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lala lajpat rai: लाला लाजपत राय पुण्यतिथि 2025, जानें पंजाब केसरी के जीवन, संघर्ष और बलिदान की कहानी

lala lajpat rai, भारत के स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में लाला लाजपत राय का नाम अमर है। उन्हें “पंजाब केसरी” के नाम से जाना जाता है। उनका जीवन देशभक्ति, संघर्ष और त्याग की मिसाल था।

lala lajpat rai : लाला लाजपत राय, वो वीर सपूत जिनकी मौत ने ब्रिटिश साम्राज्य को हिला दिया

lala lajpat rai, भारत के स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में लाला लाजपत राय का नाम अमर है। उन्हें “पंजाब केसरी” के नाम से जाना जाता है। उनका जीवन देशभक्ति, संघर्ष और त्याग की मिसाल था। 17 नवंबर को हर साल हम उनकी पुण्यतिथि मनाते हैं और याद करते हैं उस महान स्वतंत्रता सेनानी को जिसने देश की आज़ादी के लिए अपना सब कुछ न्योछावर कर दिया। इस लेख में जानिए लाला लाजपत राय के जीवन, उनके संघर्ष, और उनकी शहादत की पूरी कहानी।

प्रारंभिक जीवन और शिक्षा

लाला लाजपत राय का जन्म 28 जनवरी 1865 को पंजाब के फिरोजपुर ज़िले के धुडिके गाँव (अब मोगा ज़िले में) में हुआ था। उनके पिता लाला राधाकृष्ण सरकारी स्कूल में अध्यापक थे और माँ गुलाब देवी धार्मिक और संस्कारी महिला थीं। लाजपत राय बचपन से ही बुद्धिमान, साहसी और राष्ट्रप्रेम से ओत-प्रोत थे। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा रेवाड़ी में प्राप्त की और बाद में लाहौर से कानून की पढ़ाई की। वे पढ़ाई के साथ-साथ सामाजिक कार्यों और राष्ट्रीय चेतना के कार्यक्रमों में भी सक्रिय रूप से भाग लेते रहे।

वकालत से सामाजिक सेवा तक

लाला लाजपत राय ने लाहौर में वकालत शुरू की, लेकिन उनका झुकाव समाज सुधार और देश की सेवा की ओर अधिक था। उन्होंने महसूस किया कि जब तक भारत गुलाम है, तब तक समाज की सच्ची उन्नति संभव नहीं है। इसी सोच ने उन्हें राजनीति की ओर प्रेरित किया। वे आर्य समाज से जुड़े और स्वामी दयानंद सरस्वती के विचारों से प्रभावित हुए। उन्होंने शिक्षा, महिला सशक्तिकरण और समाज सुधार के क्षेत्र में कई महत्वपूर्ण कार्य किए।

🇮🇳 स्वतंत्रता आंदोलन में भूमिका

लाजपत राय भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के प्रमुख नेताओं में से एक थे। वे बाल गंगाधर तिलक और बिपिन चंद्र पाल के साथ मिलकर “लाल, बाल, पाल” की त्रयी के नाम से प्रसिद्ध हुए।
तीनों नेताओं ने देश में क्रांतिकारी विचारों को बल दिया और ब्रिटिश शासन के खिलाफ आवाज़ उठाई।

  • उन्होंने स्वदेशी आंदोलन को समर्थन दिया और विदेशी वस्तुओं के बहिष्कार का संदेश दिया।
  • 1905 में बंगाल विभाजन के समय लाजपत राय ने आंदोलन को नई दिशा दी और युवाओं को संगठित किया।
  • वे मानते थे कि भारत की स्वतंत्रता सिर्फ याचना से नहीं, बल्कि संघर्ष और एकता से मिलेगी।

शिक्षा के क्षेत्र में योगदान

लाला लाजपत राय ने शिक्षा को देश की प्रगति की नींव माना। उन्होंने कई शैक्षणिक संस्थानों की स्थापना में अहम भूमिका निभाई।

  • उन्होंने लाहौर में डी.ए.वी. (Dayanand Anglo Vedic) कॉलेज की स्थापना में योगदान दिया।
  • वे मानते थे कि शिक्षा का उद्देश्य केवल नौकरी पाना नहीं, बल्कि चरित्र निर्माण और देशभक्ति का विकास होना चाहिए।
    उनकी सोच ने आने वाली पीढ़ियों को शिक्षा के माध्यम से जागरूक और आत्मनिर्भर बनने की प्रेरणा दी।

विदेश यात्राएं और वैश्विक प्रचार

1914 में लाजपत राय इंग्लैंड और अमेरिका गए, जहाँ उन्होंने ब्रिटिश शासन की नीतियों के खिलाफ भारतीयों की आवाज़ दुनिया के सामने रखी। उन्होंने अमेरिका में Indian Home Rule League of America की स्थापना की और भारतीय स्वतंत्रता के पक्ष में जनमत तैयार किया। उनके लेख, भाषण और किताबें जैसे “Young India” और “The Story of My Deportation” ने विदेशी लोगों को भारत के स्वतंत्रता संघर्ष से परिचित कराया।

साइमोन कमीशन का विरोध और लाठीचार्ज

1928 में ब्रिटिश सरकार ने साइमोन कमीशन गठित किया जिसमें कोई भी भारतीय सदस्य शामिल नहीं था। इससे पूरे देश में आक्रोश फैल गया। लाला लाजपत राय ने लाहौर में साइमोन कमीशन के विरोध में विशाल प्रदर्शन का नेतृत्व किया। जब प्रदर्शनकारी “साइमोन गो बैक” के नारे लगा रहे थे, तब अंग्रेज़ पुलिस ने निर्दयतापूर्वक लाठीचार्ज किया। इस दौरान लाजपत राय गंभीर रूप से घायल हो गए।

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उनकी शहादत का असर

लाला लाजपत राय की मौत ने पूरे देश को झकझोर दिया। उनकी शहादत ने स्वतंत्रता आंदोलन को और तेज़ कर दिया।
भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु जैसे क्रांतिकारी युवाओं ने लाला जी की मृत्यु का बदला लेने का संकल्प लिया और सांडर्स की हत्या की, जिसे लाठीचार्ज के आदेश देने वाला माना गया था। इस प्रकार लाला लाजपत राय की शहादत भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का वह मोड़ बनी जिसने अंग्रेजों के खिलाफ युवाओं में जोश भर दिया।

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लाला लाजपत राय की विरासत

लाला लाजपत राय सिर्फ एक राजनेता नहीं बल्कि एक सच्चे राष्ट्र निर्माता थे।

  • उन्होंने समाज सुधार, शिक्षा, महिला अधिकार और राष्ट्रीय एकता के लिए जीवन समर्पित किया।
  • लाहौर में उनके नाम पर स्थापित लाला लाजपत राय मेडिकल कॉलेज और गुलाब देवी अस्पताल आज भी उनके योगदान की याद दिलाते हैं।
  • उनके लेख और विचार आज भी प्रेरणास्रोत हैं, खासकर युवाओं के लिए जो देश के विकास में योगदान देना चाहते हैं।

लाला लाजपत राय की पुण्यतिथि सिर्फ एक याद नहीं, बल्कि प्रेरणा का दिन है। उन्होंने हमें सिखाया कि देश के लिए सच्चा प्रेम त्याग और बलिदान से ही साबित होता है। उनकी देशभक्ति, निडरता और न्याय के प्रति अटूट विश्वास हर भारतीय को प्रेरित करता रहेगा।

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