सामाजिक

जानें बकरीद मनाने के पीछे की कहानी

इब्राहिम को अल्लाह ने कुर्बानी देने को कहा था


दो सितंबर को पूरे देश मे बकरीद मनाई जाएंगी। विश्व के अन्य देशों में मनाई जाएगी। बकरीद को ईद-अल-जुहा भी कहा जाता है। जो ईद के 70 दिन बाद मनाई जाती है। बकरीद के दिन मुस्लिम समुदाय के लोग कुर्बानी देते हैं। आपको पता है यह कुर्बानी क्यों दी जाती है। इसके पीछे का क्या राज है। तो चलिए आज आपको इसके पीछे की कहानी बताते हैं।

बकरीद के लिए जानवरों की कुर्बानी
बकरीद के लिए जानवरों की कुर्बानी

बकरीद की कहानी

माना जाता है कि एक बार अल्लाह ने इब्राहीम अलैस्सलाम को अपनी सबसे प्यारी चीज को कुर्बान करने को कहते हैं। ये बात सुनकर इब्राहीम के आंखों में आंसू आ जाते है। क्योंकि उनकी सबसे प्यारी चीज उनका बेटा इस्माइल अलैस्लाम होता है। लेकिन अल्लाह की राह पर चलने के कारण वह उसे कुर्बान करने को तैयार हो जाता है।

बेटे के कुर्बान करने के लिए वह उसे पहाड़ पर ले जाता है। लेकिन उस पर कुल्हाड़ी नहीं चला पाता है। जब ये नजारा इस्माइल देखता है तो अपने पिता से कहता है कि मुझे खुशी है कि मैं अल्लाह की राह पर कुर्बान हो रहा हूं। आप मुझपर वार नहीं कर पा रहे है तो आप अपनी आंखों में काली पट्टी बांध लीजिए। जिससे की मैं आपको नजर न आऊं फिर आप मुझे आसानी से जिबा कर सकते हैं।

यह सब देख इब्राहिम बहुत रोता है और आंख में पट्टी बांध लेता है। आंख में पट्टी बांधने के बाद वह बेटे की कुर्बानी देने लगता है। उसी दौरान आकाश से तेज बिजली के साथ चमत्कार होता है। जब इब्राहीम ने आंखों से पट्टी हटाकर देखा तो उनके बेटे की जगह एक दुम्बा(जानवर) वहां कट जाता है। अल्लाह को इब्राहीम का ये अकीदा इतना पसंद आया कि उन्होंने ये हुक्म दिया कि जिस भी शख्स की इतनी हैसियत है कि वो कुर्बानी के जानवर खरीद सकता है उसके ऊपर आज से कुर्बानी वाजिब की जाती है।

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