Sunil Chhetri Retirement: फुटबॉल फैंस के लिए झटका! सुनील छेत्री ने टीम इंडिया से लिया संन्यास, जल्द छोड़ेंगे प्रोफेशनल खेल भी
Sunil Chhetri Retirement, भारतीय फुटबॉल टीम के महान कप्तान सुनील छेत्री ने 6 जून को अंतरराष्ट्रीय फुटबॉल को अलविदा कह दिया।
Sunil Chhetri Retirement : छेत्री का भावुक फैसला, अब नहीं पहनेंगे नीली जर्सी, अगले साल अलविदा कहेंगे फुटबॉल को
Sunil Chhetri Retirement, भारतीय फुटबॉल टीम के महान कप्तान सुनील छेत्री ने 6 जून को अंतरराष्ट्रीय फुटबॉल को अलविदा कह दिया। लगभग दो दशकों तक देश का नाम रोशन करने वाले इस खिलाड़ी ने जब संन्यास की घोषणा की, तो खेल जगत में भावनाओं की लहर दौड़ गई। 150 से अधिक मैच खेलने वाले छेत्री ने अपने प्रदर्शन से दुनिया के सर्वश्रेष्ठ फुटबॉलरों में अपनी पहचान बनाई। आज वह इस बात से संतुष्ट हैं कि उन्होंने भारत के लिए दिल से खेला और देश को कई बार गर्व महसूस कराया।
19 साल की जिम्मेदारी का अंत
सुनील छेत्री का करियर 19 साल लंबा रहा, जिसमें उन्होंने भारतीय फुटबॉल को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया।
उन्होंने कहा,“मैं लगभग दो दशक से इस जिम्मेदारी को निभा रहा हूं। अब थोड़ा ब्रेक चाहूंगा। यह टीम बहुत सक्षम है और मुझे भरोसा है कि यह मेरे बिना भी शानदार प्रदर्शन करेगी।” उनके शब्दों में एक सच्चे लीडर की झलक थी जो अपनी टीम पर भरोसा करता है, और सही समय पर पीछे हटना भी जानता है ताकि आने वाले खिलाड़ी आगे बढ़ सकें।
कोचिंग को लेकर विचार और अनुभव की अहमियत
फुटबॉल में कोचिंग को लेकर छेत्री का नजरिया काफी स्पष्ट है। उन्होंने कहा कि एक अच्छे कोच बनने के लिए सिर्फ खेलना ही काफी नहीं होता, बल्कि अनुभव और ज्ञान की गहराई भी जरूरी है।“एक कोच टीम की आत्मा होता है। सारे निर्णय वही करता है, इसलिए उसका सक्षम, जानकार और अनुभवी होना बेहद जरूरी है। हर खिलाड़ी जो अच्छा खेला है, वह अपने आप कोच नहीं बन जाता। इसके लिए तैयारी और कोचिंग ट्रेनिंग जरूरी होती है।” उन्होंने बताया कि आज भारत के कई पूर्व खिलाड़ी कोचिंग की ट्रेनिंग ले रहे हैं और भविष्य में वे देश के लिए अच्छे कोच साबित हो सकते हैं। लेकिन यह सफर आसान नहीं है इसके लिए समय, धैर्य और निरंतर सीखने की भावना की जरूरत होती है।
भारतीय फुटबॉल में छेत्री की भूमिका
सुनील छेत्री सिर्फ एक कप्तान नहीं, बल्कि भारतीय फुटबॉल की पहचान बन चुके हैं। उनकी कप्तानी में भारत ने कई महत्वपूर्ण टूर्नामेंट जीते और एशियाई स्तर पर अपनी स्थिति मजबूत की। उन्होंने देश के लिए 90 से अधिक गोल दागे, जो किसी भी भारतीय खिलाड़ी के लिए एक ऐतिहासिक उपलब्धि है। उनकी फिटनेस, अनुशासन और नेतृत्व क्षमता ने नई पीढ़ी के खिलाड़ियों को प्रेरित किया। कई मौकों पर उन्होंने अकेले दम पर टीम को जीत दिलाई, और यही वजह है कि उन्हें अक्सर “भारतीय फुटबॉल का दिल” कहा जाता है।
फैंस और टीम के लिए भावनात्मक पल
छेत्री के संन्यास की घोषणा के बाद उनके फैंस और साथियों की आंखें नम हो गईं। सोशल मीडिया पर लाखों संदेशों के जरिए लोगों ने उन्हें धन्यवाद कहा। टीम इंडिया के युवा खिलाड़ियों ने उन्हें “गाइड” और “प्रेरणा” बताते हुए कहा कि उनका योगदान हमेशा याद रखा जाएगा। छेत्री के अंतिम मैच के दौरान स्टेडियम में मौजूद हजारों फैंस ने “Thank You, Captain” के नारे लगाए यह दृश्य किसी फिल्म के क्लाइमेक्स जैसा भावुक था।
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एक युग का अंत, लेकिन प्रेरणा कायम
सुनील छेत्री का अंतरराष्ट्रीय फुटबॉल से विदा लेना भारतीय खेल इतिहास में एक बड़ा मोड़ है। उन्होंने अपने जुनून, अनुशासन और समर्पण से फुटबॉल को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया। उनका नाम आने वाले कई दशकों तक भारतीय फुटबॉल के इतिहास में स्वर्ण अक्षरों में लिखा जाएगा। भले ही अब वह मैदान पर नहीं होंगे, लेकिन हर भारतीय फुटबॉल फैन के दिल में उनकी जगह हमेशा रहेगी।
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