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Jitiya Vrat 2024 : जानिए क्यों करती है माँ अपने बच्चों के लिए ये कठिन व्रत? मिलते है ये ख़ास फल

Jitiya Vrat, जिसे जीवित्पुत्रिका व्रत के नाम से भी जाना जाता है, हिन्दू धर्म में एक प्रमुख व्रत है, जिसे माताएं अपने बच्चों की दीर्घायु, स्वास्थ्य और सुख-समृद्धि के लिए रखती हैं।

Jitiya Vrat : बच्चों की सलामती के लिए, जितिया व्रत के दौरान बरतें ये सावधानी

Jitiya Vrat, जिसे जीवित्पुत्रिका व्रत के नाम से भी जाना जाता है, हिन्दू धर्म में एक प्रमुख व्रत है, जिसे माताएं अपने बच्चों की दीर्घायु, स्वास्थ्य और सुख-समृद्धि के लिए रखती हैं। यह व्रत विशेष रूप से बिहार, उत्तर प्रदेश, झारखंड और मध्य प्रदेश में मनाया जाता है। इस व्रत का महत्व और पवित्रता मां की ममता और बच्चों के प्रति उसकी चिंता को दर्शाता है।

Jitiya Vrat
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जितिया व्रत का महत्व

जितिया व्रत का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व बहुत अधिक है। इस व्रत में महिलाएं तीन दिनों तक निर्जल उपवास करती हैं और अपने बच्चों की लंबी उम्र और सुखमय जीवन की कामना करती हैं। ऐसा माना जाता है कि जितिया व्रत करने से मां के बच्चे को किसी भी तरह की बुरी शक्तियों या नकारात्मक प्रभावों से सुरक्षा मिलती है। यह व्रत केवल माताओं के द्वारा ही रखा जाता है और उनका समर्पण और आस्था इस व्रत को और भी पवित्र बना देती है।

जितिया व्रत की कथा

जितिया व्रत की मूल कथा महाभारत काल से जुड़ी हुई है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, राजा जीमूतवाहन ने एक समय गरुड़ और नागों के बीच संघर्ष के दौरान अपनी जान की परवाह किए बिना नागों की रक्षा की थी। उन्होंने अपने जीवन की आहुति दी ताकि नागों को गरुड़ से बचाया जा सके। उनकी इस महानता और त्याग के कारण उन्हें आशीर्वाद मिला कि उनकी पूजा की जाएगी और जितिया व्रत का आयोजन होगा। इस व्रत को करने वाली माताओं को अपने बच्चों के प्रति अपने कर्तव्य और ममता की परीक्षा के रूप में देखा जाता है, और यह उन्हें अपने बच्चों की सलामती के लिए पूर्ण समर्पण करने की प्रेरणा देता है।

Jitiya Vrat
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जितिया व्रत की विधि

जितिया व्रत तीन दिनों तक मनाया जाता है। यह व्रत बहुत ही कठोर होता है और इसे पूरी आस्था और नियमों के साथ किया जाता है। व्रत की शुरुआत “नहाय-खाय” के साथ होती है, जहां महिलाएं स्नान करके पवित्र भोजन ग्रहण करती हैं। इस दिन विशेष रूप से कद्दू की सब्जी, चने की दाल और चावल खाया जाता है। दूसरे दिन, महिलाएं निराहार व्रत करती हैं और जल भी नहीं पीतीं। इसे निर्जला उपवास कहा जाता है। इस दिन व्रती महिलाएं पूजा करती हैं और जितिया की कथा सुनती हैं। तीसरे दिन, पारण के साथ व्रत समाप्त होता है, जिसमें महिलाएं व्रत खोलने के लिए फल और अन्य शुद्ध खाद्य पदार्थों का सेवन करती हैं।

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व्रत के नियम और पालन

जितिया व्रत के कुछ सख्त नियम होते हैं, जिन्हें पालन करना अनिवार्य होता है। इस व्रत के दौरान महिलाओं को पूर्ण शुद्धता और पवित्रता का ध्यान रखना चाहिए। निम्नलिखित कार्यों को जितिया व्रत के दौरान भूलकर भी नहीं करना चाहिए:

1. जल का सेवन न करें: जितिया व्रत निर्जला उपवास के रूप में मनाया जाता है, जिसमें महिलाएं जल भी नहीं पीतीं। इसका पालन बहुत ही कठिन होता है, लेकिन इसका धार्मिक महत्व अत्यधिक है।

2. नकारात्मक विचारों से दूर रहें: इस दिन महिलाओं को नकारात्मक विचारों से दूर रहना चाहिए। व्रत के दौरान किसी भी प्रकार का विवाद या क्रोध करना वर्जित होता है।

3. शुद्धता का पालन करें: जितिया व्रत में शुद्धता का बहुत महत्व होता है। इस व्रत के दौरान महिलाओं को शुद्ध कपड़े पहनने चाहिए और शुद्ध खाद्य पदार्थों का ही सेवन करना चाहिए।

4. अस्वच्छ वस्त्र न पहनें: व्रत के दौरान महिलाएं साफ और शुद्ध वस्त्र पहनती हैं। अस्वच्छ कपड़े पहनना व्रत की पवित्रता को भंग कर सकता है।

5. संसारिक सुखों से दूर रहें: जितिया व्रत के दिन महिलाओं को सांसारिक सुखों और विलासिता से दूर रहना चाहिए। व्रत के समय महिलाओं को ध्यान और पूजा में मन लगाना चाहिए।

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