Arundhati Roy: जानें कौन है वो देश की बड़ी लेखिका और समाजसेविका जिन्होंने अपनी पढ़ाई के लिए बेची खाली बोतलें
Arundhati Roy: जानें कौन है अरुंधति राय
Arundhati Roy: आज के समय पर हमारे देश की महिलाएं काफी ज्यादा सशक्त हो गई है। आज देश की बेटियां न्यायपालिका की रक्षा से लेकर फाइटर जेट उड़ाने तक और देश में कानून व्यवस्था को बनाएं रखने के लिए काले कोर्ट से लेकर खाकी वर्दी तक में महिलाएं अपना योगदान दे रही हैं। हमारे देश में कई महिलाएं ऐसी है जिनके पास न तो वर्दी है और न ही उनके पास रक्षा के लिए बल है लेकिन वो अपनी कलम और अथाह ज्ञान से ही समाज सुधारने के लिए कई काम करती रहती है।
यहां हम बात कर रहे है अरुंधति राय की। जो कि अंग्रेजी की एक प्रसिद्ध लेखिका है इतना ही नहीं अरुंधति एक समाज सेविका भी है। बता दें अरुंधति को सोशल वर्क से लेकर लेखन तक में कई बड़े अवाॅर्ड मिल चुके हैं। अरुंधति राय का नाम न सिर्फ हमारे देश में बल्कि विदेशों में भी काफी ज्यादा मशहूर है। तो चलिए और ज्यादा विस्तार से जानते है कौन है अरुंधति राय।
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अरुंधति राय कौन है
अंग्रेजी लेखिका और समाजसेविका अरुंधति राय का जन्म 24 नवम्बर 1961 में शिलॉन्ग में हुआ था। अरुंधति के पिता का नाम राजीब राॅय हैं। और उनकी माता का नाम मैरी रॉय है मैरी रॉय केरल की सीरियाई ईसाई परिवार से थीं, और अरुंधति के पिता कलकत्ता के निवासी बंगाली हिंदू हैं। बता दें कि अरुंधति जब महज दो साल की थी तो उनके माता पिता एक दूसरे से अलग हो गए।
माता पिता के अलग होने के बाद अरुंधति अपनी मां और भाई के साथ केरल आ गईं, वहां उन्होंने अपना बचपन गुजारा। अरुंधति केरल के अयमनम में रहती थीं। उन्होंने अपनी शुरुआती शिक्षा अपनी मां के स्कूल से ली। उसके बाद उन्होंने दिल्ली आकर आर्किटेक्ट की पढ़ाई पूरी की।
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अरुंधति के करियर की शुरुआत
अरुंधति ने महज 16 साल की उम्र में अपना घर छोड़ दिया था और दिल्ली आकर रहने लगीं थी। अरुंधति ने एक इंटरव्यू के दौरान बताया था कि पैसे जुटाने के लिए उन्होंने शुरू में खाली बोतले बेचीं थी और पढ़ाई के लिए भी उन्हें काफी मेहनत करनी पड़ी थी। बहुत ज्यादा मेहनत करने के बाद उन्हें दिल्ली के स्कूल ऑफ आर्किटेक्चर में दाखिला मिलता था। इतना ही नहीं अपने जीवन में सफलता पाने के लिए अरुंधति ने अभिनय भी किया था। ‘मैसी साहब’ नाम की एक फिल्म में अरुंधति लीड रोल में रहीं। इसके साथ ही साथ अरुंधति ने कई फिल्मों के लिए पटकथाएं लिखीं।
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अरुंधति राय की किताब
अरुंधति पर उनके परिवार का काफी गहरा असर रहा था खासकर उनके माता पिता का। यही कारण है कि अरुंधति ने अपनी एक किताब में उन बातों का जिक्र भी किया था। जो उनके साथ दो साल की उम्र में घटित हुईं थीं। अरुंधति कहती है कि मुझे खुद भी नहीं पता कि मैंने कैसे उन बातों के बारे में लिखा। बता दें कि अरुंधति ने इलेक्ट्रिक मून (1992), द गॉड ऑफ स्माल थिंग्स और ‘इन विच एनी गिव्स इट दोज़ वंस (1989) जैसे कई उपन्यास लिखे।