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पैसा vs प्यार : बदलिए सोच, पैसा ही नहीं है सब कुछ - One World News
लाइफस्टाइल

पैसा vs प्यार

पैसा vs प्यार : बदलिए सोच, पैसा ही नहीं है सब कुछ


पैसा एक ऐसी चीज़ है जो सगे भाइयों में भी दरार डलवा सकता है। लोगों का सबसे अधिक मोह पैसे में होता है। पैसे के लिए वे रिश्ते तोड़ भी देते हैं और जोड़ भी लेते हैं। कुछ लोगों को पैसे के अलावा कुछ भी नहीं दिखता परंतु क्या आप भी यह मानते हैं की पैसे को इतनी मेहत्ता देना उचित है? ऐसा बिल्कुल नही है की पैसा ज़रूरी नहीं है, पैसा ज़रूरी है परंतु उसे सबसे अधिक प्राथमिकता देना उचित नहीं है। आजकल की युवा पीढ़ी सबसे अधिक प्राथमिकता केवल पैसे को ही देते हैं।

देखा जाये तो पैसा आज हर रिश्ते की नींव बन गई है जो बहुत गलत है। क्या पैसा ही सब कुछ है? क्या  सिर्फ पैसे के आधार पर रिश्तो या सम्बन्धों का पैसे पर टिका होना सही है? नहीं, पैसा ज़रूरी है किंतु पैसा कोई अहम ज़रूरत नहीं है।

पैसे के बिना भी खुशियाँ हो सकती है। अमेरिका में एक शोध में 2 समूह बनाये गए और उन से लगातार उनकी जीवन शैली के बारे में पूछताछ की जाती रही। उनमे से एक समूह आर्थिक रूप से समर्थ और दूसरे समूह के लोग आर्थिक रूप से उतने अच्छे नही थे। उस शोध में यह देखा गया की जो लोग आर्थिक रूप से समर्थ नही थे उनके अपने परिवार के सदस्यों से बेहतर सम्बन्ध थे।

पैसा vs प्यार
पैसा vs प्यार

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पैसा खुशियाँ नही खरीद सकता। पैसे से आप कितना भी दिखावा कर सकते हैं परंतु सच्ची ख़ुशी की अनुभूति उससे कभी नही होगी। उसकी सच्ची अनुभूति केवल प्रेम से हो सकती है। यह प्रेम किसी भी सम्बन्ध में हो सकता है। प्रेम की कोई सीमा नही है। महान ओशो कहते हैं की प्रेम आत्मा का भोजन है, जिस प्रकार भोजन हमारे शरीर को पोषण देता है उसी प्रकार प्रेम आत्मा की सिंचाई कर उसे खुशियों से भर देता है।

प्रेम का केवल एक पहलू नहीं है। प्रेम के बहुत से पहलु हैं जो अनदेखे रह जाते हैं। प्रेम यदि नीचे गिर जाए तो तो वह वासना बन जाता है और जब वह ऊपर उठता है तो वह साधना बन जाता है। जब प्रेम साधना क्र रूप में उभर कर आता है तब वह बहुत सुन्दर होता है। प्रेम से आप अपने घरवालों के साथ अच्छे सम्बन्ध बनाये रख सकते हैं। प्रेम से आप अपने साथी को खुश रख सकते हैं।

लन्दन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स के अनुसार यह देखा गया की जो लोग अपने सम्बन्धों को अच्छे से प्रेम के साथ निभाते हैं वे साधारण लोगों से 0.6%  अधिक खुश रहते हैं। जीवन में खुशियाँ बहुत अधिक महत्वपुर्ण होती हैं।

प्रेम का आधार पवित्र होना चाहिए। सबसे सुंदर प्रेम का नाता माँ और बच्चे में होता है। जब छोटा बच्चा पैदा होता है तब उस बच्चे और माँ के रिश्ते में पैसे की कोई भूमिका नहीं होती फिर भी यही रिश्ता सबसे पवित्र होता है क्योंकि इसमें कोई छल नहीं होता। माँ बच्चो से निष्फल प्रेम करती है और बच्चा भी उसके स्नेह से भरा रहता है।

सभी सम्बन्ध इतने ही सुंदर हो सकते हैं यदि उनका आधार पैसे को न बनाया जाये या हमेशा पैसे को ही महत्वपूर्ण न समझा जाये। पैसा भी जीने के लिए आवश्यक है परंतु सबसे ज़रूरी चीज़ है पैसा और प्रेम दोनों में एक बैलेंस बनाना अगर ऐसा हो जाये तो आपको सभी खुशियाँ मिल जाएंगी।

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