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Tulsi Vivah 2025: तुलसी विवाह 2025, हरि की पटरानी तुलसी को प्रसन्न करने के लिए अपनाएं ये खास उपाय

Tulsi Vivah 2025, Tulsi Vivah 2025 हिंदू धर्म का एक अत्यंत पवित्र और शुभ त्योहार है। इस दिन भगवान विष्णु और तुलसी माता (श्री वृंदा देवी) का विवाह विधि-विधान से संपन्न किया जाता है।

Tulsi Vivah 2025 : तुलसी-विष्णु विवाह के पावन दिन भूलकर भी न करें ये गलतियां

Tulsi Vivah 2025, Tulsi Vivah 2025 हिंदू धर्म का एक अत्यंत पवित्र और शुभ त्योहार है। इस दिन भगवान विष्णु और तुलसी माता (श्री वृंदा देवी) का विवाह विधि-विधान से संपन्न किया जाता है। यह पर्व देवउठनी एकादशी (Prabodhini Ekadashi) के बाद मनाया जाता है, जो हर साल कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष में आती है। इस दिन से ही शुभ विवाह और धार्मिक आयोजनों का मौसम शुरू हो जाता है। तुलसी विवाह को आध्यात्मिक और पारिवारिक सुख-समृद्धि का प्रतीक माना गया है। मान्यता है कि इस दिन जो भक्त पूरे श्रद्धा भाव से पूजा करता है, उस पर भगवान विष्णु और माता तुलसी दोनों की असीम कृपा बरसती है।

Tulsi Vivah 2025 की तिथि और शुभ मुहूर्त

साल 2025 में तुलसी विवाह का शुभ पर्व सोमवार, 3 नवंबर 2025 को मनाया जाएगा।
शुभ मुहूर्त:

  • पूजा का शुभ समय – सुबह 7:15 बजे से दोपहर 12:05 बजे तक
  • एकादशी तिथि प्रारंभ – 2 नवंबर 2025, रात 10:48 बजे से
  • एकादशी तिथि समाप्त – 3 नवंबर 2025, रात 9:35 बजे तक

इस अवधि में तुलसी विवाह का आयोजन करना अत्यंत शुभ माना गया है।

तुलसी विवाह का धार्मिक महत्व

तुलसी विवाह का संबंध विष्णु भगवान से है, जिन्हें इस दिन शालिग्राम स्वरूप में तुलसी से विवाह कराया जाता है।
शास्त्रों में तुलसी को “हरि की पटरानी” कहा गया है। मान्यता है कि बिना तुलसी के भगवान विष्णु की पूजा अधूरी मानी जाती है। तुलसी विवाह के दिन भगवान विष्णु और माता तुलसी का मिलन पवित्र आत्माओं के संघ का प्रतीक है।
यह पर्व यह दर्शाता है कि भक्ति और प्रेम का मिलन ही मोक्ष का मार्ग है।

तुलसी विवाह की कथा – कैसे हुई हरि और तुलसी की जोड़ी

पौराणिक कथा के अनुसार, वृंदा देवी, जो असुर राजा जालंधर की पत्नी थीं, अत्यंत पतिव्रता नारी थीं। उनकी तपस्या और सच्ची निष्ठा के बल पर जालंधर को अपराजेय शक्ति प्राप्त हुई थी। देवता परेशान होकर भगवान विष्णु से सहायता मांगने पहुंचे। विष्णु ने वृंदा की परीक्षा लेने हेतु जालंधर का रूप धारण किया। वृंदा को जब सच्चाई का पता चला, तो उन्होंने विष्णु को शाप दे दिया कि वह “पत्थर बन जाएंगे।” तभी विष्णु ने वृंदा के तप से प्रसन्न होकर कहा कि भविष्य में वे तुलसी रूप में जन्म लेंगी और उनका विवाह स्वयं विष्णु (शालिग्राम) से होगा। तभी से हर साल तुलसी विवाह का आयोजन किया जाता है।

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तुलसी विवाह की विधि-विधान

  1. तुलसी चौरा की सजावट करें –
    विवाह से पहले तुलसी के चौरे को साफ कर के उस पर हल्दी, कुमकुम, फूलों और दीपक से सजाएं।
  2. शालिग्राम या भगवान विष्णु की प्रतिमा रखें –
    तुलसी के सामने शालिग्राम या भगवान विष्णु का स्वरूप स्थापित करें।
  3. विवाह का मंडप बनाएं –
    केले के पत्ते, आम के पत्ते और पुष्पों से मंडप सजाया जाता है।
  4. विवाह मंत्रों का उच्चारण –
    तुलसी और विष्णु की मूर्ति का विवाह वैदिक मंत्रों के साथ संपन्न किया जाता है।
  5. आरती और प्रसाद वितरण –
    पूजा के बाद आरती करें और तुलसी के पत्तों, मिठाई और पंचामृत का प्रसाद बांटें।

यह प्रक्रिया तुलसी विवाह को आध्यात्मिक उत्सव में बदल देती है, जिससे घर में सकारात्मक ऊर्जा और दिव्यता का संचार होता है।

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तुलसी विवाह के दिन करें ये शुभ कार्य

  1. तुलसी माता को लाल या पीली साड़ी पहनाएं –
    यह शुभता और समृद्धि का प्रतीक है।
  2. घी का दीपक जलाएं –
    तुलसी चौरे पर घी का दीपक जलाने से घर में लक्ष्मी का वास होता है।
  3. भोजन में सात्विक व्यंजन बनाएं –
    इस दिन प्याज-लहसुन रहित सात्विक भोजन ही बनाएं।
  4. दान करें –
    गरीबों और ब्राह्मणों को भोजन या वस्त्र दान करने से पुण्य फल प्राप्त होता है।
  5. तुलसी की माला पहनें या तुलसी के पत्ते जल में डालें –
    यह शरीर और मन दोनों को पवित्र करता है।

तुलसी विवाह के दिन भूलकर भी न करें ये कार्य

  • तुलसी के पौधे को छूना या तोड़ना वर्जित होता है।
  • इस दिन तामसिक भोजन जैसे मांसाहार या मद्यपान से पूरी तरह दूर रहें।
  • किसी का अपमान या कटु वचन बोलने से भगवान विष्णु नाराज़ हो सकते हैं।

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