क्या होता है बीटिंग रिट्रीट ? जाने इस से जुड़े इतिहास के बारे में ?
यह है बीटिंग रिट्रीट से जुड़ी कुछ अहम बातें:
बीटिंग रिट्रीट हर साल 29 जनवरी को मनाते है. जो गणतंत्र दिवस के समारोह की समाप्ति को दर्शाता है. साथ ही इस समारोह में थल सेना, वायु सेना और नौसेना के बैंड अलग- अलग धुन बजाते हुए मार्च करते हैं. बीटिंग रिट्रीट का यह समारोह हर साल रायसीना हिल्स पर मनाया जाता है.
सबसे पहले जानते है की क्या है बीटिंग रिट्रीट ?
बीटिंग रिट्रीट जो है वो हर साल 26 जनवरी के तीन दिन बाद यानी की 29 जनवरी को रायसीना हिल्स पर शाम 6 बजे से मनाया जाता है। जिसके चीफ गेस्ट होते है देश के राष्ट्रपति. यह समारोह देश के गौरव को झलकाता है.जिसमे तीनों सेनाएं आर्मी, नेवी और एयरफोर्स सेना एक साथ मिलकर बैंड और अलग- धुन बजाते है। इसके अलावा परेड भी करते है और राष्ट्रपति को सलामी देते है.
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साथ ही इसकी तैयारियाँ 26 जनवरी से ही शुरू हो जाती है जब राष्ट्रपति भवन समेत सरकारी भवनों को भी अच्छी तरह सजाया जाता है. वही इस समारोह का समापन ‘सारे जहां से अच्छा गाने’ की धुन के साथ खत्म किया जाता है. जिसे 26 जनवरी यानी गणतंत्र दिवस के समारोह की समाप्ति को सूचक कहा जाता है. ऐसा भी कहा जाता है की जब युद्ध के दिनों सेना शाम को युद्ध विराम करती थी, तब सेना के बैंड उनके लिए संगीतमय कार्यक्रम आयोजित करते थे. इसे ही बीटिंग रिट्रीट कहते थे.
अब जानते है बीटिंग रिट्रीट से जुड़े इतिहास के बारे में ?
बीटिंग रिट्रीट की शुरुआत साल 1950 में इंडियन आर्मी के मेजर रॉबर्ट के द्वारा की गई थी.साथ ही इसे पहले ‘वॉच सेटिंग’ भी कहा जाता था और यह सूर्य के अस्त होने के समय पर मनाया जाता है. बीटिंग समारोह को इतिहास में दो बार रद्द भी किया गया है पहले 2001 को जब गुजरात मे भूकंप आया था और दूसरी बार तब जब 2009 को देश के आठवें राष्ट्रपति वेंकटरमन का लंबी बीमारी के बाद निधन हो हुआ था.
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