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Swami Vivekananda: 39 वर्ष की आयु में रच दिया इतिहास, स्वामी विवेकानंद पुण्यतिथि

Swami Vivekananda, स्वामी विवेकानंद का नाम भारत के उन महापुरुषों में लिया जाता है जिन्होंने न केवल भारत को अंतरराष्ट्रीय मंच पर गौरवान्वित किया,

Swami Vivekananda : विवेकानंद, जिनकी शिक्षाएं आज भी जीवित हैं

Swami Vivekananda, स्वामी विवेकानंद का नाम भारत के उन महापुरुषों में लिया जाता है जिन्होंने न केवल भारत को अंतरराष्ट्रीय मंच पर गौरवान्वित किया, बल्कि भारतीय संस्कृति, धर्म और अध्यात्म का भी विश्वभर में प्रचार-प्रसार किया। उनका जन्म 12 जनवरी 1863 को कोलकाता में हुआ था और उनका मूल नाम नरेंद्रनाथ दत्त था। Swami Vivekananda की पुण्यतिथि 4 जुलाई को मनाई जाती है। 1902 में इसी दिन उन्होंने मात्र 39 वर्ष की आयु में महासमाधि ली थी। यह दिन हर भारतीय के लिए श्रद्धा, स्मृति और प्रेरणा का दिन है।

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स्वामी विवेकानंद का जीवन और योगदान

Swami Vivekananda श्री रामकृष्ण परमहंस के शिष्य थे। उन्होंने अपने गुरु के आदर्शों और शिक्षाओं को जीवन में उतारा और उन्हीं को विश्वभर में फैलाया। 1893 में अमेरिका के शिकागो में आयोजित विश्व धर्म महासभा में जब उन्होंने “अमेरिका के भाइयों और बहनों” से भाषण की शुरुआत की, तो वहां उपस्थित हज़ारों लोग उनकी वाणी और विचारों से मंत्रमुग्ध हो गए। उन्होंने दुनिया को बताया कि भारत केवल गरीबी और अशिक्षा का देश नहीं, बल्कि गहन ज्ञान, शांति और अध्यात्म की भूमि है।

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युवाओं के लिए प्रेरणा

Swami Vivekananda का मानना था कि युवा शक्ति ही राष्ट्र का भविष्य है। उन्होंने युवाओं से आह्वान किया “उठो, जागो और तब तक मत रुको जब तक लक्ष्य की प्राप्ति न हो जाए।” उन्होंने आत्मविश्वास, सेवा, चरित्र निर्माण और आध्यात्मिक ज्ञान को जीवन का मूल मंत्र बताया। उनके विचार आज भी युवाओं को दिशा देते हैं और उन्हें अपने भीतर छिपी शक्ति को पहचानने के लिए प्रेरित करते हैं।

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पुण्यतिथि का महत्व

4 जुलाई, 1902 को बेलूर मठ (पश्चिम बंगाल) में स्वामी विवेकानंद ने ध्यान करते हुए महासमाधि ले ली। उन्होंने भविष्यवाणी की थी कि वे 40 वर्ष से अधिक जीवित नहीं रहेंगे और ठीक उसी अनुसार 39 वर्ष की आयु में उन्होंने देह त्याग दी। Swami Vivekananda की पुण्यतिथि पर देशभर में विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं जैसे व्याख्यान, ध्यान सत्र, भजन, संगोष्ठी और सामाजिक सेवा कार्य। स्वामी विवेकानंद भले ही शारीरिक रूप से हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उनके विचार, उनके आदर्श और उनकी शिक्षाएं आज भी जीवित हैं। उनकी पुण्यतिथि हमें यह स्मरण कराती है कि कैसे एक व्यक्ति अपने विचारों और कर्मों से संपूर्ण मानवता को दिशा दिखा सकता है। इस दिन हम सभी को उनके जीवन से प्रेरणा लेकर आत्मविकास, राष्ट्रसेवा और मानव कल्याण की ओर अग्रसर होना चाहिए। यही उनके प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी।

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