से बच सके। इस दिन लोगों को जागरूक करने के लिए कैंप लगाए जाते है और लोगों को इस बीमारी से बचने के लिए उपाय बताये जाते है।

अच्छी बात यह है कि यदि व्यक्ति सही समय पर इस बीमारी की पहचान कर लें तो डॉक्टर्स की मदद से इस बीमारी पर काबू पाया जा सकता है क्योंकि इस बीमारी का कोई सटीक इलाज नहीं है इसलिए  डॉक्टर्स भी याददाश्त को बढ़ाने के लिए कई तरह के उपाय बताते है जैसे- एक अच्छा और हेल्दी लाइफस्टाइल, पौष्टिक खानपान, तनाव से दूरी, फिजिकल एक्टिविटी, योग और पर्याप्त नींद। यदि पीड़ित व्यक्ति इन उपायों को अपनाएं तो इस समस्या से काफी हद तक मुक्त हो सकता है।

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