Mahakumbh 2025: महाकुंभ में रचा अनोखा इतिहास, ग्रीस की पिनेलोपी और दिल्ली के सिद्धार्थ ने लिए सात फेरे
Mahakumbh 2025: के पावन अवसर पर, ग्रीस की पिनेलोपी और दिल्ली के सिद्धार्थ शिव खन्ना ने वैदिक रीति-रिवाजों के साथ परिणय सूत्र में बंधकर एक अनोखी मिसाल पेश की है।
Mahakumbh 2025: संगम तट पर अनोखी शादी, ग्रीस की पिनेलोपी और भारतीय संस्कृति का संगम
Mahakumbh 2025, के पावन अवसर पर, ग्रीस की पिनेलोपी और दिल्ली के सिद्धार्थ शिव खन्ना ने वैदिक रीति-रिवाजों के साथ परिणय सूत्र में बंधकर एक अनोखी मिसाल पेश की है। प्रयागराज के संगम तट पर आयोजित इस विवाह समारोह में संतों ने बराती की भूमिका निभाई, जिससे यह आयोजन और भी विशेष बन गया।
सिद्धार्थ की प्रेम कहानी की शुरुआत
सिद्धार्थ शिव खन्ना, जो नई दिल्ली के वेस्ट पंजाबी बाग के निवासी हैं, और पिनेलोपी की मुलाकात लगभग 9 वर्ष पहले थाईलैंड में हुई थी। दोनों के बीच धीरे-धीरे प्रेम बढ़ा और उन्होंने जीवनसाथी बनने का निर्णय लिया। पिनेलोपी ने भारतीय संस्कृति और परंपराओं के प्रति अपनी गहरी रुचि व्यक्त की, जिसके परिणामस्वरूप उन्होंने महाकुंभ के दौरान भारतीय रीति-रिवाजों से विवाह करने का निश्चय किया।
संगम तट पर अनोखी शादी
विवाह समारोह प्रयागराज महाकुंभ में संगम की रेती पर आयोजित किया गया, जहां संतों ने बराती के रूप में भाग लिया। वैदिक मंत्रोच्चार के बीच, पिनेलोपी और सिद्धार्थ ने सात फेरे लेकर एक-दूसरे के साथ जीवनभर साथ निभाने का संकल्प लिया। इस अनोखे विवाह ने महाकुंभ में आए श्रद्धालुओं का ध्यान आकर्षित किया और भारतीय संस्कृति की वैश्विक स्वीकार्यता का प्रतीक बना।
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पिनेलोपी की प्रतिक्रिया
विवाह के बाद, पिनेलोपी ने अपनी खुशी जाहिर करते हुए कहा कि भारतीय संस्कृति और परंपराओं के प्रति उनका प्रेम उन्हें यहां तक ले आया है। उन्होंने संतों के आशीर्वाद को अपने जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा माना और इस अनुभव को अविस्मरणीय बताया।
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महाकुंभ का महत्व
महाकुंभ मेला हर 12 वर्ष में प्रयागराज में आयोजित होता है, जहां गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती नदियों का संगम है। यह विश्व का सबसे बड़ा धार्मिक आयोजन माना जाता है, जिसमें देश-विदेश से करोड़ों श्रद्धालु शामिल होते हैं। महाकुंभ के दौरान संगम में स्नान, दान, और धार्मिक अनुष्ठानों का विशेष महत्व है।
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