Shaadi Ke Saat Vachan: हिंदू शादी की परंपरा, सात वचन और सात फेरे का रहस्य
Shaadi Ke Saat Vachan, भारतीय संस्कृति में विवाह केवल दो व्यक्तियों का मिलन नहीं, बल्कि दो आत्माओं, परिवारों और संस्कृतियों का संगम माना जाता है।
Shaadi Ke Saat Vachan : शादी के सात वचन का महत्व, सात जन्मों का पवित्र बंधन
Shaadi Ke Saat Vachan, भारतीय संस्कृति में विवाह केवल दो व्यक्तियों का मिलन नहीं, बल्कि दो आत्माओं, परिवारों और संस्कृतियों का संगम माना जाता है। हिंदू धर्म में शादी का सबसे पवित्र और महत्वपूर्ण हिस्सा होता है सात फेरे और सात वचन। यह परंपरा हजारों वर्षों से चली आ रही है और इसे पति-पत्नी के रिश्ते की मजबूती और पवित्रता का प्रतीक माना जाता है। शादी के मंडप में अग्नि को साक्षी मानकर दंपत्ति सात फेरे लेते हैं और हर फेरे के साथ एक वचन का पालन करने की प्रतिज्ञा करते हैं। आइए जानते हैं कि आखिर शादी में ये सात वचन क्यों खास माने जाते हैं और हर वचन का क्या महत्व है।
पहला वचन – जीवनभर साथ निभाने का संकल्प
पहले फेरे के साथ दंपत्ति एक-दूसरे से जीवनभर साथ निभाने और जिम्मेदारियों को बराबर-बराबर बांटने का वादा करते हैं। दूल्हा वचन देता है कि वह अपनी पत्नी और परिवार का पालन-पोषण पूरी ईमानदारी से करेगा, वहीं दुल्हन भी घर-परिवार को संभालने का संकल्प लेती है। यह वचन रिश्ते की नींव को मजबूत करता है।
दूसरा वचन – ताकत और सेहत का वादा
दूसरे फेरे में दंपत्ति एक-दूसरे से स्वस्थ, सुखी और सुरक्षित जीवन का वादा करते हैं। दूल्हा प्रतिज्ञा करता है कि वह अपनी पत्नी को शारीरिक और मानसिक मजबूती देगा और दुल्हन यह वादा करती है कि वह हर परिस्थिति में अपने पति का साथ निभाएगी। यह वचन जीवन की चुनौतियों को मिलकर झेलने का संदेश देता है।
तीसरा वचन – धन और समृद्धि का वचन
तीसरे फेरे में दंपत्ति आर्थिक रूप से एक-दूसरे का सहारा बनने और घर की समृद्धि के लिए साथ मिलकर काम करने का संकल्प लेते हैं। दूल्हा वचन देता है कि वह परिवार को सुख-समृद्धि देगा और दुल्हन यह वादा करती है कि वह धन का सही उपयोग कर घर को खुशहाल बनाएगी। यह वचन दंपत्ति को भौतिक और आध्यात्मिक समृद्धि की ओर प्रेरित करता है।
चौथा वचन – प्रेम और आपसी सम्मान
चौथे फेरे में दूल्हा-दुल्हन जीवनभर एक-दूसरे से प्रेम, आदर और सम्मान करने का वादा करते हैं। यह वचन रिश्ते की सबसे बड़ी नींव है, क्योंकि प्यार और सम्मान के बिना वैवाहिक जीवन अधूरा माना जाता है। यह दंपत्ति को आपसी विश्वास और समानता की ओर प्रेरित करता है।
पाँचवां वचन – संतान और जिम्मेदारी
पाँचवें फेरे में दंपत्ति संतान सुख और उनके सही पालन-पोषण का वचन लेते हैं। दूल्हा वादा करता है कि वह अपने बच्चों को अच्छे संस्कार और शिक्षा देगा, जबकि दुल्हन यह वादा करती है कि वह अपने परिवार की नींव को मजबूत बनाएगी। यह वचन आने वाली पीढ़ियों को सही दिशा देने का प्रतीक है।
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छठा वचन – दुख-सुख में साथ निभाने का वादा
छठे फेरे में दंपत्ति एक-दूसरे से हर परिस्थिति में साथ देने की प्रतिज्ञा करते हैं। चाहे जीवन में दुख हो या सुख, वे साथ मिलकर उसका सामना करेंगे। यह वचन रिश्ते में मजबूती और अटूट विश्वास का प्रतीक है, जो पति-पत्नी को जीवनभर जोड़े रखता है।
सातवां वचन – जीवनभर का साथ और दोस्ती
सातवां और आखिरी फेरा पति-पत्नी के रिश्ते का सबसे खास वचन होता है। इसमें दोनों एक-दूसरे से जीवनभर दोस्ती, वफादारी और साथ निभाने का वादा करते हैं। इस वचन के साथ शादी का पवित्र बंधन पूरा होता है और दंपत्ति सात जन्मों तक एक-दूसरे के साथ रहने का संकल्प लेते हैं।
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सात वचनों का महत्व
इन सात वचनों का महत्व केवल धार्मिक दृष्टि से ही नहीं, बल्कि सामाजिक और व्यक्तिगत जीवन में भी बहुत गहरा है। यह पति-पत्नी को एक-दूसरे के अधिकार और कर्तव्यों का एहसास कराते हैं। सात फेरे और सात वचन रिश्ते को न केवल पवित्र बनाते हैं, बल्कि इसे मजबूत, संतुलित और जिम्मेदार भी बनाते हैं। हिंदू विवाह में सात फेरे और सात वचन सिर्फ एक परंपरा नहीं, बल्कि जीवन को सही दिशा देने वाले नियम हैं। यह वचन दंपत्ति को विश्वास, प्रेम, जिम्मेदारी और सम्मान की डोर से बांधते हैं। यही वजह है कि हिंदू शादी में सात फेरे और सात वचन को सबसे खास और पवित्र माना जाता है।
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