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Krishna Ghati Village In Hungary: हंगरी का ये गांव जिसके किस्से जानकर आप भी हो जाएंगें हैरान, जानिए यहां की खास बातें

साल 1993 में इस्कॉन संस्था से जुड़े शिवराम स्वामी ने हंगरी में इस गांव की नींव रखी। इस गांव की नींव रखने में उनका उद्देश्य ये था कि प्राकृतिक, आध्यात्मिक और आत्मनिर्भर जीवन को बढ़ावा देना, ठीक उसी तरह जैसा भारत में सतयुग के समय था।

Krishna Ghati Village In Hungary: शिवराम स्वामी ने हंगरी में इस गांव की रखी नींव, यहां कि जीवनशैली पूरी तरह वैदिक


Krishna Ghati Village In Hungary: यूरोप में एक ऐसा गांव है जहाँ लोग आज भी प्राचीन सनातन परंपराओं के अनुसार जीवन जीते हैं। इस गांव का नाम कृष्णा घाटी है।​ यह हंगरी की राजधानी बुडापेस्ट से लगभग 174 किलोमीटर दूर स्थित है। यह गांव सनातन धर्म की प्राचीन परंपराओं का पालन करता है। यहां के लोग धोती-कुर्ता पहनते हैं, महिलाएं साड़ी पहनती हैं, और बैलों से खेती करते हैं। बच्चों को संस्कृत के साथ-साथ आधुनिक शिक्षा भी दी जाती है। गांव में जैविक खेती, गौशालाएं, आयुर्वेदिक केंद्र और सोलर पैनल जैसी सुविधाएं हैं, जो इसे आत्मनिर्भर बनाती हैं। यह गांव हंगरी में एक प्रमुख पर्यटन स्थल बन चुका है, जहाँ हर साल हजारों पर्यटक आते हैं। यहां के लोग हिंदू त्योहारों को धूमधाम से मनाते हैं, और हंगरी सरकार भी इस गांव का समर्थन करती है।​

शिवराम स्वामी ने हंगरी में इस गांव की रखी नींव

साल 1993 में इस्कॉन संस्था से जुड़े शिवराम स्वामी ने हंगरी में इस गांव की नींव रखी। इस गांव की नींव रखने में उनका उद्देश्य ये था कि प्राकृतिक, आध्यात्मिक और आत्मनिर्भर जीवन को बढ़ावा देना, ठीक उसी तरह जैसा भारत में सतयुग के समय था।

ऐसे हुए हजारों हंगेरियन सनातन धर्म की ओर आकर्षित

कृष्णा घाटी की स्थापना 1993 में शिवराम स्वामी ने की थी, जो इस्कॉन से जुड़े थे। उन्होंने हंगेरियन भाषा में भगवद गीता का अनुवाद किया, जिससे हजारों हंगेरियन सनातन धर्म की ओर आकर्षित हुए।​

जानिए इस गांव की खास बातें

आज भी इस गांव में खेती बैलों की मदद से की जाती है। इस गांव में ट्रैक्टर नहीं चलते। इतना ही नहीं इस गांव में रासायनिक खाद की बजाय जैविक खेती होती है।

यहां कि जीवनशैली पूरी तरह वैदिक

यहां कि जीवनशैली पूरी तरह वैदिक है। यहां के लोग धोती, कुर्ता ओर महिलाएं साड़ी पहनते हैं। यहां सुबह-सुबह संकीर्तन ओर भगवद गीता का पाठ होता है। यहां के लोग शुद्ध शाकाहारी भोजन करते हैं जिसमें लहसुन-प्याज भी नहीं डाला जाता। गांव में एक बड़ी गौशाला है, जहाँ गायों की सेवा की जाती है। लोग सौर ऊर्जा से बिजली चलाते हैं, और अपनी जरूरत की चीज़ें खुद उगाते हैं।

यहां कि शिक्षा और संस्कृति

इस गांव के बच्चों को संस्कृत, वेद, भगवद गीता के साथ-साथ विज्ञान और गणित भी सिखाया जाता है। यहां के लोग हंगेरियन भाषा के साथ संस्कृत में भी पारंगत हैं।

पर्यटकों को काफी आकर्षित करती है ये गांव

यह गांव एक पर्यटन स्थल बन चुका है। यह गांव पर्यटकों को काफी आकर्षित करती है। हर साल हजारों लोग यहां आध्यात्मिक अनुभव के लिए आते हैं। कई यूरोपियन नागरिक यहां बस चुके हैं और भारतीय परंपराओं को पूरी श्रद्धा से अपनाया है।

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जानिए क्यों कहते हैं इसे सतयुग जैसा गांव?

हंगरी के कृष्णा घाटी को इसलिए सतयुग जैसा गांव कहा जाता है क्योंकि यहां का वातावरण शुद्ध, शांत और सात्त्विक है। कोई झूठ, छल, दिखावा या हिंसा नहीं। लोग दिनचर्या को भगवान की सेवा, प्रकृति के साथ सामंजस्य और सादा जीवन के रूप में जीते हैं।

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