सामाजिक

क्या एक लड़की होना गुनाह है: क्या औरतो को जीने का अब कोई हक नहीं है?

#जस्टिस फॉर आसिफा          


आज पूरा भारत आसिफा के लिए लड़ रहा है, उस 8 साल की बच्ची के साथ रेप किया गया और फिर बाद में उसकी हत्या कर दी गई इस घटना ने पूरे देश को हिला कर रख दिया है. इस घटना को लेकर पूरे देश में गुस्सा नज़र आ रहा है. हर कोई उन दरिंदो को सजा सुनाना चाहता है.

#जस्टिस फॉर आसिफा
#जस्टिस फॉर आसिफा

कुछ साल पहले 2012 में निर्भया मामले के बाद देशवासियों ने इस प्रकार के मामलों में फांसी की सजा की मांग की थी,  उस समय पर भी लोगो ने अपना गुस्सा इंडिया गेट और कई जगह पर कैंडल मार्च कर के गुस्सा दिखाया था, और आज एक बार फिर से पूरा भारत उस छोटी सी बच्ची आसिफा के लिए इन्साफ मांग रहा है.

हमारे देश में वैसे तो देवी माँ को पूजा चाहता है लेकिन जब बात औरतो के इज्ज़त की आती है तब ये ऐसे लोग एक बार भी ये अपराध करने से पहले सोचते तक नहीं की जैसे उनके घर में एक माँ बहन और बेटी है वैसे वो भी किसी की बेटी होगी, किसी के घर की इज्ज़त होगी.

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आज बेटी बचाओ और बेटी पढ़ो का नारा लगाया जाता है. आज मेरा सवाल उन्ही लोगो से है की बेटी को क्या ऐसे दिन के लिए बचाए और उन्हें पढ़ाया जाए की जब वो बड़ी हो ओर बाहर निकले और उनके साथ ऐसे दुष्कर्म हो. इससे अच्छा तो यही है न की हम बेटियों को इस दुनिया में लेकर ही न आये करो फिर आप रेप जिसके साथ करना है. क्या आज बेटी को पैदा करना इतना बड़ा जुल्म हो गया है?

ऐसे हर दिन कई रेप होते है और उस दुष्कर्म अपराध को करने वाला बाहार चेन की सांस लेता है क्या यही हमारा कानून है? कठुआ रेप केस में जम्मू-कश्मीर की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने नया कानून लाने की बात कही है और आज 19 साल पुराने रेप आरोपियों को फांसी देने की मांग भी की जा रही.

कानून जो भी फैसला ले लेकिन आज उस बच्ची की चीखे सिर्फ आज यही मांग का रही है, जिन-जिन लोगो ने भी उसके शरीर के साथ खेला है वो उन्हें सजा दिलाने की मांग कर रही भले ही आज वो 8 साल की बच्ची इस दुनिया में नहीं लेकिन आसिफा के साथ आज पूरा भारत खड़ा हो और सब मिलकर उन दरिंदो को सजा जरुर दिलाएंगे .

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