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Buddha Purnima: बुद्ध पूर्णिमा 2025, अहिंसा, शांति और संतुलन का पर्व

Buddha Purnima, बुद्ध पूर्णिमा बौद्ध धर्म के अनुयायियों के लिए एक अत्यंत महत्वपूर्ण पर्व है। यह दिन भगवान गौतम बुद्ध के जन्म, ज्ञान प्राप्ति और महापरिनिर्वाण (मृत्यु) का स्मरण करता है।

Buddha Purnima : शांति का संदेश, बुद्ध पूर्णिमा 2025

Buddha Purnima, बुद्ध पूर्णिमा बौद्ध धर्म के अनुयायियों के लिए एक अत्यंत महत्वपूर्ण पर्व है। यह दिन भगवान गौतम बुद्ध के जन्म, ज्ञान प्राप्ति और महापरिनिर्वाण (मृत्यु) का स्मरण करता है। Buddha Purnima को हर वर्ष वेषाख मास की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है, जो आमतौर पर अप्रैल-मई के बीच पड़ती है। इस दिन का आयोजन विशेष रूप से बौद्ध देशों में जैसे कि भारत, श्रीलंका, नेपाल, थाईलैंड, और बर्मा में धूमधाम से किया जाता है।

भगवान गौतम बुद्ध का जन्म

भगवान गौतम बुद्ध का जन्म लुम्बिनी (वर्तमान नेपाल) में हुआ था। उनका जन्म एक राजघराने में हुआ था, लेकिन बचपन से ही उन्होंने संसार के दुःख-दर्द को समझने का प्रयास किया। उन्होंने जीवन की सच्चाई को समझने के लिए राजमहल और सुख-सुविधाओं को त्याग दिया। यह त्याग बौद्ध धर्म का प्रमुख तत्व बन गया, जिसे ‘निरंकार’ और ‘मध्यम मार्ग’ के रूप में जाना जाता है। बुद्ध ने बोधगया में बोधि वृक्ष के नीचे ज्ञान प्राप्ति की। यह ज्ञान उन्होंने ‘चार आर्य सत्य’ (दुःख, दुःख का कारण, दुःख का निवारण, और आठfold मार्ग) के रूप में प्राप्त किया। बुद्ध का यह मार्ग आज भी लोगों के जीवन में शांति, संतुलन और सच्चाई की ओर अग्रसर करता है।

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बुद्ध पूर्णिमा का महत्व

बुद्ध पूर्णिमा का दिन बौद्ध अनुयायियों के लिए एक धार्मिक और आध्यात्मिक अवसर होता है। इस दिन बौद्ध मठों और मंदिरों में विशेष पूजा-अर्चना, प्रवचन और ध्यान साधना का आयोजन किया जाता है। भक्तगण इस दिन को दान, तप, और ध्यान के साथ बिताते हैं, जिससे वे अपने जीवन को शुद्ध और पवित्र बना सकें। लोग इस दिन को शांति और अहिंसा के प्रतीक के रूप में मनाते हैं और दूसरों की सहायता करने का संकल्प लेते हैं। भारत में बुद्ध पूर्णिमा का खास महत्व है, क्योंकि यहीं पर भगवान बुद्ध ने ज्ञान प्राप्ति की। बोधगया और सारनाथ जैसे स्थल बौद्धों के लिए तीर्थ स्थल हैं। बोधगया में हर वर्ष लाखों लोग बुद्ध पूर्णिमा के अवसर पर आते हैं और वहाँ ध्यान लगाकर, पूजा करते हैं।

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