Pongal 2026: तमिलनाडु में कैसे मनाया जाता है पोंगल, जानें चार दिवसीय पर्व की पूरी गाइड
Pongal 2026, दक्षिण भारत का प्रमुख harvest festival पोंगल हर साल जनवरी में बड़े उत्साह, भक्ति और पारंपरिक रीति-रिवाजों के साथ मनाया जाता है।
Pongal 2026 : पोंगल 2026, भोगी से कानुम तक क्या है इस त्योहार की परंपराएं और खासियत
Pongal 2026, दक्षिण भारत का प्रमुख harvest festival पोंगल हर साल जनवरी में बड़े उत्साह, भक्ति और पारंपरिक रीति-रिवाजों के साथ मनाया जाता है। यह त्योहार किसानों की कड़ी मेहनत, प्रकृति के प्रति आभार और नई फसल के स्वागत का पर्व है। पोंगल मुख्य रूप से तमिलनाडु में मनाया जाता है, लेकिन इसकी लोकप्रियता देश भर में बढ़ती जा रही है। 2026 में यह पर्व और भी उत्साह के साथ मनाया जाएगा। आइए जानें—पोंगल 2026 की तिथि, पूजा-विधि, इतिहास, महत्व और इस त्योहार का सांस्कृतिक रंग।
पोंगल 2026 कब है?
पोंगल चार दिनों तक मनाया जाने वाला त्योहार है और सूर्य के मकर राशि में प्रवेश (मकर संक्रांति) से इसका शुभारंभ होता है। 2026 में पोंगल 14 जनवरी से 17 जनवरी तक मनाया जाएगा।
चार दिनों के नाम इस प्रकार हैं—
- भोगी पोंगल (14 जनवरी)
- सूर्य पोंगल (15 जनवरी)
- मट्टू पोंगल (16 जनवरी)
- कानुम पोंगल (17 जनवरी)
पोंगल क्या है?
‘पोंगल’ शब्द तमिल भाषा से लिया गया है, जिसका अर्थ है ‘उफनना’ या ‘उबलना’। यह नाम उस पारंपरिक पोंगल डिश से जुड़ा है, जिसे नए चावल, दूध और गुड़ से बनाया जाता है। पोंगल पकने का अर्थ होता है—समृद्धि, खुशहाली और अच्छे भविष्य की कामना।
पोंगल का इतिहास और पौराणिक मान्यताएँ
पोंगल का इतिहास हजारों साल पुराना माना जाता है। यह त्योहार सूर्य देवता और प्रकृति को समर्पित है। प्राचीन ग्रंथों में भी पोंगल जैसे उत्सव का उल्लेख मिलता है, जिसमें किसान अपनी फसल और पशुओं का सम्मान करते थे। माना जाता है कि यह पर्व संगम काल (200 ईसा पूर्व – 300 ईसा पश्चात) से मनाया जा रहा है। एक पौराणिक कथा के अनुसार, इस दिन भगवान कृष्ण ने दुष्ट इंद्र की दम्भ को तोड़ने के लिए गोवर्धन पर्वत उठाया था। इस कारण मट्टू पोंगल में गाय-भैंसों की पूजा की जाती है।
चार दिनों का महत्व
1. भोगी पोंगल (14 जनवरी 2026)
पहला दिन पुराने को छोड़कर नए जीवन की शुरुआत का प्रतीक है।
- लोग पुराने सामान को घर से निकालते हैं।
- घरों की सफाई और सजावट की जाती है।
- अलाव जलाकर बीते साल की नकारात्मक ऊर्जा को खत्म करने का संकेत दिया जाता है।
यह ‘नए जीवन’ का स्वागत है।
2. सूर्य पोंगल (15 जनवरी 2026)
यह पोंगल का सबसे मुख्य दिन होता है।
- सूर्य देव को विशेष धन्यवाद दिया जाता है।
- महिलाएं घर के आंगन में रंगोली (कोलम) बनाती हैं।
- परंपरागत स्वीट पोंगल पकाया जाता है।
- मिट्टी के नए बर्तन में चावल उबालते समय ‘Pongalo Pongal’ बोलकर खुशियां मनाई जाती हैं।
इस दिन परिवार एक साथ भोजन का आनंद लेता है और खुशहाली की कामना करता है।
3. मट्टू पोंगल (16 जनवरी 2026)
यह दिन किसानों के सबसे बड़े मित्र गाय-बैल और पशुओं को समर्पित है।
- पशुओं को सजाया जाता है।
- उनके सींग रंगे जाते हैं।
- धूप-फूल से पूजा होती है।
- कुछ जगहों पर पारंपरिक जल्लीकट्टू (bull-taming sport) का आयोजन होता है।
यह दिन मानव और प्रकृति के आपसी संबंध का सुंदर संदेश देता है।
4. कानुम पोंगल (17 जनवरी 2026)
अंतिम दिन सामाजिक मेल-जोल और परिवारिक एकता का पर्व होता है।
- परिवार पिकनिक पर जाते हैं।
- रिश्तेदारों से मुलाकात की जाती है।
- मिठाइयों और पारंपरिक व्यंजनों का आनंद लिया जाता है।
कानुम पोंगल रिश्तों में मिठास बढ़ाने का प्रतीक है।
पोंगल की पारंपरिक डिश – स्वीट पोंगल
पोंगल का सबसे खास हिस्सा है स्वीट पोंगल, जिसे ‘Sakkarai Pongal’ भी कहते हैं।
इसके मुख्य ingredients हैं—
- नई फसल का चावल
- गुड़
- घी
- काजू
- किशमिश
- इलायची
यह व्यंजन समृद्धि, खुशी और उन्नति का प्रतीक माना जाता है।
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पोंगल का सांस्कृतिक महत्व
पोंगल केवल खेती से जुड़ा पर्व नहीं है, बल्कि यह—
- परिवारिक एकता,
- प्रकृति के सम्मान,
- पशुपालन की अहमियत,
- और भारतीय कृषि संस्कृति
को दर्शाता है। यह त्योहार हमें याद दिलाता है कि प्रकृति का सम्मान करना कितना जरूरी है।
तमिलनाडु के अलग-अलग क्षेत्रों में पोंगल
- ग्रामीण इलाकों में पोंगल बड़े उत्सव की तरह मनाया जाता है।
- शहरों में भी लोग नए कपड़े पहनते हैं और पोंगल व्यंजन बनाते हैं।
- मदुरै, तिरुचिरप्पल्ली और तमिलनाडु के कई जिलों में जल्लीकट्टू का आयोजन बड़ी धूमधाम से होता है।
- मंदिरों में विशेष पूजा और सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।
पोंगल 2026 क्यों खास है?
2026 में पोंगल सप्ताहांत के समय पड़ने के कारण परिवार और समाज में इस बार अधिक उत्साह देखा जाएगा।
- पर्यटक तमिलनाडु की ग्रामीण संस्कृति को देखने के लिए आएंगे।
- जल्लीकट्टू के आयोजन और भी भव्य होंगे।
- कई स्थानों पर फूड और कल्चरल फेयर आयोजित होने की संभावना है।
पोंगल 2026 केवल एक त्योहार नहीं, बल्कि प्रकृति और किसानों के प्रति सम्मान का प्रतीक है। यह उत्सव दक्षिण भारत की समृद्ध संस्कृति, परंपराओं और एकता का संदेश फैलाता है। सूर्य देव की पूजा, नए चावल का पोंगल बनाना, रंगोली, पशु पूजा और परिवारिक प्रेम—ये सब मिलकर इस त्योहार को विशेष बनाते हैं।
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