Single Fathers: दुनिया भर मे बढ़ रही है सिंगल फादर्स की तादाद, पुरुष मजबूरी से नहीं, अपनी मर्जी से बन रहे है पिता!
Single Fathers: पिता बनने के लिए करना पड़ता है चुनोतियों का सामना, रियल लाइफ कहानी कर देगी आपको भावुक
Highlights:
- Single Fathers: किन चुनोतियों का झेलना पड़ता है एक सिंगल पिता को?
- कौन कहता है कि केवल दो लोग ही एक बच्चे को पाल सकते हैं?
- करण जौहर और तुषार कपूर का कैसा है अब तक का पिता बनने का अनुभव?
एक लंबे समय तक, भारत में सिंगल पेरेंट को केवल माताओ से जोड़कर ही देखा जाता था। ज़्यादातर लोगों की यही धारणा रहती थी की केवल महिला ही अपने बच्चों की परवरिश सही तरीके से करने के योग्य होती है लेकिन यह धारणा अब धीरे-धीरे बदल रही है।
पेरेंट के तौर पर सिर्फ एक पिता का होना पहले असामान्य हुआ करता था पर अब नहीं। अधिकांश भारतीय पुरुष कमाने वाले होते हैं इसलिए वित्तीय दृष्टिकोण से, पिता बेहतर सुसज्जित जरूर होते हैं मगर उन्हे भावनाओ के प्रति और सुसज्जित होने का प्रयास करना पड़ता है।
कौन कहता है कि केवल दो लोग ही एक बच्चे को पाल सकते हैं?
बदलते ज़माने के साथ पुरुष भी अब अकेले पितृत्व का अनुभव करने का विकल्प चुन रहे हैं फिर चाहे वह बच्चे को गोद लेने से हो, सरोगेसी हो या पत्नी के गुज़र जाने के कारण से हो।
यह निर्णय आसान नहीं होता है क्योंकि एकल माता-पिता को एक ही समय में अपने पिता होने के साथ एक माँ की भी भूमिका निभानी होती है। इसके साथ ही बहुत सी ऐसी भी जिम्मेदारिया आ जाती है जिसे सामान्य माता और पिता को निभाने में ज्यादा परेशानी नहीं होती। बढ़ते बच्चे के तरह-तरह के सवालो का सही जवाब देना इतना असान भी नहीं होता है।
कई बार पिता और बच्चे दोनों के लिए स्थिति बहुत तनावपूर्ण हो सकती है, जहां पिता को पैसे कमाने के लिए काम करने की आवश्यकता होती है वही बच्चे के साथ उचित समय बिताना भी उतना ही जरूरी होता है, इसलिए दोनों के बीच एक सटीक नियंत्रन का होना बेहद जरूरी होता है।
जहां महिलाओ को सिंगल पेरेंट या एकल माता के रूप में दुनिया सरहाती है और एक बड़ा उदाहरण स्थापित करती रही हैं वही पुरुषों के लिए सिंगल पैरेंट होना समाज में अभी भी पूरी तरह से स्वीकारा नहीं गया है। सच तो यह है कि भारतीय समाज सिंगल पिता को देखने की आदी नहीं है। इसलिए एक पिता को पारिवारिक और सामाजिक दोनों चुनोतीयाँ का सामना करना पड़ता है।
अनिल चौहान और उनके एकल पिता होने का अनुभव
अनिलचौहान एक डिजिटल उधमी है उन्होने अपना अनुभव सांझा करते हुये कहा है की मेरी बेटी 15 साल की है और मैं यह मानता हूँ की एक सिंगल पेरेंट या एकल पिता का अनुभव आपके सामाजिक स्तर और लिंग के प्रति आपके दृष्टिकोण के आधार पर अलग-अलग होता है। मेरा अनुभव इस बात पर आधारित है कि मैं पढ़ा लिखा हु और एक अंतरराष्ट्रीय कंपनी के साथ पेशेवर रूप से जुड़ा हुआ हूं।
अनिल बताते है की “अक्सर, एक राजकुमारी की अवधारणा का उपयोग लड़कियों को सशक्त बनाने के लिए नहीं, बल्कि उनकी पसंद को सीमित करने के लिए, उन पर स्त्रीत्व की एक बहुत ही संकीर्ण परिभाषा को लागू करने और उन्हें उनके स्थान पर रखने के लिए किया जाता है जिसमे उनकी मनमर्ज़ी नहीं पूछी जाती”।
मेरी लड़की कोई राजकुमारी नहीं है। उसे बचाने की जरूरत नहीं है। वह उसकी कहानी की खुद रचईता है और नायक भी। मैं अपनी बेटी के जरिए दुनिया को यह दिखाने का प्रयास करता हूँ कि महिलाएं समान रूप से उतनी ही मानव हैं जितना की एक पुरुष, वह हर तरह से सक्षम हैं।
मुझे अपनी बेटी पर गर्व है और मैं उसके आत्मसम्मान को बढ़ाने के लिए लगातार काम कर रहा हूं। मैं यह सुनिश्चित करने का प्रयास करता हूं कि वह लिंग के कारण किसी भी तरह से कहीं भी वंचित न होने पाये। मैं अपने दोनों बच्चों (दूसरा बेटा) को सभी मामलों में समान मानता हूं।
हिन्दी फिल्म इंडस्ट्री में भी कई ऐसे पुरुष हैं जो सिंगल पेरेंट्स है और खुश भी, आइए जानते है उनके बारे में :
करण जौहर
https://www.instagram.com/p/CQVF-d_J9rd/
करण जौहर, जुड़वां बच्चे – यश और रूही के पिता है। फिल्म निर्माता ने कई इंटरव्यू में बताया है कि कैसे पिता बनने से उन्हें दुनिया में सबसे अच्छा आनंद मिला और उन्हें अपने बच्चों की परवरिश करने में कोई दिक्कत का सामना नही करना पड़ रहा है।
तुषार कपूर
https://www.instagram.com/p/CXsYizTt-be/
तुषार और उनकी बहन एकता कपूर दोनों ही खूबसूरत लड़कों के सिंगल पेरेंट्स हैं। हाल ही में एक इंटरव्यू के दौरान अभिनेता ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि उन्होंने एकल पिता बनने का एक अच्छा उदाहरण स्थापित किया है, अधिक से अधिक लोगों को बच्चा होने की खुशी का अनुभव करना चाहिए, भले ही वह विवाह के लिए तैयार हो या न हों।
चंद्रचूर सिंह
https://www.instagram.com/p/CCDkd1JJzzn/
अभिनेता चंद्रचूर सिंह को हाल ही में सुष्मिता सेन के साथ वेब श्रृंखला आर्या में देखा गया था। अभिनेता लंबे समय से फिल्म उद्योग से दूर हैं क्योंकि वह अपने बच्चे को पालने में व्यस्त थे जो अब जीवन को समझने के लिए बड़ा हो गया है।
आगे इस लेख में हमने आपके समक्ष कुछ एसे सिंगल पेरेंट या एकल पिता की जीवन से जुड़ी संघर्ष की कहानियाँ को सांझा किया है जो सचमुच एक प्रेरणा का सोत्र है। आइए जानते है सिंगल पिता के अपने बच्चे को पालने में झेली गयी चुनौतियों के साथ-साथ पायी गयी खुशियाँ और उनके अनुभवों के बारे में।
Conclusion: यह कहना गलत नहीं होगा की बदलते दौर के साथ बच्चो की पेरेंटिंग भी बदल रही है। जहां कभी यह उम्मीद भी नहीं किया जाता था कि केवल एक पिता अपने बच्चो की परवरिश कर सकता है वहीं आज यह बात हकीकत बन चुकी है। जरूरी नहीं है की सारे पिता अपने पत्नी के मौत के बाद ही ऐसा कदम उठाया है बल्कि आजकल पुरुष स्वयं अपनी स्वेच्छा से पिता बनने को लेकर उत्सुक है फिर चाहे वह गोद लेकर बने या सरोगेसी से। इस लेख में हमने आप से एक एकल पिता के जीवन से जुड़ी संघर्ष और अपने बच्चे को पालने की खुशियाँ के बारे में बताया है, उम्मीद है की आपको पसंद आया हो।
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