सड़को पर ट्रैफिक के सैलाब के बीच, खोती इन मासुमों की मासुमियत
हैरानी की बात है जिन हाथों में खिलौने और पढ़ने के लिए किताबें होनी चाहिए, उनके हाथ बड़ी गाड़ियों और लोगों के आगे फैले रेड लाइट पर देखे जाते हैं। अक्सर रेड लाइट पर 14 साल से कम उम्र के बच्चे भिख मांगते व छोटा-मोटा समान बेचते दिख जाते हैं।
अजीब बात है भारत जैसे विकासशील देश में स्टार्टअप जैसे प्रगतिशील योजनाएं शुरू हो चुकी हैं, ऐसे में बाल मजदूरी जैसी बड़ी और संगीन समस्याएं आज भी देश से खत्म होने का नाम नही ले रही।
आखिर कहां गई वो सरकार जो बाल मजदूरी का कड़ा विरोध करती है..? कहां हैं वह नामी-ग्रामी एनजीओ जो इन बच्चों के पालन-पोषण का जिम्मा उठाते हैं?
सड़को पर यू खुले आम पुलिस के सामने यह बच्चे रेड लाइट पर भिख मांगते हैं, समान बेचते हैं..!
आखिर इन गरीब बच्चों की सुरक्षा का जिम्मा कौन उठाएगा? जब इस मुद्दे पर एक ट्रैफिक पुलिस से हमारे रिपोर्टर ने बात करनी चाही… उनसे इस समस्या का समाधान पुछा गया… तो देखिए, क्या था उनका जवाब…!!!