Eid al adha Mubarak wishes 2023: क्यों मनाई जाती है बकरीद? जाने बकरी ईद का खास महत्व
मुस्लिम धर्म में बकरीद मनाया जाती है। इसे ईद उल ज़ुहा या ईद अल अज़हा का त्यौहार भी कहा जाता है। ऐसा माना जाता है कि इस त्यौहार को ईद उल फीतर के करीब 2 महीने और 10 दिन बाद मुस्लिम धर्म में बकरा ईद का पर्व मनाया जाता है।
Eid al adha Mubarak wishes 2023: बकरीद के मौके पर अपनों को भेजें ये खास संदेश
Eid al adha Mubarak wishes 2023: 29 जून 2023 को पूरी दुनिया में बकरीद को मनाया जाएगा। इसे नमकीन ईद के रूप में भी जाना जाता है।
मुस्लिम धर्म में बकरीद मनाया जाती है। इसे ईद उल ज़ुहा या ईद अल अज़हा का त्यौहार भी कहा जाता है। ऐसा माना जाता है कि इस त्यौहार को ईद उल फीतर के करीब 2 महीने और 10 दिन बाद मुस्लिम धर्म में बकरा ईद का पर्व मनाया जाता है।
बता दें कि, बकरीद के दिन सभी मुस्लिम समुदाय के लोग अपने घर में पल रहे बकरे की बली देते हैं और जिनके घर में बकरा नहीं होता है वो ईद से कुछ दिन पहले बकरा खरीद कर लाते हैं और उनकी बली दी जाती है। बली देने के बाद इसका मीट बनाया जाता है जिसे गरीबों, रिश्तेदारों और दोस्तों में बांटा जाता है।
कैसे मनाई जाती है बकरीद
इस दिन सभी मुसलमान सुबह उठकर नमाज पढ़ने जाते हैं। इसके बाद अपने घर पर पल रहे बकरे की बली देते हैं और जिन लोगों के पास बकरा नहीं होता है वो खरीद कर बकरे को लेकर आते हैं और उनकी बलि देते हैं। बकरे की बली देने के बाद उसका मीट बनाया जाता है जिसके बाद सबसे पहले उसे गरीबों में दान किया जाता है इसके बाद दोस्तों और रिश्तेदारों को ईद मुबारक कहकर मीट दिया जाता है।
कैसे हुई शुरुआत
पैगंबर मुहम्मद ने सन् 624 ईस्वी में जंग-ए-बदर के बाद हुई थी। पैगंबर हजरत मुहम्मद ने बद्र के युद्ध में जीत हासिल की। इसकी खुशी में ईद के दिन मस्जिदों में सुबह की नमाज अदा होने लगी। इसके बाद से दान या जकात दिया जाने लगा।
बकरा ईद का महत्व
कई लोग मीठी ईद और बकरीद में कंफ्यूज हो जाते हैं। तो आपको बता दें कि इस्लाम के अनुसार साल में दो बार ईद पड़ती है एक एक ईद-उल-जुहा और दूसरी ईद-उल-फितर। ईद-उल-फितर को मीठी ईद के नाम से जाना जाता है। इसे रमजान को खत्म करते हुए मनाया जाता है।
बकरीद भी इस्लाम धर्म का महत्वपूर्ण त्योहार है। इस्लाम धर्म के मुताबिक यह एक छोटी ईद है। इसमें भी लोग मस्जिद और ईदगाह पर नमाज जाकर पढ़ते हैं। लेकिन बकरीद का महत्व अलग है। हज की समाप्ति पर इसे मनाया जाता है। बकरीद रमजान के 70 दिन बाद पड़ती है। बकरा ईद का सभी मुस्लिम धर्म के लोगों के लिए बहुत महत्व है।
इस दिन कायदे से नमाज पढ़ कर एक दूसरे के गले मिला जाता है। यह त्योहार आपसी भाईचारा अल्लाह के पार्टी विश्वास और बलिदान का अर्थ समझाने के लिए मनाया जाता है। यह त्यौहार बड़े हर्षोल्लास और उत्साह से मनाते हैं, नए कपड़े पहनते है।
जो लोग इस बकरीद अपनी फैमिली और दोस्तों से दूर हैं उन्हें वॉलपेपर, व्हाट्सएप स्टेटस और फेसबुक के जरिए शुभकामनाएं संदेश भेजकर स्पेशल फिल करवा सकते हैं।
शुभकामनाएं संदेश:-
1) आज के दिन क्या बादलों की घटा छाई है,चारों ओर खुशियों की फिजा छाई हैं! ईद उल अधा आई है, तो मेरी तरफ से तुम्हें ढेर सारी बधाई है।
2) फूलों की तरह खिलते रहो तुम, सदा अल्लाह की नफ्जों में खोए रहो तुम!
हर ख्वाहिश पूरी हो तुम्हारी, अल्लाह से ऐसी दुआ करते है हम
3) तेरे आशियाने में खुदा खुशियों के चांद खिलाये, दुआ है मेरी ईद उल अधा पर कि तू अपने जीवन पर हर सफलता पाये!
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4) खुदा की रहमत में रहें, अल्लाह की याद में खोए रहें प्यार भरा रहे जीवन में, कुबूल हो तेरा हर नमाज और रोजा… हैप्पी ईद
5) अल्लाह आपको खुशियां और अता करें दुआ हमारी है आपके साथ बकरीद पर आप और सवाब हासिल करें! ईद-उल-अजहा आपको मुबारक!
6) हर ख्वाहिश हो मंजूर-ए-खुदा मिले हर कदम पर रजा-ए-खुदा फ़ना हो लब्ज़-ए-गम है यह दुआ बरसती रहे सदा रहमत-ए-खुदा।
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