Rajdhani Express In Assam: असम में वन्यजीवों पर कहर, राजधानी एक्सप्रेस की टक्कर से हाथियों की मौत
Rajdhani Express In Assam, असम में एक दर्दनाक और झकझोर देने वाला रेल हादसा सामने आया है। राज्य के वन क्षेत्र से गुजर रही राजधानी एक्सप्रेस की टक्कर हाथियों के एक झुंड से हो गई,
Rajdhani Express In Assam : राजधानी एक्सप्रेस डिरेल, असम में हाथियों से टक्कर, 5 कोच पटरी से उतरे
Rajdhani Express In Assam, असम में एक दर्दनाक और झकझोर देने वाला रेल हादसा सामने आया है। राज्य के वन क्षेत्र से गुजर रही राजधानी एक्सप्रेस की टक्कर हाथियों के एक झुंड से हो गई, जिसमें कई हाथियों की मौत हो गई, जबकि ट्रेन के पांच डिब्बे पटरी से उतर गए। इस हादसे ने न सिर्फ रेल सुरक्षा बल्कि वन्यजीव संरक्षण को लेकर भी गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
कैसे हुआ हादसा
प्राप्त जानकारी के अनुसार, राजधानी एक्सप्रेस तेज रफ्तार में अपने तय मार्ग पर चल रही थी। इसी दौरान जंगल से सटे रेलवे ट्रैक पर हाथियों का एक झुंड आ गया। अंधेरा होने और घने वन क्षेत्र के कारण लोको पायलट को समय रहते हाथियों का अंदाजा नहीं हो पाया और ट्रेन सीधे झुंड से टकरा गई। टक्कर इतनी भीषण थी कि कई हाथी मौके पर ही दम तोड़ बैठे और ट्रेन के पांच कोच पटरी से उतर गए।
यात्रियों में मची अफरा-तफरी
हादसे के वक्त ट्रेन में सैकड़ों यात्री सवार थे। अचानक तेज झटका लगते ही यात्रियों में अफरा-तफरी मच गई। कई यात्री अपनी सीटों से गिर पड़े, जबकि कुछ को हल्की चोटें भी आईं। राहत की बात यह रही कि कोई भी यात्री गंभीर रूप से घायल नहीं हुआ और बड़ी जनहानि टल गई। रेलवे कर्मचारियों ने तुरंत यात्रियों को सुरक्षित बाहर निकाला।
हाथियों की मौत से वन विभाग में चिंता
इस हादसे में हाथियों की मौत ने वन विभाग और पर्यावरण प्रेमियों को गहरा आघात पहुंचाया है। असम पहले से ही मानव-हाथी संघर्ष की समस्या से जूझ रहा है। जंगलों के सिकुड़ते दायरे और रेलवे ट्रैक के वन क्षेत्रों से गुजरने के कारण ऐसे हादसे बार-बार सामने आ रहे हैं। वन विभाग के अधिकारियों ने मौके पर पहुंचकर मृत हाथियों का पोस्टमार्टम शुरू कराया और पूरे मामले की रिपोर्ट तैयार की।
राहत और बचाव कार्य
हादसे की सूचना मिलते ही रेलवे, एनडीआरएफ और स्थानीय प्रशासन की टीमें मौके पर पहुंच गईं। डिरेल हुए डिब्बों को हटाने और ट्रैक को साफ करने का काम युद्ध स्तर पर शुरू किया गया। यात्रियों को वैकल्पिक ट्रेनों और बसों के जरिए उनके गंतव्य तक पहुंचाने की व्यवस्था की गई। कई घंटों की मशक्कत के बाद रेल यातायात को धीरे-धीरे बहाल किया गया।
रेलवे की प्रारंभिक प्रतिक्रिया
रेलवे अधिकारियों ने हादसे को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए कहा कि प्रारंभिक जांच में हाथियों का अचानक ट्रैक पर आना मुख्य कारण माना जा रहा है। रेलवे की ओर से यह भी कहा गया कि वन क्षेत्रों में पहले से ही कुछ जगहों पर स्पीड लिमिट और अलर्ट सिस्टम लागू हैं, लेकिन इस घटना ने मौजूदा इंतजामों की प्रभावशीलता पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
बार-बार क्यों होते हैं ऐसे हादसे?
असम और पूर्वोत्तर के कई हिस्सों में रेलवे ट्रैक जंगलों और हाथी कॉरिडोर से होकर गुजरते हैं।
- हाथियों के प्राकृतिक रास्तों में रेलवे लाइन बाधा बनती है।
- रात के समय दृश्यता कम होने से खतरा बढ़ जाता है।
- कई जगहों पर स्पीड कंट्रोल और अंडरपास जैसे उपाय नाकाफी हैं।
इसी वजह से ट्रेन-हाथी टक्कर की घटनाएं लगातार सामने आती रही हैं।
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वन्यजीव संरक्षण पर उठे सवाल
इस हादसे के बाद एक बार फिर यह बहस तेज हो गई है कि विकास और वन्यजीव संरक्षण के बीच संतुलन कैसे बनाया जाए। पर्यावरण विशेषज्ञों का कहना है कि हाथियों के लिए सुरक्षित कॉरिडोर, रेलवे ट्रैक के नीचे अंडरपास, बेहतर सिग्नलिंग सिस्टम और ड्राइवरों को विशेष ट्रेनिंग जैसे उपायों को गंभीरता से लागू करने की जरूरत है।
जांच के आदेश
रेलवे और राज्य सरकार ने इस पूरे मामले की उच्चस्तरीय जांच के आदेश दे दिए हैं। जांच में यह पता लगाने की कोशिश की जाएगी कि क्या ट्रेन की गति तय सीमा से अधिक थी, क्या अलर्ट सिस्टम ने काम किया और भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए क्या अतिरिक्त कदम उठाए जा सकते हैं।
यात्रियों की प्रतिक्रिया
हादसे के बाद यात्रियों ने राहत की सांस ली कि उनकी जान बच गई, लेकिन हाथियों की मौत को लेकर उन्होंने भी दुख जताया। कई यात्रियों ने कहा कि यह मंजर बेहद भयावह था और भविष्य में ऐसे हादसों से बचने के लिए ठोस कदम उठाए जाने चाहिए। असम में हुआ यह ट्रेन हादसा सिर्फ एक दुर्घटना नहीं, बल्कि मानव और वन्यजीव के बीच बढ़ते टकराव का प्रतीक है। राजधानी एक्सप्रेस जैसी हाई-स्पीड ट्रेन का हाथियों से टकराना यह बताता है कि मौजूदा सुरक्षा उपाय पर्याप्त नहीं हैं। जरूरत इस बात की है कि रेलवे और वन विभाग मिलकर दीर्घकालिक समाधान निकालें, ताकि न तो निर्दोष जानवरों की जान जाए और न ही यात्रियों की सुरक्षा खतरे में पड़े। इस दर्दनाक घटना ने पूरे देश को सोचने पर मजबूर कर दिया है कि विकास की दौड़ में प्रकृति की अनदेखी आखिर कब तक होती रहेगी।
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