धार्मिक

Guru Ravidas Jayanti 2026: गुरु रविदास जयंती 2026, जानिए तिथि, महत्व और संत रविदास के अमूल्य विचार

Guru Ravidas Jayanti 2026, Guru Ravidas Jayanti 2026 श्रद्धा, समानता और मानवता का संदेश देने वाले महान संत गुरु रविदास की जयंती के रूप में मनाई जाएगी।

Guru Ravidas Jayanti 2026 : संत रविदास जयंती 2026, भक्ति आंदोलन के महान संत का जीवन परिचय

Guru Ravidas Jayanti 2026, Guru Ravidas Jayanti 2026 श्रद्धा, समानता और मानवता का संदेश देने वाले महान संत गुरु रविदास की जयंती के रूप में मनाई जाएगी। संत रविदास भक्ति आंदोलन के प्रमुख संतों में से एक थे, जिन्होंने अपने जीवन और वाणी से जाति-भेद, ऊंच-नीच और सामाजिक असमानता के खिलाफ आवाज उठाई। उनकी जयंती हर वर्ष माघ मास की पूर्णिमा को मनाई जाती है। वर्ष 2026 में गुरु रविदास जयंती पूरे देश में भक्तिभाव और सम्मान के साथ मनाई जाएगी।

गुरु रविदास कौन थे?

संत रविदास का जन्म उत्तर भारत के प्रसिद्ध तीर्थ स्थल काशी (वर्तमान वाराणसी) में माना जाता है। उनका जन्म एक साधारण परिवार में हुआ था, लेकिन उनके विचार असाधारण थे। उन्होंने समाज को यह सिखाया कि इंसान की पहचान उसके कर्म और विचारों से होती है, न कि उसकी जाति या जन्म से। रविदास जी पेशे से मोची थे, लेकिन उनकी आध्यात्मिक ऊंचाई ने उन्हें युगों तक पूजनीय बना दिया।

गुरु रविदास के विचार और दर्शन

गुरु रविदास ने भक्ति को ईश्वर तक पहुंचने का सरल और सच्चा मार्ग बताया। उनके अनुसार ईश्वर हर प्राणी में समान रूप से निवास करता है। उन्होंने बाहरी आडंबर, पाखंड और दिखावे की पूजा का विरोध किया। रविदास जी का मानना था कि सच्ची भक्ति वही है, जो इंसान को करुणामय, न्यायप्रिय और विनम्र बनाए।

उनकी प्रसिद्ध पंक्ति—
“मन चंगा तो कठौती में गंगा”
आज भी लोगों को आत्मशुद्धि और सच्चे आचरण का संदेश देती है।

भक्ति आंदोलन में गुरु रविदास का योगदान

गुरु रविदास भक्ति आंदोलन के ऐसे संत थे, जिन्होंने समाज के वंचित वर्गों को आत्मसम्मान और समानता का भाव दिया। उनके पद और भजन सरल भाषा में होते थे, ताकि आम जन उन्हें समझ सकें। उनके कई भजन गुरु ग्रंथ साहिब में भी शामिल हैं, जो उनके विचारों की सार्वभौमिकता को दर्शाते हैं।

गुरु रविदास जयंती का महत्व

गुरु रविदास जयंती केवल एक धार्मिक पर्व नहीं, बल्कि सामाजिक चेतना का दिवस भी है। यह दिन हमें समानता, भाईचारे और मानवता के मूल्यों को अपनाने की प्रेरणा देता है। इस दिन उनके अनुयायी प्रभात फेरी, भजन-कीर्तन और सत्संग का आयोजन करते हैं। कई स्थानों पर शोभायात्राएं भी निकाली जाती हैं।

गुरु रविदास का बेगमपुरा सपना

गुरु रविदास ने “बेगमपुरा” नामक एक ऐसे समाज की कल्पना की थी, जहां कोई दुखी न हो, कोई भेदभाव न हो और हर व्यक्ति सम्मान के साथ जीवन जी सके। उनका यह विचार आज भी सामाजिक न्याय और समान अधिकारों की चर्चा में प्रासंगिक है।

गुरु रविदास जयंती कैसे मनाई जाती है?

इस दिन श्रद्धालु सुबह स्नान कर गुरु रविदास जी की प्रतिमा या चित्र के समक्ष दीप जलाते हैं। उनके भजनों का गायन किया जाता है और उनके उपदेशों पर चर्चा होती है। कई जगहों पर लंगर और सेवा कार्य आयोजित किए जाते हैं, जिससे समाज में सेवा और सहयोग की भावना बढ़े।

Read More: Eggless Karachi Cake Recipe: बिना अंडे का कराची केक रेसिपी, वीकेंड पर मीठा बनाने का परफेक्ट ऑप्शन

गुरु रविदास के संदेश आज के समय में

आज के आधुनिक समाज में भी गुरु रविदास के विचार उतने ही प्रासंगिक हैं, जितने उनके समय में थे। जाति, धर्म और वर्ग के नाम पर होने वाले भेदभाव के बीच उनके उपदेश हमें एकजुटता और प्रेम का रास्ता दिखाते हैं। उन्होंने सिखाया कि ईश्वर तक पहुंचने के लिए किसी विशेष पहचान की जरूरत नहीं, बल्कि शुद्ध हृदय और अच्छे कर्म ही पर्याप्त हैं।

Read More: Lionel Messi in India: फुटबॉल इतिहास का सबसे बड़ा नाम भारत में! लियोनल मेसी के लिए कोलकाता में पागलपन Video

शिक्षा और समानता का संदेश

गुरु रविदास शिक्षा को आत्मविकास का माध्यम मानते थे। उनका मानना था कि ज्ञान से ही अंधकार दूर होता है और समाज आगे बढ़ता है। उन्होंने हमेशा मेहनत, ईमानदारी और सेवा को जीवन का आधार बताया। Guru Ravidas Jayanti 2026 हमें संत रविदास के आदर्शों को याद करने और उन्हें अपने जीवन में अपनाने का अवसर देती है। उनका जीवन यह सिखाता है कि सच्ची भक्ति, समानता और मानवता से ही एक बेहतर समाज का निर्माण हो सकता है। इस जयंती पर हमें संकल्प लेना चाहिए कि हम भेदभाव को त्याग कर प्रेम, करुणा और भाईचारे के मार्ग पर चलेंगे—यही गुरु रविदास को सच्ची श्रद्धांजलि होगी।

We’re now on WhatsApp. Click to join.

अगर आपके पास भी हैं कुछ नई स्टोरीज या विचार, तो आप हमें इस ई-मेल पर भेज सकते हैं info@oneworldnews.com

Back to top button