Women Bus Drivers : ये महिलाएं घर के साथ -साथ बस चला कर ला रही है देश मे बदलाव
Women Bus Drivers : देश की वो महिला बस ड्राइवर जो महिलाओं के लिए कर रही हैं बेहतरीन उदाहरण सेट
Highlights –
. महिलायें इन सारे स्टीरियोटाइप्स को तोड़कर इतिहास रच रही हैं।
. प्लेन हो या बस, ट्रेन हो या हेलीकॉप्टर महिलाएं सभी को चलाने में कुशल हैं।
. इसी क्रम में दिल्ली सरकार ने महिलाओं के हाथों दिल्ली के बसों की बागडोर संभालने का जिम्मा दिया है।
. एसडीटीआई बुराड़ी ने पहले ही 100 से अधिक महिलाओं को संगठित किया था और इस कार्यक्रम के लिए 40 से अधिक महिलाओं को लर्नर लाइसेंस जारी किया गया
Women Bus Drivers : महिलाएं चाहे तो क्या नहीं कर सकती हैं। आजकल हर क्षेत्र में महिलाएं आगे हैं। महिलाओं के लिए हमारे समाज में शुरू से एक प्रावधान बना हुआ है कि महिलाएं बस घर संभालने के लिए ही होती हैं, चलिए एक कदम आगे बढ़ कर बोले तो देश की कई महिलाओं को घर से निकलकर मात्र ऐसे काम करने की आजादी है जिन्हें समाज की नज़र में औरतों के लिए सहूलियत का काम कहा जाता है। महिलाओं के लिए जॉब की कैटेगरी बनाई जाती है। शिक्षिका, बैंकर , डॉक्टर, कलेक्टर जैसे प्रोफेशन को ही महिलाओं के लिए सही और सुरक्षित प्रोफेशन का दर्जा दिया गया है।
लेकिन महिलाएं इन सारे स्टीरियोटाइप्स को तोड़कर इतिहास रच रही हैं। वो आज की औरतें हैं आसमान खुला दोगे तो वह फायटर जेट भी उड़ा लेंगी। जी हां, प्लेन हो या बस, ट्रेन हो या हेलीकॉप्टर महिलाएं सभी को चलाने में कुशल हैं। इसी क्रम में दिल्ली सरकार ने महिलाओं के हाथों दिल्ली के बसों की भागदौड़ संभालने का जिम्मा दिया है। इस आर्टिकल में आपको हम इन महिलाओं के बारे में बताएंगे और साथ ही उनके सामने क्या – क्या चुनौतियां आने वाली हैं इनके बारे में भी बताएंगे। इनके अलावा देश में कौन – कौन सी महिलाएं हैं जिनके हाथों में देश के बसों की भागदौड़ है इसके बारे में भी आपको इस आर्टिकल में बताया जाएगा।
दिल्ली सरकार ने बुराड़ी में अपने चालक प्रशिक्षण संस्थान में भारी मोटर वाहन (एचएमवी) लाइसेंस प्राप्त करने के लिए महिलाओं का प्रशिक्षण शुरू कर दिया है। महिलाओं को बसों का चालक बनाने के पीछे सार्वजनिक परिवहन में महिला सुरक्षा को बढ़ावा देना है।
इसका उद्देश्य भारत की राजधानी दिल्ली में महिलाओं को रोजगार का अवसर देना भी है।
इस पहल का उद्देश्य भारत की राजधानी दिल्ली में महिलाओं को रोजगार का अवसर देना भी है। आपको बता दें कि महिलाओं के लिए अनुभव और ऊंचाई पात्रता मानदंड में ढील दी गई है। दिल्ली सरकार ने हाल ही में 11 महिला ड्राइवरों की नियुक्ति की है।
महिला चालकों को उक्त संस्थान में विशेषज्ञों द्वारा कौशल परीक्षण सहित योग्यता प्रशिक्षण प्रदान किया गया है, जिसमें कक्षा प्रशिक्षण और बस ड्राइविंग दोनों शामिल हैं। महिला चालकों को बुनियादी कंप्यूटर ज्ञान पर अतिरिक्त प्रशिक्षण भी प्रदान किया जाएगा। कौशल परीक्षण सहित बस चलाने की क्षमता के लिए प्रशिक्षण की अवधि 30 दिन होगी। पात्र महिला उम्मीदवारों को 05 बैचों में प्रशिक्षण दिया जाएगा।
एसडीटीआई बुराड़ी ने पहले ही 100 से अधिक महिलाओं को संगठित किया था और इस कार्यक्रम के लिए 40 से अधिक महिलाओं को लर्नर लाइसेंस जारी किया गया था, ताकि प्रशिक्षण कार्यक्रम का पहला बैच तुरंत शुरू हो सके। कार्यक्रम के लिए चुनी गई महिलाओं के पास पहले से ही एलएमवी लाइसेंस है और वे भारी वाहन चलाने को अपने पेशे के रूप में अपनाने की इच्छा रखती हैं।
कार्यक्रम के लिए चुनी गई महिलाओं को उनके जीवन स्तर को ऊपर उठाने और उनके लिए बेहतर रोजगार के अवसर पैदा करने को ध्यान में रखते हुए जुटाया गया।
प्रशिक्षण कार्यक्रम के लिए महिला उम्मीदवारों का चयन मानदंड भी तय किया गया है, इनमें गरीबी रेखा से नीचे (बीपीएल श्रेणी) के उम्मीदवार को प्राथमिकता दी गई। उम्मीदवार को महिला वर्ग के लिए कानून द्वारा अनिवार्य चिकित्सा मानक को पूरा करना चाहिए।
First Batch of 11 women bus drivers who have completed their training and will be employed with the DTC
Delhi Govt plans to have 200 women bus drivers with DTC soon. pic.twitter.com/9mt7ebTJLI
— AAP Ka Mehta 🇮🇳 (@DaaruBaazMehta) August 24, 2022
इन महिला ड्रायवर का पहला समूह ऑन बोर्ड आ चुका है। इस समूह में से एक हैं हरियाणा के चरखी दादरी से आने वाली बबीता। बस ड्राइवर बनने से पहले वह गांव में माता – पिता को खेतों में हाथ बंटाती थीं। गाँव में ट्रैक्टर से खेतीबारी का जिम्मा बबीता ने संभाला था आर आज उसी के बदौलत वह दिल्ली में डीटीसी बस चला पाने में सक्षम हैं। वह कहती हैं कि उन्हें अपने काम पर बहुत गर्व होता है।
बबीता की तरह ही हरियाणा की नीतू भी दिल्ली के डीटीसी महिला बस चालकों की सूची में शामिल हुई हैं। वह शिक्षिका की डिग्री ले चुकी हैं लेकिन वैकेंसी न आने की वजह से उन्होंने बस ड्राइवर के लिए अप्लाई किया। नीतू कहती हैं कि उन्हें लॉन्ग ड्राइव का बहुत शौक है और रास्ते से उन्हें बहुत प्यार है। शायद यही वजह है कि यह काम उन्हें बेहद भाता है।
महिलाओं के बस ड्राइवर बनने में चुनौतियों को लेकर नीतू और बबीता कहती हैं कि शुरुआत में लोग उन्हें अलग तरीके से देखते थे, कई लोग आश्चर्य से उन्हें देखा करते थे। लेकिन धीरे – धीरे लोगों का नज़रिया इसके प्रति बदला।
ये महिलाएं प्रतिदिन सुबह साढ़े पांच बजे अपने दिन की शुरुआत करती हैं और यात्रियों को उनके गंतव्य तक पहुँचाती हैं।
इन महिला ड्राइवरों को अभी एक साल के कॉन्ट्रैक्ट पर रखा गया है। बबीता और नीतू के साथ समूह की सारी महिलाओं की उम्मीद नौकरी के स्थाई होने पर है।
सीमा ठाकुर एक ऐसा नाम जिन्हें बस ड्राइवर की सीट पर बैठ बस दौड़ाते देख अगल – बगल से निकलने वाला हर कोई चकित रह जाता है। उनके साथ सफर करने वालों के दिमाग में भी उनका चेहरा छप जाता है। सीमा एचआरटीसी यानी हिमाचल राज्य परिवहन निगम की पहली महिला बस ड्राइवर हैं। सीमा 31 मार्च 2020 को किसी भी इंटर स्टेट रूट पर बस दौड़ाने वाली पहली महिला बस ड्राइवर हैं।
इस श्रेणी में महाराष्ट्र की लक्ष्मी जाधव का नाम भी आता है। लक्ष्मी को जैसे ही पता चला कि बेस्ट में कोई महिला ड्राइवर नहीं है तो उन्होंने तुरंत ही बस ड्राइविंग सीखने के लिए डिन्डोशी डिपो में एनरोलमेंट करा लिया और लक्ष्मी अपने इस कहानी को बड़े शान से बताती हैं। आज वो महाराष्ट्रा की सड़कों पर बसों को चलाकर महिलाओं के लिए एक उम्दा उदाहरण बन गई हैं।
तीसरा नाम जम्मू और कश्मीर की रहने वाली पूजा देवी का है। जम्मू और कश्मीर की पहली महिला बस ड्राइवर बनने का यह सफर इनके लिए इतना आसान नहीं था परंतु इनकी कहानी से यह संदेश मिलता है कि महिलाएं किसी भी क्षेत्र में पीछे नहीं हैं। 30 वर्षीय पूजा देवी कठुआ जिले के संधार-बसोहली गांव में पली-बढ़ी हुई है। इनका ऐसा बताना है कि शुरू से ही इनको ड्राइविंग का बहुत शौक था। किशोरावस्था से ही यह कार चलाने लगी थीं लेकिन इनकी यही इच्छा थी कि वह बड़ी गाड़ियां चलाएं। इन्होंने अपना ये ख्वाब अब पूरा कर दिखाया है।