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Ganga Saptami 2024 Date: कब मनाई जाएगी गंगा सप्तमी? जानें पूजा विधि और शुभ मुहूर्त, इसी दिन देवी गंगा का हुआ था पुनर्जन्म

Ganga Saptami 2024 Date: हर साल वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को गंगा सप्तमी मनाई जाती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इसी दिन देवी गंगा का पृथ्वी पर अवतार हुआ था। आपको बता दें कि हिंदू धर्म में गंगा सप्तमी का खास महत्व है।

Ganga Saptami 2024 Date: गंगा सप्तमी की पूजा विधि, एक क्लिक में जानें सब कुछ

Ganga Saptami 2024 Date: हर साल वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को गंगा सप्तमी मनाई जाती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इसी दिन देवी गंगा का पृथ्वी पर अवतार हुआ था। आपको बता दें कि हिंदू धर्म में गंगा सप्तमी का खास महत्व है। कहा जाता है कि जो भी साधक इस दिन मां गंगा की पूजा अर्चना करता है उसे समस्त पाप नष्ट हो जाते हैं। वो मोक्ष को प्राप्त करता है। दरअसल इस दिन की ऐसी भी मान्यता है कि गंगा नदी में स्नान का बहुत अधिक महत्व होता है। इस दिन दान पुण्य भी करना फलदाई है। गंगा सप्तमी के दिन स्नान-दान और पूजा से दांपत्य जीवन में खुशियां आती हैं। साथ ही संतान सुख की प्राप्ति होती है। आपको बता दें कि गंगा सप्तमी को जाह्नु सप्तमी के रूप में भी जाना जाता है। ऐसे में आज हम आपको इस लेख में बताएंगे कि इस साल गंगा सप्तमी कब है और इससे जुड़ी मान्यता क्या है…

इस साल गंगा सप्तमी (Ganga Saptami) 14 मई, 2024 को मनाई जाएगी। गंगा सप्तमी का मध्याह्न मुहूर्त सुबह 11:26 बजे से दोपहर 02:19 बजे तक है। जबकि इसकी अवधि 02 घंटे 53 मिनट तक है। सप्तमी तिथि का प्रारंभ 13 मई, 2024 को शाम 05:20 बजे से होगा जबकि समापन 14 मई, 2024 को शाम 06:49 बजे है। आपको बता दें कि इस दिन गंगा स्नान करने से मंगल दोष से भी मुक्ति मिलती है। गंगा सप्तमी का दिन मां गंगा को समर्पित है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन देवी गंगा का पुनर्जन्म हुआ था। Ganga Saptami 2024 Date

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गंगा सप्तमी का महत्व Ganga Saptami 2024 Date

गंगा सप्तमी का हिन्दू धर्म में अत्यंत महत्व है। धामिक मान्यताओं के अनुसार, गंगा सप्तमी के दिन मां गंगा की आराधना से मोक्ष की प्राप्ति होती है। गंगा सप्तमी के दिन गंगा के पवित्र जल में डुबकी लगाने से और गंगा में स्नान करते हुए सूर्य को अर्घ्य देने से व्यक्ति के दुख, बीमारी, कष्ट, किसी भी प्रकार की बाधा आदि दूर हो जाते हैं। व्यक्ति के जीवन में सफलता, सुख, समृद्धि और संपन्नता का वास होता है। (Ganga Saptami) गंगा सप्तनी पर गंगा स्नान से रिद्धि-सिद्धि, यश-सम्मान की प्राप्ति होती है। इस दिन गंगा में स्नान करने से ग्रहों के अशुभ प्रभाव भी दूर हो जाते हैं। साथ ही दान-पुण्य करने का भी अपना विशेष महत्व है। इस दिन गंगा स्नान करने से व्यक्ति के शरीर से नकारात्मक ऊर्जा निकल जाती है और हर तरह के दोषों से मुक्ति मिल जाती है।

गंगा सप्तमी की पूजा विधि Ganga Saptami 2024 Date

इस दिन साधक को ब्रह्म मुहूर्त में उठकर गंगा स्नान करना चाहिए। अगर ऐसा संभव न हो तो घर में नहाने के पानी में गंगाजल में मिलाकर स्नान करें। इसके बाद देवी गंगा की तस्वीर पर या गंगा नदी में फूल, सिंदूर, अक्षत, गुलाल, लाल फूल, लाल चंदन अर्पित कर दें। इसके बाद घी का दीपक जलाकर आरती करें। इसके बाद जीवन में सुख और शांति के लिए मां गंगा से प्रार्थना करें। धार्मिक मान्यता है कि गंगा सप्तमी के दिन गंगा स्नान करने से इंसान को सभी पापों से मुक्ति है। साथ ही रोगों से भी छुटकारा मिलता है और दान करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। (Ganga Saptami)

मां गंगा के इन मंत्रों का करें जाप Ganga Saptami 2024 Date

  • गंगे च यमुने चैव गोदावरी सरस्वती। नर्मदे सिन्धु कावेरी जले अस्मिन् सन्निधिम् कुरु।।
  • गंगां वारि मनोहारि मुरारिचरणच्युतं। त्रिपुरारिशिरश्चारि पापहारि पुनातु मां ।।
  • गंगा गंगेति यो ब्रूयात, योजनानां शतैरपि। मुच्यते सर्वपापेभ्यो, विष्णुलोकं स गच्छति॥

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गंगा सप्तमी कथा Ganga Saptami 2024 Date

हिंदू धर्मग्रंथों के अनुसार, देवी गंगा पहली बार गंगा दशहरा के दिन धरती पर उतरीं थीं। लेकिन ऋषि जह्नु ने सारा गंगा जल पी लिया। तब सभी देवताओं और भागीरथ ने ऋषि जह्नु से गंगा को छोड़ने का अनुरोध किया। इसके बाद गंगा सप्तमी के दिन देवी गंगा फिर से धरती पर आईं और इसीलिए इस दिन को जह्नु सप्तमी भी कहा जाता है। (Ganga Saptami) कहा जाता है कि इस दिन देवी गंगा का पुर्नजन्म हुआ था।

ये भी है कहानी Ganga Saptami 2024 Date

इस दिन से जुड़ी एक और कहानी है। एक बार, कोसल के राजा भागीरथ परेशान थे क्योंकि उनके पूर्वज बुरे कर्मों के पापों से पीड़ित थे। भागीरथ चाहते थे कि वे इससे मुक्त हों, इसलिए उन्होंने भगवान ब्रह्मा की कठोर तपस्या की और भगवान ब्रह्मा ने उन्हें आश्वासन दिया कि गंगा पृथ्वी पर आएंगी, उनके पूर्वजों की आत्मा को शुद्ध करेंगी। लेकिन वह जानते थे कि देवी गंगा का प्रवाह सब कुछ नष्ट कर सकता है, तब ब्रह्मा जी ने भागीरथ को भगवान शिव की पूजा करने के लिए कहा क्योंकि वे ही गंगा के प्रवाह को नियंत्रित कर सकते हैं। (Ganga Saptami) इसलिए उन्होंने अपनी कठोर तपस्या से भगवान शिव को प्रसन्न किया और इस शुभ दिन देवी गंगा पृथ्वी पर उतरीं, इसलिए गंगा को भागीरथी के नाम से जाना जाता है।

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vrinda

मैं वृंदा श्रीवास्तव One World News में हिंदी कंटेंट राइटर के पद पर कार्य कर रही हूं। इससे पहले दैनिक भास्कर, दैनिक जागरण और नवभारत टाइम्स न्यूज पेपर में काम कर चुकी हूं। मुझसे vrindaoneworldnews@gmail.com पर संपर्क किया जा सकता है।
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