ईयू से ब्रिटेन की विदाई
बिट्रेन ईयू में रहे या न रहें इसको लेकर होकर जनमत संग्रह का फैसला आ गया है। लगभग 52 फीसदी लोगों ने बिट्रेन को ईयू से अलग होने के लिए अपना वोट किया है वहीं 48 फीसदी ने इसके साथ बने रहने के कहा था। हां और न के बीच लगभग 10 लाख वोटों का अंतर था।
इंग्लैंड, वेल्स और मिड्सलैंस में अधिकतर मतदाताओं ने अलग होना पसंद किया थी। वहीं दूसरी ओर लंदन स्कॉटलैंड नॉदर्न आयरलैंड के ज्यादातर मतदाता ईयू के साथ रहना ही चाहते थे।
जनमत संग्रह का फैसला
अलगाव से अंतर्राष्ट्रीय बाजार पर प्रभाव
नतीजा आने के बाद ही पाउंड लड़खड़ाया गया है। नतीजे आने के पहले तक पाउंड 1.50 डॉलर चल रहा था। लेकिन जैसे ही बिट्रेन अलग हुआ पाउंड लुढ़ककर 1.41 पर आ गया। इसके साथ ही जापान का बेंचमार्क नेक्कई और हांगकॉन्ग का बेंचमार्क इंडेक्स हैंगसैंग 400 अंक तक गिर गया। ब्रेग्जिट के चलते शुक्रवार का दिन दुनिया भर के बाजारों के लिए ब्लैक फ्राइडे साबित हुआ है।
भारतीय बाजार पर असर
ईयू से अलग होने के साथ ही भारत में भी इसका असर दिखने लगा है। बाजार खुलने बाद ही शुरुआती कारोबार में सेंसेक्स मे जहां 900 अंक की गिरावट दर्ज की गई वहीं निप्टी 300 अंक तक गिर जाया है। डॉलर के मुकाबले रुपये में गिरावट दर्ज की गई है।
ईयू से अलग होते है बिट्रेन स्थित भारतीय कंपनियों पर इसका बहुत ज्यादा असर पड़ेगा। कंपनियों का खर्च भी बढ़ेगा क्योंकि प्रत्येक देश का अलग-अलग कानून होगा जिसके तहत कंपनियों को व्यापार करना होगा। बिट्रेन में ही 800 भारतीय कंपनियां है। जिसमें लगभग एक लाख से ज्यादा लोग काम करते हैं। बिट्रेन में साल 2015 तक लोगों ने 2 लाख 47 हजार करोड़ रुपये निवेश किया। भारतीय आईटी सेक्टर की 6 से 18 फीसदी कमाई बिट्रेन से ही होती है। बिट्रेन के रास्ते भारतीय कंपनियों की यूरोप के इन 28 देशों के 50 करोड़ तक पहुंचती है। कई भारतीय कंपनियां का यूरोप की कई कंपनियों से साथ नए तरीके से डील करनी पड़ेगी। जिसके कारण टैक्स भी देना होगा। टाटा समूह की जगुआर लैंडरोवर के मुताबिक अलग होने से उसे 10 हजार करोड़ रुपये का नुकसान होगा। बिट्रेन से ईयू से अगल होते वीजा को लेकर भी कई तरह की परेशानियां होगी । अब अलग-अलग देशों में जाने के लिए अब अलग वीजा बनाना पड़ेगा जबकि पहले ऐसा नहीं था।