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Tulsidas Jayanti 2024: जानिए इस साल कब है तुलसीदास जयंती? जानें उन से जुड़ी कुछ मुख्य मान्यताएं

धर्म ग्रंथों के अनुसार, गोस्वामी तुलसीदास का जन्म संवत् 1554 में हुआ था। उन्होंने जन्म लेते ही राम बोला था। इसलिए इनके माता-पिता ने इनका नाम रामबोला रखा। आचार्य शेषसनातनजी इनके गुरु थे, उन्हीं के पास रहकर इन्होंने वेदों का अध्ययन किया। इनकी पत्नी का नाम रत्नावली था।

Tulsidas Jayanti 2024: शिवजी के कहने पर लिखी रामचरित मानस, जानें पैदा होते ही क्या बोलें तुलसीदास?


Tulsidas Jayanti 2024: तुलसीदास जी का नाम भारत के महान कवियों और विद्वानों में आता है। उन्होंने यूं तो कुल 12 पुस्तकों की रचना की थी लेकिन सभी में उनकी ‘रामचरितमानस’ पुस्तक सबसे ज्यादा प्रसिद्ध हुई। तुलसीदास जी ने इस धार्मिक ग्रंथ की रचना अवधि भाषा में की थी जिससे हर कोई इसे सरलता से समझ सके। इसलिए तुलसीदास जी की जयंती के शुभ अवसर पर लोग रामचरितमानस का पाठ करते हैं। आपको बता दें कि हर साल श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि पर गोस्वामी तुलसीदास की जयंती मनाई जाती है। इस बार ये तिथि 11 अगस्त, रविवार को है।

इस साल तुलसीदास की जयंती कब है

इस साल 11 अगस्त 2024 को तुलसीदास जी की 527वीं जन्म वर्षगाँठ मनाई जाएगी। सप्तमी तिथि का प्रारम्भ 11 अगस्त 2024 को 05:44 AM बजे होगा और इसकी समाप्ति 12 अगस्त 2024 को 07:55 AM पर होगी।

पैदा होते ही क्या बोलें तुलसीदास?

धर्म ग्रंथों के अनुसार, गोस्वामी तुलसीदास का जन्म संवत् 1554 में हुआ था। उन्होंने जन्म लेते ही राम बोला था। इसलिए इनके माता-पिता ने इनका नाम रामबोला रखा। आचार्य शेषसनातनजी इनके गुरु थे, उन्हीं के पास रहकर इन्होंने वेदों का अध्ययन किया। इनकी पत्नी का नाम रत्नावली था।

शिवजी के कहने पर लिखी रामचरित मानस

मान्यता है कि एक बार तुलसीदासजी के सपने में भगवान शंकर आए और उन्हें भगवान श्रीराम के जीवन चरित्र पर ग्रंथ लिखने को कहा। और ये भी कहा कि तुम्हारी ये रचना कविता सामवेद के समान फलवती होगी। तुलसीदासजी भगवान शिव की आज्ञा पर अयोध्या आए और यहां रहकर श्रीरामचरितमानस की रचना की। श्रीरामचरितमानस लिखने में तुलसीदासजी को 2 वर्ष, 7 महीने व 26 दिन का समय लगा।

कहां किए श्रीराम के दर्शन?

मान्यता है कि तुलसीदास जी को स्वयं भगवान श्रीराम ने दर्शन दिए थे। इसके पहले उनकी मुलाकात हनुमानजी से हुई। एक बार जब तुलसीदासजी चित्रकूट के घाट पर लोगों को चंदन लगा रहे थे, तभी एक बालक भी उनके पास चंदन लेने आया। तब हनुमानजी ने तोते के रूप में आकर कहा कि- ‘चित्रकूट के घाट पर, भई सन्तन की भीर। तुलसीदास चन्दन घिसें, तिलक देत रघुबीर। तुलसीदासजी समझ गए कि ये बालक और कोई नहीं ब्लकि स्वयं भगवान श्रीराम हैं। इस तरह तुलसीदासजी को भगवान श्रीराम के दर्शन हुए।

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तुलसीदास जयंती से जुड़ी मान्यता

लोग पवित्र हिंदू धर्मग्रंथ “रामचरितमानस” का पाठ करके इस शुभ दिन को मनाते हैं। इसके साथ ही विभिन्न श्लोकों और भजनों का पाठ करते हैं। वहीं, कुछ लोग रामायण पाठ का आयोजन भी करते हैं और भगवान श्री राम और भगवान हनुमान जी की पूजा करते हैं। इसके साथ ही लोगों के बीच प्रसाद वितरित किया जाता है। कई स्थानों पर इस विशेष दिन पर ब्राह्मणों को भोजन कराने और वस्त्र दान करने का भी विधान है।

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