Shooter Dadi: चंद्रो तोमर और प्रकाशी तोमर कैसे बनी शूटर दादी
चंद्रो तोमर और प्रकाशी तोमर, जिन्हें प्यार से "शूटर दादी" के नाम से जाना जाता है, भारतीय शार्प शूटर हैं जिन्होंने अपनी उन्नत उम्र के बावजूद शूटिंग के क्षेत्र में अपनी उल्लेखनीय उपलब्धियों के लिए पहचान हासिल की।
Shooter Dadi: जानें इनके शुरुआती जीवन से शूटिंग जीवन तक की कहानी
Shooter Dadi: चंद्रो तोमर और प्रकाशी तोमर, जिन्हें प्यार से “शूटर दादी” के नाम से जाना जाता है, भारतीय शार्प शूटर हैं जिन्होंने अपनी उन्नत उम्र के बावजूद शूटिंग के क्षेत्र में अपनी उल्लेखनीय उपलब्धियों के लिए पहचान हासिल की।
चंद्रो तोमर और प्रकाशी तोमर दोनों देवरानी जेठानी है और दोनों ही ‘शूटर दादी’ के नाम से जानी जाती है। इन्होंने सिर्फ अपने गांव का ही नहीं बल्कि पूरे भारत का नाम रोशन किया है। पूरे विश्व में आज इन दोनों की चर्चा शूटर दादी के रूप में होती है। आज देश में मैरी कोम, मीरा बाई चानू अपनी बाजुओं के दम पर देश का मान बढ़ा रहीं है तो उम्र की सीमा से परे हमारे देश के दादियां बंदूक दाग रहीं है। हम बात कर रहे हैं शार्प शूटर दादी की।
शूटर दादी कौन हैं?
उत्तर प्रदेश की दो बुजुर्ग महिलाएं हैं जो ‘शूटर दादी’ या ‘रिवॉल्वर दादी’ के नाम से प्रसिद्ध हैं। इन महिलाओं का असली नाम चंद्रो तोमर और प्रकाशी तोमर है। दोनों रिश्ते में जेठानी और देवरानी हैं। दोनों बागपत की रहने वाली हैं। इसी साल अप्रैल में कोरोना की चपेट में आकर दादी चंद्रो तोमर का निधन हो गया है।
चंद्रो और प्रकाशी तोमर का जीवन परिचय
प्रकाशी तोमर का जन्म 1 जनवरी 1937 को यूपी के मुजफ्फरनगर में हुआ। वहीं चंद्रो का जन्म यूपी के शामली गांव में 1 जनवरी 1932 को हुआ। प्रकाशी का विवाह यूपी के बागपत के जोहरी गांव के जयसिंह से हुआ और चंद्रो तोमर का विवाह जय सिंह के भाई भोर सिंह के साथ हुआ। दोनों ने अपनी जिंदगी के आधे से ज्यादा वर्ष पुरे कर लिए थे, पर उनका शूटिंग में बिलकुल भी इंटरेस्ट नहीं था। यानि उनकी जिंदगी सिर्फ चूल्हे चौके तक सीमित थी। पर यह दोनों महिलाएं तो कुछ और ही करने दुनिया में आई थी।
बेटी को सीखनी थी शूटिंग
प्रकाशी तोमर की बेटी शूटिंग सीखना चाहती थीं। प्रकाशी उन्हें रोजरी रायफल क्लब में ले गईं और बेटी का मनोबल बढ़ाने के लिए पिस्टल हाथ मे थाम फायरिंग कर दी। किस्मत थी या लक्ष्य भेदने की चाह, निशाना सटीक लगा, जिसके बाद रोजरी क्लब के कोच ने प्रकाशी को ही क्लब जॉइन करने को कहा। तब उन्होंने घरवालों से छुप कर क्लब जॉइन किया था।
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घरवालों से छुप कर जाती थी निशानेबाजी की तैयारी करने
प्रकाशी तोमर कहती है की मैं एक साधारण गृहणी थी और इस उम्र में (उस वक्त प्रकाशी तोमर की उम्र 65 वर्ष थी) निशानेबाजी सीखना लोगों के लिए मजाक जैसा था इसलिए मैं खेत में सबसे छुपकर निशानेबाजी सिखा करती थी। इसमें उनकी जेठानी चंद्रो तोमर ने भी उनका साथ दिया और वह दोनों ही निशानेबाजी सीखने लगी।
साथ में उनकी बेटी सीमा भी उन्हें सिखाने लगी। पर कहते है ना कि झूठ ज्यादा दिन नहीं चलता और जैसे ही लोगों को पता चला तो लोगों ने मजाक बनाना शुरू कर दिया।
किसी ने तो कहा की ‘फ़ौज में जायेगी’ तो किसी ने कहा की ‘अब यह कारगिल युद्ध जीतकर आएगी’ पर मेरे घर वालों ने मेरा साथ दिया। और हम दोनों देवरानी जेठानी दोनों ही रोजरी राइफल क्लब में जाने लगी वह हफ्ते में एक दिन जाती और बाकी दिन घर का काम करती थी।
दिल्ली में जीता गोल्ड मेडल
जब दिल्ली में निशानेबाजी के मुकाबले में शूटर दादी ने दिल्ली के डीआईजी को ही शूटिंग में हराकर गोल्ड जीता। इसके बाद वह प्रतियोगिता में भाग लेने लगीं और प्रसिद्ध होने लगीं। वरिष्ठ नागरिक वर्ग में इस जोड़ी को कई अवार्ड से सम्मानित किया जा चुका है। खुद राष्ट्रपति की ओर से इन्हें स्त्री शक्ति सम्मान से नवाजा है।
चन्द्रो और प्रकाशी तोमर दोनों ही निशानेबाजी में सफल हुई
आपको यह सोचकर हैरानी होगी की दोनों देवरानी-जेठानी है और दोनों ने ही जब निशानेबाजी शुरू की तो उनकी उम्र 60 वर्ष से भी ज्यादा थी। इस उम्र में राइफल उठाना भी मुश्किल हो जाता है पर यह दोनों शूटर दादी एक हाथ से बंदूक उठाकर सही निशाना लगाती है।
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2019 में इनकी जिंदगी पर बनी थी फिल्म
आपको बता दें कि चंद्र तोमर और प्रकाशी तोमर की जिंदगी के ऊपर एक फिल्म बनी थी, जिसका नाम है ‘सांड की आँख’, ये फिल्म 25 अक्टूबर 2019 को रिलीज हुई थी। इस फिल्म में तापसी पन्नू व भूमि पेडनेकर ने चंद्रो तोमर और प्रकाशी देवी का किरदार निभाया है। इस फिल्म को लोगों ने बहुत पसंद किया है। इस फिल्म से युवा पीढ़ी और बुजुर्गों को प्रेरणा मिलती है, और बहुत कुछ सीखने को मिलता है। सिर्फ युवा पीढ़ी और बुजुर्ग ही नहीं बल्कि हर उम्र के लोगों के लिए ये फिल्म प्रेरणादायक है।
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