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Global Warming: बढ़ता तापमान – घटती हरियाली ने लोगो को किया परेशान, जानिए क्या है ग्लोबल वार्मिंग के मुख्य कारण

Global Warming: ग्लोबल वार्मिंग आज की दुनिया में सबसे गंभीर समस्याओं में से एक हैं। यह घटना पिछले कई सालो से देखी जा रही हैं। यह समस्या केवल वातावरण तक सिमित नहीं है,

Global Warming: पेड़ों को काटना- वाहनों का अत्यधिक उपयोग ग्लोबल वार्मिंग कि है बड़ी समस्या…

ग्लोबल वार्मिंग एक ऐसी समस्या है, जिसका समाधान हम सबकी सहभागिता से ही संभव है। हमें अपनी जीवनशैली में छोटे-छोटे बदलाव लाकर इस संकट को कम करने की दिशा में कदम उठाने होंगे। यदि अभी भी हमने चेतना नहीं दिखाई, तो भविष्य की पीढ़ियाँ इसके दुष्परिणाम भुगतने को मजबूर होंगे|

Global Warming: ग्लोबल वार्मिंग आज की दुनिया में सबसे गंभीर समस्याओं में से एक हैं। यह घटना पिछले कई सालो से देखी जा रही हैं। यह समस्या केवल वातावरण तक सिमित नहीं है, बल्कि इसका सीधा असर जीव जन्तुओ, जलवायु , कृषि ,मानवीय जीवन पर नकारात्मक प्रभाव डाल रहा है। वैज्ञानिको ने इसके समर्थन में प्रासंगिक डेटा दिखाते हुए प्रदान किया कि पृथ्वी का तापमान लगातार बढ़ रहा है। ये कारण प्राकृतिक हो सकते हैं या मानवीय गतिविधियों का परिणाम हो सकते हैं। समस्याओं पर अंकुश लगाने के लिए, ग्लोबल वार्मिंग के नकारात्मक प्रभावों को समझना बहुत महत्वपूर्ण है।

जानिए ग्लोबल वार्मिंग पर क्या कहते हैं वैज्ञानिक

ग्लोबल वार्मिंग पर वैज्ञानिक कहते हैं कि इस परिवर्तन के पीछे ग्रीन हाउस गैसों की मुख्य भूमिका है। जिन्हें सीएफसी या क्लोरो फ्लोरो कार्बन भी कहते हैं। इनमें कार्बन डाई ऑक्साइड है, मीथेन है, नाइट्रस ऑक्साइड है और वाष्प है। वैज्ञानिकों का कहना है कि ये गैसें वातावरण में बढ़ती जा रही हैं और इससे ओज़ोन परत की छेद का दायरा बढ़ता ही जा रहा है। ओज़ोन की परत ही सूरज और पृथ्वी के बीच एक कवच की तरह है।

फैक्ट्री और उद्योगों का बढ़ना

औद्योगीकरण के आगमन के साथ ही पृथ्वी का तापमान तेजी से बढ़ रहा है। कारखानों से निकलने वाले हानिकारक उत्सर्जन से पृथ्वी का तापमान और बढ़ रहा है। 2013 में जलवायु परिवर्तन के लिए अंतर-सरकारी पैनल ने रिपोर्ट दी थी कि 1880 से 2012 के बीच वैश्विक तापमान में 0.9 डिग्री सेल्सियस की वृद्धि हुई है। औद्योगिकीकरण से पहले के औसत तापमान की तुलना में यह वृद्धि 1.1 डिग्री सेल्सियस है।

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जानिए क्या है ग्लोबल वार्मिंग के कारण

पेड़ों को काटना

पेड़ एक मुख्य स्तोत्र है साँस लेने का वे कार्बन डाइऑक्साइड लेते हैं और ऑक्सीजन छोड़ते हैं जिससे पर्यावरण संतुलन बना रहता है। कई घरेलू और व्यावसायिक उद्देश्यों के लिए वनों को खत्म किया जा रहा है। इससे पर्यावरण असंतुलन पैदा हुआ है, जिससे ग्लोबल वार्मिंग बढ़ रही है।

वाहनों का अत्यधिक उपयोग

आज कल हर घर गाड़ी हैं इनसे निकलने वाला धुआँ भी हवा को प्रदूषित करता हैं।

जनसंख्या

जनसंख्या में वृद्धि का मतलब है कि ज़्यादा लोग सांस ले रहे हैं। इससे वातावरण में कार्बन डाइऑक्साइड का स्तर बढ़ जाता है, जो ग्लोबल वार्मिंग का मुख्य कारण है।

ग्लोबल वार्मिंग के दुष्प्रभाव0मौसम में असामान्यता

अत्यधिक गर्मी, अप्रत्याशित बारिश, बर्फबारी में कमी और सूखे जैसी घटनाएं आम होती जा रही हैं।

ग्लेशियरों का पिघलना

ध्रुवीय क्षेत्रों की बर्फ तेजी से पिघल रही है जिससे समुद्र का जलस्तर बढ़ रहा है और तटीय इलाकों पर बाढ़ का खतरा मंडरा रहा है।

जैव विविधता पर खतरा

कई जीव-जंतु या तो प्रवास कर रहे हैं या विलुप्त हो रहे हैं क्योंकि वे नई जलवायु परिस्थितियों में जीवित नहीं रह पा रहे।

कृषि पर प्रभाव

सूखा और अनियमित बारिश खेती को नुकसान पहुँचा रहे हैं।

मानव स्वास्थ्य पर असर

हीट स्ट्रोक, एलर्जी, दमा, त्वचा रोग और जलजनित रोगों में वृद्धि हो रही है।

ग्लोबल वार्मिंग के समाधान

ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाए

अधिक से अधिक पेड़ लगाना और पेड़ो की कटाई पर रोक लगाए

सावर्जनिक परिहवन का उपयोग

निजी वाहनों की जगह पब्लिक ट्रांसपोर्ट का करे इस्तेमाल ताकि प्रदूषण घटे

एनर्जी को बचाये

जरूरत होने पर बिजली , पानी का का करे इस्तेमाल

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