Sitaram Yechury passes away: सीपीएम के महासचिव सीताराम येचुरी का निधन, दिल्ली एम्स में ली अंतिम सांस
कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया के महासचिव सीताराम येचुरी का 72 साल की उम्र में निधन हो गया। एम्स ने बयान जारी करते हुए कहा कि 72 वर्षीय सीताराम येचुरी को निमोनिया के साथ 19 अगस्त 2024 को एम्स में भर्ती कराया गया था और 12 सितंबर 2024 को दोपहर 3:05 बजे उनका निधन हो गया।
Sitaram Yechury passes away: साल 2005 में पहली बार बंगाल से राज्यसभा संसद चुने गए, जानिए उनके प्रारंभिक जीवन के बारें में
Sitaram Yechury passes away: मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के महासचिव सीताराम येचुरी का यहां अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान में लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया। इससे पहले उन्हें आईसीयू में रखा गया था। इससे पहले पार्टी की तरफ से कहा गया था कि 72 वर्षीय येचुरी को सांस की नली में इन्फेक्शन हो गया था। इससे पहले येचुरी को निमोनिया की तरह के सीने में संक्रमण के इलाज के लिए 19 अगस्त को एम्स में भर्ती कराया गया था। हाल में उन्होंने मोतियाबिंद की सर्जरी भी कराई थी।
इस कारण से जाने जाते थे सीताराम येचुरी
सीताराम येचुरी एक भारतीय राजनीतिज्ञ और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के पांचवें महासचिव थे। वर्तमान में येचुरी CPI-M के संसदीय समूह के नेता और पार्टी के पोलित ब्यूरो के सदस्य भी थे। वे एक प्रसिद्ध स्तंभकार, अर्थशास्त्री और सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में जाने जाते थे। सीताराम येचुकी को पार्टी के पूर्व महासचिव हरकिशन सिंह सुरजीत की गठबंधन निर्माण विरासत को आगे बढ़ाने के लिए जाना जाता था।
सीताराम येचुरी का प्रारंभिक जीवन
सीताराम येचुरी का जन्म चेन्नई तमिलनाडु में 12 अगस्त 1952 को एक तेलुगु भाषी ब्राह्मण परिवार में हुआ था। उनके पिता सर्वेश्वर सोमयाजुला येचुरी आंध्र प्रदेश राज्य सड़क निगम में इंजीनियर थे। उनकी मां कल्पकम येचुरी एक सरकारी अधिकारी थीं। सीताराम येचुरी का बचपन हैदराबाद में बीता। सीताराम येचुरी ने हैदराबाद के ऑल सेंट्स हाई स्कूल से मैट्रिक किया। 1969 के तेलंगाना आंदोलन के बाद वे दिल्ली आ गए। उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रतिष्ठित सेंट स्टीफंस कॉलेज में प्रवेश लिया। हालांकि, 1975-1977 के आपातकाल के दौरान गिरफ्तार होने के कारण वह इसे जारी नहीं रख सके। सीताराम येचुरी ने 1974 में भारतीय राजनीति में कदम रखा। उस समय वे वे स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (SFI) के सदस्य बने। वे 1975 में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी में शामिल हो गए।
1974 में राजनीति में एंट्री
सीताराम येचुरी ने 1974 में भारतीय राजनीति में कदम रखा। उस समय वे वे स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया के सदस्य बने। वे 1975 में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी – मार्क्सवादी में शामिल हो गए, जब वे दिल्ली में जवाहरलाल विश्वविद्यालय में छात्र थे। येचुरी उन कई लोगों में से थे जिन्हें 1975 में भारत की तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा लगाए गए आपातकाल के दौरान गिरफ्तार किया गया था। 1977 में आपातकाल हटने के बाद जेल से रिहा होने के बाद सीताराम येचुरी एक साल में तीन बार जेएनयू छात्र संघ के अध्यक्ष चुने गए। सीताराम येचुरी और सीपीआई-एम के पूर्व महासचिव प्रकाश करात ने जेएनयू को वामपंथियों का गढ़ बना दिया। येचुरी को एसएफआई का महासचिव चुना गया और बाद में 1978 में उन्हें इसका अध्यक्ष नियुक्त किया गया। 1984 में येचुरी सीपीआई-एम की केंद्रीय समिति के सदस्य बने। दो साल बाद, उन्होंने एसएफआई से अपने रास्ते अलग कर लिए। 1992 में सीपीआई-एम की 14वीं कांग्रेस में सीताराम येचुरी को पार्टी पोलित ब्यूरो के लिए चुना गया।
पत्रकार सीमा चिश्ती से शादी
पश्चिम बंगाल से सीपीआई-एम के राज्यसभा सांसद सीताराम येचुरी की शादी पत्रकार सीमा चिश्ती येचुरी से हुई है। सीताराम येचुरी का सीमा चिश्ती येचुरी से एक बेटा है। सीताराम येचुरी की पहली पत्नी प्रसिद्ध वामपंथी कार्यकर्ता वीना मजूमदार की बेटी थीं। उनकी बेटी अखिला येचुरी इतिहास की प्रोफेसर हैं। सेंट एंड्रयूज विश्वविद्यालय में पढ़ा चुकी हैं। वह एडिनबर्ग विश्वविद्यालय में लेक्चरर भी रही थीं।
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