Mini Maldives In Uttrakhand: उत्तराखंड में है मालदीव जैसी जगह, लाखों खर्च करने के बजाए सस्ते में करें Floating Huts को इंजॉय, गर्मियों के लिए बेस्ट है टिहरी
Mini Maldives In Uttrakhand: अगर आप भी मालदीव घूमने का प्लान बना रहे हैं तो फिर उत्तराखंड की इस खूबसूरत जगह को देखकर विदेश जाना भूल जाएंगे।
Mini Maldives In Uttrakhand: सैलानियों के लिए बेहद ही खास है उत्तराखंड का मिनी मालदीव, भूकंप या अन्य आपदाओं से कोई खतरा नहीं
भारत का उत्तराखंड कुछ ऐसी-ऐसी जगहों के लिए फेमस है, जिसे देखने लिए विदेशियों में भी होड़ सी मच जाती है। अब आप यही देख लीजिए जैसे ही केदारनाथ धाम के कपाट खुलते हैं, वैसे ही देश के साथ-साथ विदेशियों को भी यात्रा करते हुए देखा जाता है। अब क्या करें, अपना उत्तराखंड है ही इतना हसीन! आज हम आपको एक ऐसी और दिलचस्प जगह बताने वाले हैं, जिसके बारे में सुनकर आपका भी यहां घूमने का मन कर जाएगा। Mini Maldives In Uttrakhand टिहरी बांध में मौजूद मिनी मालदीव कहे जाने वाले इस फ्लोटिंग हॉउस पर घूमने के लिए लोगों में होड़ सी मची हुई है। ये जगह देखने में एकदम मालदीव की कॉपी लगती है। अगर आप मालदीव जाने की प्लानिंग कर रहे हैं, तो एक बार यहां जरूर जाएं। शायद आपके लाखों रुपए बच सकते हैं और 2 दिन में पूरा मालदीव का फील ले सकते हैं।
उत्तराखंड के टिहरी बांध पर बने फ्लोटिंग हट्स को “उत्तराखंड का मिली मालदीव” कहा जाता है क्योंकि ये हट्स पानी के ऊपर तैरते हैं, जैसा कि मालदीव के प्रसिद्ध वाटर विला होते हैं। ये हट्स पर्यटन के लिए एक अद्वितीय अनुभव प्रदान करते हैं, जहां आप पानी के ठीक ऊपर रहते हैं और सुंदर झील के दृश्य का आनंद ले सकते हैं। Mini Maldives In Uttrakhand आपको बता दें कि टिहरी बांध, उत्तराखंड के टिहरी गढ़वाल जिले में स्थित है। यहां पहुंचने के लिए हवाई मार्ग, ट्रेन व सड़क मार्ग तीनों की सुविधा मिलती है।
सैलानियों के लिए बेहद ही खास है मिनी मालदीव Mini Maldives In Uttrakhand
उत्तराखंड का मिनी मालदीव सैलानियों के लिए बेहद ही खास है। टिहरी बांध पर बना फ्लोटिंग हाउस और आसपास की जगहों पर घूमने का भरपूर मौका मिलता है। यहां फ्लोटिंग हाउस में ठहरने के साथ-साथ हर सैलानी एक से एक बेहतरीन वाटर एक्टिविटीज का भी लुत्फ उठा सकते हैं। जैसे- स्पेशल बोटिंग और पैरासेलिंग का लुत्फ़ उठा सकते हैं। यहां मौजूद प्राकृतिक खूबसूरती को निहारने और अभिभूत होने के बाद हर सौलानी कुछ समय इसी स्थान बस जाना चाहेगा।
गंगा और भागीरथी नदी के ऊपर बना है टिहरी बांध Mini Maldives In Uttrakhand
इसके अलावा टिहरी बांध की खूबसूरती को भी करीब से देख सकते हैं। गर्मियों में यहां सबसे अधिक सैलानी पहुंचते हैं। देहरादून से टिहरी पहुंचने में ढाई घंटे का समय लगता है। यहां प्राकृति ने खूब नेमत बरसायी है। यहां गंगा और भागीरथी नदी के ऊपर टिहरी बांध बनाया गया है। जहां ‘फ्लोटिंग हट्स एंड इको रूम्स’ (Floating Huts) बनाए गए हैं। इसमें पर्यटकों के रहने के साथ ही खाने-पीने की व्यवस्था भी होती है।
कई वॉटर स्पोर्ट्स एक्टिविटीज का ले सकते हैं मजा Mini Maldives In Uttrakhand
टिहरी झील में आप कई वॉटर स्पोर्ट्स एक्टिविटीज कर सकते हैं। यहां आप बोटिंग, बनाना राइड और पैरासेलिंग कर सकते हैं और कयाकिंग, बोटिंग, जोरबिंग, बनाना वोट सवारी, बैंडवेगन वोट सवारी, हॉटडॉग सवारी, पैराग्लाइडिंग और जेट स्कीइंग भी कर सकते हैं। यहां हर साल लाखों की संख्या में पर्यटक पहुंचते हैं और सुनहरी यादों को समेट कर अपने साथ ले जाते हैं। अगर आप भी यहां घूमने का प्लान बना रहे हैं, तो फोटो क्लिक करवाना ना भूलें।
प्री वेडिंग फोटोशूट डेस्टिनेशन के लिए फेमस Mini Maldives In Uttrakhand
पर्यटन स्थल होने के साथ ही टिहरी अब प्री वेडिंग फोटोशूट डेस्टिनेशन के रूप में भी उभर रहा है। यहां की वादियों के बीच जोड़ों को फोटोशूट करवाना बेहद पसंद आ रहा है। टिहरी फ्लोटिंग हट के लिए आप ऑनलाइन बुकिंग करवा सकते हैं। टिहरी पहुंचने के लिए आपके पहले देहरादून या ऋषिकेश पहुंचना होगा। इसके बाद आप यहां से टैक्सी या अपने निजी वाहन से टिहरी पहुंच सकते हैं।
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1978 में शुरू हुआ था टिहरी बांध का निर्माण Mini Maldives In Uttrakhand
आपको जानकारी के लिए बता दें कि उत्तराखंड में बना ये टिहरी बांध रॉकफिल तकनीक से बना अपनी श्रेणी का देश का सबसे ऊंचा बांध है। इसका निर्माण वर्ष 1978 में शुरू हुआ था और 2006 में बांध से बिजली उत्पादन शुरू हो गया था। रॉकफिल तकनीक से बना होने के कारण यह बांध आठ रिएक्टर स्केल तीव्रता तक के भूकंप को झेल सकता है। बांध का निर्माण भागीरथी नदी में 260 मीटर की ऊंचाई पर हुआ है। टिहरी झील 42 वर्ग किमी क्षेत्र में फैली हुई है।
भूकंप या अन्य आपदाओं से खतरा नहीं Mini Maldives In Uttrakhand
टिहरी बांध का पानी रोकने वाली दीवार में सिर्फ मिट्टी-पत्थर भरे गए हैं। मिट्टी और पत्थर से बने इस बांध पर भूकंप या अन्य कोई आपदा आने से दरार पड़ने का खतरा नहीं है। बांध की दीवार के शीर्ष की चौड़ाई 30.5 मीटर है और लंबाई 575 मीटर है। इसके ऊपर से ही वाहनों की आवाजाही होती है। वर्ष 2013 में जब केदारनाथ में आपदा आई थी तब टीएचडीसी प्रबंधन ने टिहरी बांध से पानी छोड़ना बंद कर दिया था। जिसे आगे के क्षेत्रों में आपदा का असर नहीं पड़ा।
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