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कैसे आप सुबह में एक निश्चित समय पर जाग सकते हैं?

सुबह जल्दी उठने की आदत कैसे डालें?


हममें से ज्यादातर लोगों ने कभी ना कभी ये कोशिश ज़रूर की होगी कि रोज़ सुबह जल्दी उठा जाये। हो सकता है कि आपमें से कुछ लोग कामयाब भी हुए हों, पर अगर बहुत्ता की बात की जाये तो वो ऐसी आदत डालने में सफल नहीं हो पाते। लेकिन आपकी सफलता की शायद निश्चित रूप से बढ़ जाएगी।

अलार्म की टिक-टिक
अलार्म की टिक-टिक

कैसे डालें सुबह जल्दी उठने की आदत? 

सुबह उठने वाले लोग पैदाईशी ऐसे होते हैं या ऐसा बना जा सकता है? मेरे वाले केस में तो ये सीन था कि मैं शायद ही कभी मिडनाइट से पहले सोती होंगी और लगभग कॉलेज के दिनों में तो हमेशा ही देर तक सोती रहती थी। लेकिन इस वजह से मुझे बहुत से प्रोब्लेम्स का भी सामना करना पड़ा। वैसे तो सुबह जागने के बहुत से फायदे हैं जैसे कि समय पर जागने की वजह से आप समय पर नाश्ता और ऑफिस जाने की भी कोई हड़बड़ी नहीं होती है और आप आराम से रेडी होकर जाते हो। आप ना सिर्फ सुबह के वक़्त ही बल्कि पूरे दिन फ्रेश और अच्छा महसूस करेंगे और इसका असर पुरे दिन बरक़रार रहेगा। वैसे तो सुबह जागना मुश्किल है पर अगर सही तरीके के साथ ऐसा किया जाना अपेक्षाकृत आसान है और धीरे-धीरे मुझे भी ये समझ में आने लग गया कि सुबह उठने के काफी फायदे हैं।

आइये जानते हैं कि सुबह कैसे आप आसानी से एक सही स्ट्रेटेजी के साथ जल्दी जग सकते हैं:-

ज्यादातर लोग यहीं सोचते हैं कि उन्हें 7-8 घंटे की नींद लेनी जरुरी है लेकिन वास्तव में ऐसा नहीं है। और इसी वजह से आप यह देखते हैं कि आप कितने घंटे की नींद लेते हैं, और  फिर  सभी  चीजों  को नोटिस करके कभी-कभी अपने टाइम को रेगुलर टाइम से खिसका देते हैं। अगर आप मिडनाइट से सुबह 8 बजे  तक  सोते  हैं तो अब आप ये निर्णय करते हैं कि रात के 10 pm पर  सोने  जायेंगे  और 6 am पर  उठेंगे। सुनने में तर्कसंगत लगता है पर नोर्मली ये तरीके काम नहीं करते।

वैसे तो इस विषय में दो विचारधाराएं हैं- एक तो यह है कि आप हर रोज़ एक ही वक़्त पर सोयें और जागें। ये ऐसा है जैसे कि दोनों तरफ अलार्म क्लॉक लगी हो और आप हर रात उतने  ही  घंटे सोने का प्रयास करते हैं। आधुनिक  समाज  में  जीने  के  लिए  यह  व्यवहारिक  लगता  है लेकिन हमें अपनी इस योजना का सही अनुमान होना चाहिए और  हमें  पर्याप्त  आराम भी करना चाहिए।

दूसरी  विचारधारा  कहती  है  कि  आप  अपने  शरीर  की  ज़रुरत  को  सुनिए  और  जब  आप  थक  जायें  तो  सोने  चले  जाइये  और  तब  उठिए  जब खुद से आपकी नींद खुले। हमारे  शरीर  को  पता  होना  चाहिए  कि  हमें कितने देर की रेस्ट चाहिए, इसीलिए हमें दिमाग की कम और अपनी बॉडी की सुननी चाहिए। वैसे दोनों  ही  तरीके  पूरी  तरह  से  उचित स्लीप पैटर्न्स नहीं  देते।

आलस फील करना
आलस फील करना

कारण :

यदि आप निश्चित समय पे सोते  हैं  तो  कभी -कभी  आप  तब  सोने  चले  जायेंगे  जब आपको  बहुत नींद ना आ रही हो। यदि आपको सोने में 5 मिनट से ज्यादा लग रहे हों तो इसका  मतलब  है  कि आपको  अभी  ठीक  से  नीद  नहीं  आ  रही  है। आप बिस्तर पर लेटे -लेटे अपना  समय  बर्वाद कर रहे हैं सो  नहीं  रहे  हैं।

एक और प्रोब्लेम्स ये है कि आप सोचते हैं कि आपको हर रोज़ उतने ही घंटे की नींद चाहिए जो कि गलत है क्यूंकि आपके शरीर को हर दिन एक बराबर नींद की ज़रुरत नहीं होती। ज्यादातर लोग जो हर दिन 8+hrs सोते  हैं जो कि आमतौर पर बहुत ज्यादा है। यदि आप रोज़ डिफरेंट समय पर उठ रहे हैं तो आप सुबह का कोई भी काम सही से नहीं कर पायेंगे और आपकी लाइफ स्केडुल से मैच नहीं करती तो प्राय: आपके सोने का समय भी आगे बढ़ता चला जाएगा।

वैसे तो ये बहुत आसान है, और बहुत से लोग जो सुबह जल्दी उठते हैं, वो बिना ऐसे रूटीन को फॉलो किये हुए ही ऐसा  करते हैं पर सबके लिए ये आसान नहीं होता। इन सब का उपाय ये  है कि बिस्तर पर तभी जाएँ जब सच में नींद आ रही हो और हर दिन के जागने का एक  निश्चित समय बना लें और उसी समय पर जागें।

बोर पीपल
बोर पीपल

इसीलिए प्राय: मैं  बिस्तर  पर  तब ही जाती हूँ जब  मुझे  बहुत  तेज  नीद  आ  रही  हो।  लेकिन कई बार मैं अपने सोने के टाइम के साथ एडजस्टमेंट कर लेती हूँ और जब नींद आती है तभी सोने जाती हूँ। जब हर दिन मेरा अलार्म बजता है तो पहले मैं उसे बंद कर देती हूँ, कुछ सेकंड्स तक मैं इसके बारे में सोचती हूँ कि मैं उठने में जितनी देरी करूंगी, उतनी देर तक चांसेस हैं कि मई वापिस सो जाऊं और एक्स्ट्रा सोने के कोई फायदे तो हैं नहीं और जितनी देर तक सोउंगी उतना ही ज्यादा मेरे खुद का टाइम वेस्ट होगा।

इस पैटर्न को कुछ दिन तक अपनाने के बाद  मैंने पाया कि मेरे स्लीपिंग पैटर्न में सुधर आयीं हैं और एक सही पैटर्न सेट हो गया। अगर  किसी  रात  मुझे  बहुत कम नींद मिलती है तो अगली रात अपने आप ही मुझे खुद ही जल्दी नींद आ जाती है और मेरी बॉडी को अच्छे से पता है कि मैं किस वक़्त पे सोउ और किस टाइम जागूँगी।

मैंने कहीं पढ़ा है कि ज्यादातर अनिद्रा रोगी वो होतें हैं जो नींद आने से पहले ही बिस्तर पर  चले जाते हैं। यदि आपको नहीं आ रही हो और  ऐसा लगता हो कि आपको जल्द ही नींद नहीं आएगी, तो उठ जाइये और कुछ देर तक जगे रहिये। नींद को तब तक रोकिये जब तक आपकी बॉडी आपको इशारे ना करने लगे। आप  तभी बेड पे जाएँ जब  आपको नींद आ रही हो। पहली रात आप हो सकता है कि देर तक जागेंगे, पर बिस्तर पर  जाते ही आपको नींद आ जाएगी।

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