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Shiv Rudrashtakam Stotram Benefits: सावन में जरूर करें भगवान शिव के ‘रुद्राष्टकम स्त्रोत्र’ का पाठ, प्रसन्न होकर भोलेनाथ पूरी करेंगे हर मुरादें

Shiv Rudrashtakam Stotram Benefits: सावन का महीना भगवान शिव की उपासना के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। इस महीने में रुद्राष्टकम का नियमित पाठ करना भगवान शिव की कृपा प्राप्त करने के लिए अत्यंत लाभकारी होता है।

Shiv Rudrashtakam Stotram Benefits: सावन में शिव रुद्राष्टकम पढ़ने का क्या है महत्व, जानें पाठ करने के नियम

भगवान शिव को सभी देवताओं में सर्वोच्च स्थान प्राप्त है। इसीलिए उन्हें देवों के देव महादेव कहा जाता है। शिव का स्वरूप बहुत ही सरल माना जाता है। वे शीघ्र प्रसन्न होने वाले देवता हैं। यदि कोई भक्त उन्हें भक्ति भाव से केवल एक लोटा जल अर्पित कर दे तो वे प्रसन्न हो जाते हैं। भगवान शिव शंकर की पूजा करने से व्यक्ति को जीवन में कभी भी सुखों की कमी महसूस नहीं होती है। वहीं अगर आप शिव की विशेष कृपा पाना चाहते हैं तो ‘श्री शिव रुद्राष्टकम’ का पाठ अवश्य करें। Shiv Rudrashtakam Stotram Benefits ‘शिव रुद्राष्टकम’ अपने आप में एक अद्भुत स्तोत्र है। इसका पाठ करने से जीवन की सभी परेशानियां दूर हो जाती हैं। खासकर सावन के महीने में शिव रुद्राष्टकम का पाठ करने का विशेष महत्व है।

सावन में शिव रुद्राष्टकम पढ़ने का महत्व Shiv Rudrashtakam Stotram Benefits

सुख शांति का वास

रुद्राष्टकम का पाठ व्यक्ति के जीवन में शांति और सुख की प्राप्ति के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है। इसका नियमित पाठ करने से मानसिक शांति प्राप्त होती है और तनाव दूर होता है।

रोगों से मुक्ति Shiv Rudrashtakam Stotram Benefits

ऐसा माना जाता है कि शिव रुद्राष्टकम का पाठ करने से व्यक्ति को विभिन्न शारीरिक और मानसिक रोगों से मुक्ति मिलती है। यह स्तोत्र शिव की कृपा प्राप्ति का माध्यम है, जिससे व्यक्ति स्वस्थ और निरोगी रहता है।

आध्यात्मिक विकास Shiv Rudrashtakam Stotram Benefits

शिव रुद्राष्टकम का पाठ व्यक्ति के आध्यात्मिक विकास के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह उसे आत्मज्ञान और मोक्ष की दिशा में अग्रसर करता है। इस स्तोत्र का गहन अर्थ और इसकी भावपूर्ण स्तुति व्यक्ति के मन को शुद्ध करती है और उसे आध्यात्मिक मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करती है।

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कठिनाइयों का होता निवारण Shiv Rudrashtakam Stotram Benefits

जीवन में आने वाली विभिन्न कठिनाइयों और समस्याओं का निवारण करने के लिए रुद्राष्टकम का पाठ अत्यंत प्रभावी माना जाता है। भगवान शिव की स्तुति करते हुए, व्यक्ति अपनी समस्याओं का समाधान पाने के लिए उनकी कृपा प्राप्त करता है।

शिव की कृपा प्राप्ति Shiv Rudrashtakam Stotram Benefits

रुद्राष्टकम भगवान शिव की कृपा प्राप्त करने का एक विशेष माध्यम है। इसका नियमित पाठ करने से व्यक्ति भगवान शिव की अनंत कृपा और आशीर्वाद प्राप्त कर सकता है, जिससे उसका जीवन सफल और समृद्ध हो जाता है।

शिव रुद्राष्टकम का पाठ करने के नियम Shiv Rudrashtakam Stotram Benefits

  • शिव रुद्राष्टकम का पाठ किसी भी समय किया जा सकता है, लेकिन इसके लिए कुछ विशेष समय और अवसरों को अत्यंत शुभ माना गया है। रुद्राष्टकम का पाठ प्रातः काल (सुबह) और संध्याकाल (शाम) के समय करना अत्यंत शुभ माना जाता है। इस समय वातावरण शुद्ध और शांत होता है, जिससे पाठ का प्रभाव अधिक होता है।
  • सोमवार का दिन भगवान शिव को समर्पित होता है। इस दिन रुद्राष्टकम का पाठ करने से भगवान शिव की विशेष कृपा प्राप्त होती है और व्यक्ति के जीवन की सभी समस्याएं दूर होती हैं।
  • महाशिवरात्रि और मासिक शिवरात्रि के दिन रुद्राष्टकम का पाठ करने से भगवान शिव की अनंत कृपा और आशीर्वाद प्राप्त होता है।

शिव रुद्राष्टक स्तुति और इसका हिंदी अर्थ Shiv Rudrashtakam Stotram Benefits

नमामीशमीशान निर्वाणरूपं। विभुं व्यापकं ब्रह्मवेदस्वरूपम्॥
निजं निर्गुणं निर्विकल्पं निरीहं। चिदाकाशमाकाशवासं भजेऽहम्॥

अर्थात- हे मोक्षरूप, विभु, व्यापक ब्रह्म, वेदस्वरूप ईशानदिशा के ईश्वर और सबके स्वामी शिवजी, मैं आपको नमस्कार करता हूं। निज स्वरूप में स्थित, भेद रहित, इच्छा रहित, चेतन, आकाश रूप शिवजी मैं आपको नमस्कार करता हूं।

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निराकारमोङ्कारमूलं तुरीयं। गिराज्ञानगोतीतमीशं गिरीशम्।
करालं महाकालकालं कृपालं। गुणागारसंसारपारं नतोऽहम्॥ Shiv Rudrashtakam Stotram Benefits

अर्थात- निराकार, ओंकार के मूल, तुरीय (तीनों गुणों से अतीत) वाणी, ज्ञान और इन्द्रियों से परे, कैलाशपति, विकराल, महाकाल के भी काल, कृपालु, गुणों के धाम, संसार से परे परमेशवर को मैं नमस्कार करता हूं।

तुषाराद्रिसंकाशगौरं गभीरं। मनोभूतकोटिप्रभाश्री शरीरम्॥
स्फुरन्मौलिकल्लोलिनी चारुगङ्गा। लसद्भालबालेन्दु कण्ठे भुजङ्गा॥

अर्थात- जो हिमाचल के समान गौरवर्ण तथा गंभीर है, जिनके शरीर में करोड़ों कामदेवों की ज्योति एवं शोभा है, जिनके सिर पर सुंदर नदी गंगाजी विराजमान है, जिनके ललाट पर द्वितीया का चन्द्रमा और गले में सर्प सुशोभित है।

चलत्कुण्डलं भ्रूसुनेत्रं विशालं। प्रसन्नाननं नीलकण्ठं दयालम्॥
मृगाधीशचर्माम्बरं मुण्डमालं। प्रियं शङ्करं सर्वनाथं भजामि॥

अर्थात- जिनके कानों में कुण्डल शोभा पा रहे हैं. सुन्दर भृकुटी और विशाल नेत्र है, जो प्रसन्न मुख, नीलकण्ठ और दयालु है। सिंह चर्म का वस्त्र धारण किए और मुण्डमाल पहने हैं, उन सबके प्यारे और सबके नाथ श्री शंकरजी को मैं भजता हूं।

प्रचण्डं प्रकृष्टं प्रगल्भं परेशं। अखण्डं अजं भानुकोटिप्रकाशं॥ Shiv Rudrashtakam Stotram Benefits
त्रय: शूलनिर्मूलनं शूलपाणिं। भजेऽहं भवानीपतिं भावगम्यम्॥

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अर्थात- प्रचंड, श्रेष्ठ तेजस्वी, परमेश्वर, अखण्ड, अजन्मा, करोडों सूर्य के समान प्रकाश वाले, तीनों प्रकार के शूलों को निर्मूल करने वाले, हाथ में त्रिशूल धारण किए, भाव के द्वारा प्राप्त होने वाले भवानी के पति श्री शंकरजी को मैं भजता हूं।

कलातीतकल्याण कल्पान्तकारी। सदा सज्जनानन्ददाता पुरारी॥
चिदानन्दसंदोह मोहापहारी। प्रसीद प्रसीद प्रभो मन्मथारी॥

अर्थात- कलाओं से परे, कल्याण स्वरूप, प्रलय करने वाले, सज्जनों को सदा आनंद देने वाले, त्रिपुरासुर के शत्रु, सच्चिदानन्दघन, मोह को हरने वाले, मन को मथ डालनेवाले हे प्रभो, प्रसन्न होइए, प्रसन्न होइए।

न यावद् उमानाथपादारविन्दं। भजन्तीह लोके परे वा नराणाम्। Shiv Rudrashtakam Stotram Benefits
न तावत्सुखं शान्ति सन्तापनाशं। प्रसीद प्रभो सर्वभूताधिवासं॥

अर्थात- जब तक मनुष्य श्रीपार्वतीजी के पति के चरणकमलों को नहीं भजते, तब तक उन्हें न तो इहलोक में, न ही परलोक में सुख-शान्ति मिलती है और अनके कष्टों का भी नाश नहीं होता है। अत: हे समस्त जीवों के हृदय में निवास करने वाले प्रभो, प्रसन्न होइए।

न जानामि योगं जपं नैव पूजां। नतोऽहं सदा सर्वदा शम्भुतुभ्यम्॥
जराजन्मदुःखौघ तातप्यमानं। प्रभो पाहि आपन्नमामीश शंभो॥

अर्थात- मैं न तो योग जानता हूं, न जप और न पूजा ही। हे शम्भो, मैं तो सदा-सर्वदा आप को ही नमस्कार करता हूं। हे प्रभो! बुढ़ापा तथा जन्म के दु:ख समूहों से जलते हुए मुझ दुखी की दु:खों से रक्षा कीजिए। हे शम्भो, मैं आपको नमस्कार करता हूं।

रुद्राष्टकमिदं प्रोक्तं विप्रेण हरतोषये ॥। Shiv Rudrashtakam Stotram Benefits
ये पठन्ति नरा भक्त्या तेषां शम्भुः प्रसीदति॥

अर्थात- जो मनुष्य इस स्तोत्र को भक्तिपूर्वक पढ़ते हैं, उन पर शम्भु विशेष रूप से प्रसन्न होते हैं।

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vrinda

मैं वृंदा श्रीवास्तव One World News में हिंदी कंटेंट राइटर के पद पर कार्य कर रही हूं। इससे पहले दैनिक भास्कर, दैनिक जागरण और नवभारत टाइम्स न्यूज पेपर में काम कर चुकी हूं। मुझसे vrindaoneworldnews@gmail.com पर संपर्क किया जा सकता है।
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