Aghori Life Secret: अघोरियों का जीवन होता है रहस्यमय, शमशान में क्याें करते हैं वास? शवों से बनाते हैं शारीरिक संबंध, जानें उनके अनसुने राज
Aghori Life Secret: आज हम आपको अघोरी के जीवन से जुड़ी बहुत सी रहस्यमई बातें बताएंगे। जिनके बारे में बहुत ही कम लोग जानते हैं जिसमें यह भी शामिल है कि वह लाशों के साथ संबंध बनाते हैं।
Aghori Life Secret: ब्रह्मचर्य का पालन नहीं करते अघोरी, जानें उनकी रहस्यामयी दुनिया
कुछ शब्द ऐसे होते हैं जो कानों में पड़ते ही एक ऐसी छवि को जेहन में पेश करते हैं जिन्हें समझना थोड़ा मुश्किल हो जाता है। लेकिन ये आकृर्षित करते हैं। अघोर या अघोरी शब्द के साथ भी ऐसा ही है। अघोरी शब्द का संस्कृत में अर्थ ‘उजाले की ओर’ बताया गया है। वहीं अघोर का मतलब अ+घोर यानी जोकि घोर नहीं हो और सरल हो। हालांकि इनका स्वरूप वास्तव में डरावना होता है। लेकिन अध्यात्म की भाषा में अघोर बनने की पहली क्रिया मन से घृणा को निकालना होता है। मूलत: अघोरी शमशान जैसी जगहों पर सहजता से रहते हैं और तंत्र क्रियाएं सीखते हैं। सामन्यत: समाज जिन चीजों से घृणा करता है, अघोरी उसे अपनाते हैं।
श्वेताश्वतरोपनिषद में भगवान शिव को अघोरनाथ कहा गया है। अघोरी बाबा भी शिवजी के इस रूप की उपासना करते हैं। बाबा भैरवनाथ भी अघोरियों के अराध्य हैं। तो आइए जानते हैं अघोरियों की रहस्यमी दुनिया से जुड़े अनजाने पहलू के बारे में कि कौन हैं अघोरी, ये क्या खाते हैं, इनका जीवन कैसा है और वो बातें जो अघोरियों को अन्य साधकों से अलग बनाती हैं। भगवान शिव को अघोर पंत का प्रणेता माना गया है। शिवजी के अवतार अवधूत भगवान दत्तात्रेय को भी अघोरशास्त्र का गुरु माना गया है। अघोर संप्रदाय शिव जी के अनुयायी होते हैं। इनके अनुसार शिव जी स्वयं में संपूर्ण हैं और समस्त रूपों में विद्यमान हैं।
शमशान में करते हैं वास Aghori Life Secret
अघोरी वही बन सकता है, जो सांसारिक मोह-माया से ऊपर उठ चुका है। जहां एक आम व्यक्ति श्मशान से दूरी बनाए रखना चाहता है, तो वहीं अघोरी शमशान में ही वास करना पसंद करते हैं। अघोरपंथ में श्मशान साधना का विशेष महत्व माना गया है। साथ ही यह भी माना गया है कि श्मशान में की गई साधना का फल शीघ्र ही प्राप्त होता है। अघोरी को तंत्र-मंत्र के लिए जाना जाता है। वे आध्यात्मिक परंपरा का पालन करते हैं।
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कर्मकांड और ध्यान पर देते हैं जोर Aghori Life Secret
अघोरी आध्यात्मिक ज्ञान प्राप्त करने के लिए कर्मकांड और ध्यान पर जोर देते हैं। अघोरियों का मानना है कि यदि वे मानव अवशेष खाने जैसी वर्जित प्रथाओं का पालन करते हैं तो वे अपने मृत्यु के भय पर काबू पा सकते हैं और आध्यात्मिक रूप से मुक्त हो सकते हैं। जब एक अघोरी किसी शव पर पैर रखकर साधना करता है, तो वह शिव और शव साधना कहलाती है। इस साधना में प्रसाद के रूप में मुर्दे को मांस और मदिरा अर्पित की जाती है। अघोरी एक पैर पर खड़े होकर महादेव की साधना करते हैं और शमशान में बैठकर हवन करते हैं।
ये हैं कुछ चौकाने वाली बातें Aghori Life Secret
अघोरी अपने पास नरमुंड यानी इंसानी खोपड़ी रखते हैं, जिसे ‘कापालिका’ कहा जाता है। साथ ही वह इसका प्रयोग भोजन के पात्र की तरह भी करते हैं। अघोरी अकसर कच्चे मांस यहां तक कि मानव शव का भी भक्षण करते हैं। अघोरियों की एक पहचान यह भी है कि वह किसी से कुछ नहीं मांगते। अघोरी अपने शरीर पर चिता की राख लपेटे रहते हैं और चिता की अग्नि पर ही अपना भोजन पकाते हैं।
मंत्रों और मुद्राओं का करते हैं उपयोग Aghori Life Secret
अघोरी गहन ध्यान करते हैं। वे चेतना की परिवर्तित अवस्थाओं को प्राप्त करने के लिए मंत्रों और मुद्राओं का उपयोग करते हैं। माना जाता है कि गहन साधना करने से वे परमात्मा के करीब पहुंच जाते हैं। उन्हें आध्यात्मिक मुक्ति मिल जाती है। कहा जाता है कि अघोरी अपने शरीर और मन को शुद्ध करने और आध्यात्मिक ज्ञान प्राप्त करने के लिए एक आम आदमी की तरह योग करते हैं। अघोरी हठ योग और कुंडलिनी योग सहित योग के विभिन्न रूपों का अभ्यास करते हैं।
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शवों के साथ संबंध बनाते हैं अघोरी Aghori Life Secret
ऐसा माना जाता है कि अघोरी शवों के साथ शारीरिक संबंध बनाते हैं। कुछ मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इसके पीछे की वजह बताते हुए अघोरी खुद कहते हैं कि शिव और शक्ति की पूजा का एक तरीका शारीरिक संबंध बनाना भी है। बता दें कि अघोरी ज्यादा कपड़े नहीं पहनते हैं। साथ ही, उनका पूरा शरीर विभूति या चिता-भस्म से ढका रहता है। वस्त्रों का त्याग करना त्याग का प्रतीक है क्योंकि वस्त्र हमारी रक्षा करते हैं और यह मानव जीवन की मूलभूत आवश्यकता है।
ब्रह्मचर्य का पालन नहीं करते अघोरी Aghori Life Secret
अन्य साधु-संत जहां ब्रह्मचर्य का पालन करते हैं, वहीं अघोरी ब्रह्मचर्य का पालन नहीं करते हैं। केवल शव ही नहीं बल्कि जीवितों के साथ भी अघोरी संबंध बनाते हैं। ये शरीर पर राख लपेटकर और ढोल नगाड़ों के बीच शारीरिक संबंध बनाते हैं। इतना ही नहीं जब महिला का मासिक चल रहा होता है, तब ये खासतौर से शारीरिक संबंध बनाते हैं। यह क्रिया भी साधना का ही अंग मानी जाती है। माना जाता है इससे अघोरियों की शक्ति बढ़ती है।
अघोरियों की रहस्यामयी दुनिया Aghori Life Secret
- अघोरी हिंदू धर्म का ही एक अंग है। इसलिए इन्हें अघोरी संप्रदाय या अघोर पंत कहा जाता है।
- अघोरी देशभर में हैं। लेकिन काशी और वाराणसी में सबसे अधिक अघोरी मिलते हैं।
- औघड़, सरभंगी और घुरे अघोरियों की ये तीन शाखाएं होती हैं।
- किनाराम अघोरी को अघोरियों का बाबा कहा जाता है। ये कालूराम के शिष्य थे।
- किनाराम बाबा अघोरी ने गीतावली, विवेकसार और रामगीता की रचना की थी। कीनाराम का देहांत 1826 में हुआ था।
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