Notice: Function _load_textdomain_just_in_time was called incorrectly. Translation loading for the rank-math domain was triggered too early. This is usually an indicator for some code in the plugin or theme running too early. Translations should be loaded at the init action or later. Please see Debugging in WordPress for more information. (This message was added in version 6.7.0.) in /home/admin/domains/hindi.oneworldnews.com/public_html/wp-includes/functions.php on line 6114

Notice: Function _load_textdomain_just_in_time was called incorrectly. Translation loading for the hustle domain was triggered too early. This is usually an indicator for some code in the plugin or theme running too early. Translations should be loaded at the init action or later. Please see Debugging in WordPress for more information. (This message was added in version 6.7.0.) in /home/admin/domains/hindi.oneworldnews.com/public_html/wp-includes/functions.php on line 6114
Muslim Personal Law: क्या है समान नागरिक संहिता कानून और इसे लागू करने के फायदे
पॉलिटिक्स

Muslim Personal Law: क्या है समान नागरिक संहिता कानून और इसे लागू करने के फायदे

समान नागरिक संहिता को लेकर मौलाना अरशद मदनी ने मीडिया से बातचीत के दौरान कहा संविधान के नाम पर मौजूदा सरकार पिछले 8-9 साल से मुस्लिम दुश्मनी की बद्तरीन मिसाल पेश कर रही है।

Muslim Personal Law: यूजीसी पर बोले, मौलाना मदनी – 1300 सालों से किसी सरकार ने मुस्लिम पर्सनल लॉ को नहीं छेड़ा

Muslim Personal Law: समान नागरिक संहिता को लेकर मौलाना अरशद मदनी ने मीडिया से बातचीत के दौरान कहा संविधान के नाम पर मौजूदा सरकार पिछले 8-9 साल से मुस्लिम दुश्मनी की बद्तरीन मिसाल पेश कर रही है।

समान नागरिक संहिता यानी यूनिफॉर्म सिविल कोड का अर्थ होता है भारत में रहने वाले हर नागरिक के लिए एक समान कानून होनाचाहे वह किसी भी धर्म या जाति का क्यों न हो। समान नागरिक संहिता लागू होने से सभी धर्मों का एक कानून होगा। शादीतलाक और जमीन-जायदाद के बंटवारे में सभी धर्मों के लिए एक ही कानून लागू होगा। यूनियन सिविल कोड का अर्थ एक निष्पक्ष कानून हैजिसका किसी धर्म से कोई ताल्लुक नहीं है।

समान नागरिक संहिता का उद्देश्य कानूनों का एक समान सेट प्रदान करना है जो सभी नागरिकों पर समान रूप से लागू होते हैं, चाहे वे किसी भी धर्म के हों। देश में संविधान के अनुच्छेद 44 में समान नागरिक संहिता को लेकर प्रावधान हैं। इसमें कहा गया है कि राज्य इसे लागू कर सकता है। इसका उद्देश्य धर्म के आधार पर किसी भी वर्ग विशेष के साथ होने वाले भेदभाव या पक्षपात को खत्म करना है।

समान नागरिक संहिता के फायदे  

– यूनिफार्म सिविल कोड लागू होने से सभी समुदाय के लोगो को एक समान अधिकार दिए जायेंगे।

– लैंगिक समानता को बढ़ावा मिलेगा।

– समान नागरिक सहिंता लागू होने से भारत की महिलाओं की स्थिति में सुधार होगा।

– कानूनों में सरलता और स्पष्टता आएगी। सभी नागरिकों के लिए कानून समझने में आसानी होगी।

– व्यक्तिगत या धर्म कानूनों के आधार पर होने वाले भेदभाव को समाप्त किया जा सकेगा।

– कानून के तहत सभी को सामान अधिकार दिए जायेंगें।

– कुछ समुदाय के पर्सनल लॉ में महिलाओं के अधिकार सीमित है। ऐसे में यदि Uniform Civil Code लागू होता है तो महिलाओं को भी समान अधिकार लेने का लाभ मिलेगा।

– महिलाओं का अपने पिता की सम्पति पर अधिकार और गोद लेने से संबंधी सभी मामलों में एक सामान नियम लागू हो जायेंगे।

– मुस्लिम समाज में बेटी की शादी की न्यूनतम आयु 9 साल है। UCC लागू होने से मुस्लिम लड़कियों की छोटी आयु में विवाह होने से रोका जा सकेगा।

– धार्मिक रूढ़ियों के कारण समाज के किसी वर्ग के अधिकारों के हनन को रोका जा सकेगा।

Read more: Karnataka Anti-conversion Law: कर्नाटक में धर्मांतरण विरोधी कानून रद्द, सिद्धारमैया का फैसला

समान नागरिकता कानून पर अरशद मदनी का ब्यान

आपको बता दें कि अगले साल लोकसभा चुनाव होने है और इसी बीच समान नागरिक संहिता का मुद्दा चर्चा में आ गया है। इस मुद्दे को लेकर राजनीतिक पार्टियों के बीच बयानबाजी शुरू हो गई और लॉ कमीशन ने इसपर जनता से सुझाव भी मांगे हैं। इस मुद्दे को लेकर मुस्लिमों के बड़े संगठन जमीयत उलेमा-ए-हिन्द के प्रमुख मौलाना अरशद मदनी ने इस मुद्दे पर राय देते हुए इसे सीधे धर्म से जोड़ दिया। उन्होंने कहा है कि कुछ संप्रदायिक ताकतें ये समझती हैं कि मुस्लिमों के हौसले को तोड़ दें और उन्हे ऐसी जगह पर लाकर खड़ा कर दिया जाए कि वो अपने मजहब पर ना चल सकें।

मौलाना मदनी ने कहा-“मुस्लिम पर्सनल लॉ में जीते आएइसी पर मरना है”

 जमीयत उलेमा-ए-हिन्द के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने मीडिया से खास बातचीत में कहा कि पिछले 1300 सालों से देश में किसी भी सरकार ने मुस्लिम पर्सनल लॉ को नहीं छेड़ा है। ये बदकिस्मती की बात है कि मौजूदा सरकार पिछले 8-9 साल से मुस्लिम दुश्मनी की बद्तरीन मिसाल पेश कर रही है और ये सबकुछ संविधान का नाम लेकर किया जा रहा है। मदनी ने कहा कि हम भारत में मुस्लिम पर्सनल लॉ में जीते आए हैं और इसी पर जीना चाहते हैं, इसी पर मरना चाहते हैं।

Read more: PM Modi US Visit: पीएम मोदी के अमेरिका दौरे को ले कर पेंटागन अधिकारियों का बड़ा बयान

मौलाना अरशद मदनी ने आगे कहा कि उत्तराखंड में यूसीसी पर राय मांगी गई थी। हमने डेढ़ लाख से ज्यादा खत और कागज़ भेजे। हम पूरे देश के लोगों से अपील करेंगे कि वो देशभर से राय भेजें। ये राय या खत 50 लाख से ज्यादा होंगे। मदनी ने कहा कि हमने उत्तराखंड के उत्तरकाशी मामले में सीएम से अपील की है कि शांति व्यवस्था बनाना सरकार की जिम्मेदारी है।

बता दें कि, दुनिया के कई देशों में UCC लागू है, यानी उन देशों के प्रत्येक नागरिक पर एक ही कानून लागू होता है, लेकिन भारत के सिर्फ एक राज्य गोवा में यह कानून लागू है।  वहीं, दुनियाभर में मौजूद कई इस्लामी देशों में शरिया कानून लागू है, जहाँ हर व्यक्ति पर, चाहे वो किसी भी धर्म का हो, उसे शरिया कानून का ही पालन करना होता है।

अगर आपके पास भी हैं कुछ नई स्टोरीज या विचार, तो आप हमें इस ई-मेल पर भेज सकते हैं info@oneworldnews.com

Roshni Mishra

Think positive be positive and positive things will happen🙂
Back to top button