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Radha Ashtami 2025: राधारानी के जन्मोत्सव पर विशेष, राधा अष्टमी 2025 का महत्व और धार्मिक मान्यताएँ

Radha Ashtami 2025, राधा अष्टमी हिंदू धर्म का एक प्रमुख और पावन त्योहार है, जिसे श्रीकृष्ण की प्रेयसी और परम भक्ति की प्रतिमूर्ति राधारानी के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है।

Radha Ashtami 2025 : राधा अष्टमी 2025, ब्रजभूमि में धूमधाम से मनाया जाएगा राधारानी का जन्मोत्सव

Radha Ashtami 2025, राधा अष्टमी हिंदू धर्म का एक प्रमुख और पावन त्योहार है, जिसे श्रीकृष्ण की प्रेयसी और परम भक्ति की प्रतिमूर्ति राधारानी के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को यह पर्व मनाया जाता है। जन्माष्टमी के लगभग 15 दिन बाद आने वाली राधा अष्टमी विशेष धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व रखती है। साल 2025 में यह पर्व बड़ी श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया जाएगा।

राधा अष्टमी 2025 की तिथि और समय

वर्ष 2025 में राधा अष्टमी का पर्व 20 सितंबर 2025, शनिवार को मनाया जाएगा। इस दिन भक्तगण व्रत रखते हैं और राधारानी के जन्मोत्सव को हर्षोल्लास के साथ मनाते हैं।

राधा अष्टमी का महत्व

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, राधारानी को भगवान श्रीकृष्ण की सबसे बड़ी भक्त और उनकी परम प्रिया माना जाता है। राधा और कृष्ण का नाम हमेशा एक साथ लिया जाता है, क्योंकि बिना राधा के कृष्ण अधूरे हैं और बिना कृष्ण के राधा। राधा अष्टमी का व्रत करने से व्यक्ति के जीवन से सभी दुख-दर्द दूर होते हैं और उसे अपार भक्ति और आनंद की प्राप्ति होती है। यह दिन विशेष रूप से ब्रजभूमि, वृंदावन, बरसाना और मथुरा में बहुत धूमधाम से मनाया जाता है। हजारों भक्त इस दिन मंदिरों में एकत्र होकर राधा-कृष्ण की झांकी और भजन-कीर्तन का आनंद लेते हैं।

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पूजा विधि

राधा अष्टमी के दिन भक्तजन प्रातःकाल स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करते हैं। फिर राधारानी और श्रीकृष्ण की मूर्ति या चित्र के सामने दीप जलाकर पूजा आरंभ की जाती है। सबसे पहले भगवान श्रीकृष्ण और राधारानी को गंगाजल से स्नान कराकर पुष्प, वस्त्र और आभूषण अर्पित किए जाते हैं। इसके बाद भोग के रूप में मिठाइयाँ, फल और पंचामृत चढ़ाया जाता है। भक्तजन दिनभर व्रत रखते हैं और शाम के समय कथा सुनते हैं तथा भजन-कीर्तन करते हैं। व्रत का समापन राधारानी की आरती और प्रसाद वितरण से होता है।

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राधा अष्टमी की मान्यताएँ

मान्यता है कि राधा अष्टमी का व्रत रखने से जीवन में प्रेम, सुख और समृद्धि का संचार होता है। अविवाहित युवतियाँ इस दिन व्रत कर सच्चे जीवनसाथी की प्राप्ति का आशीर्वाद पाती हैं, वहीं विवाहित स्त्रियाँ अपने दांपत्य जीवन में सुख-शांति और सौभाग्य की प्राप्ति करती हैं। इसके अलावा यह व्रत व्यक्ति को भक्ति मार्ग पर अग्रसर करता है और उसे भगवान श्रीकृष्ण की कृपा का पात्र बनाता है।राधा अष्टमी 2025 का पर्व भक्ति, प्रेम और आध्यात्मिक शांति का प्रतीक है। यह सिर्फ एक त्योहार नहीं बल्कि आत्मा और परमात्मा के मिलन का दिन है। इस दिन किया गया व्रत और पूजा न केवल धार्मिक फल देता है बल्कि जीवन में सकारात्मकता, प्रेम और आनंद का संचार भी करता है।

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